पटना हाईकोर्ट 2021: सबूतों की कमी के कारण दहेज मृत्यु का दोषसिद्धि आदेश रद्द

पटना हाईकोर्ट 2021: सबूतों की कमी के कारण दहेज मृत्यु का दोषसिद्धि आदेश रद्द

निर्णय की सरल व्याख्या

फरवरी 2021 में पटना हाईकोर्ट ने भोजपुर जिले से जुड़े एक दहेज मृत्यु मामले में बड़ा फैसला सुनाया। निचली अदालत ने पति और परिवार के अन्य सदस्यों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304B (दहेज मृत्यु) और धारा 498A (पति या ससुराल वालों द्वारा क्रूरता) के तहत दोषी ठहराया था। लेकिन हाईकोर्ट ने पाया कि अभियोजन (प्रॉसिक्यूशन) के पास ठोस सबूत नहीं हैं। इसलिए दोषसिद्धि (conviction) को रद्द कर दिया और सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया।

पृष्ठभूमि

मृतका अंशु देवी की शादी 2014 में संजय शर्मा (अभियुक्त) से हुई थी। शादी के करीब दो साल बाद मई 2016 में उसकी मौत ससुराल में जलने से हो गई। उस समय उसका बच्चा केवल सात महीने का था।

परिवार वालों का आरोप था कि शादी के बाद से ही मोटरसाइकिल की मांग की जा रही थी। दहेज की यह मांग पूरी न होने पर मृतका को प्रताड़ित किया गया और अंततः उसकी हत्या कर दी गई।

इस आधार पर मृतका के रिश्तेदार ने पुलिस में लिखित रिपोर्ट दी और मामला दर्ज हुआ। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की और मुकदमा चला।

निचली अदालत का फैसला (2019)

  • पति संजय शर्मा: 8 साल की कठोर कैद (304B IPC) और 3 साल की कैद (498A IPC) व जुर्माना।
  • अन्य परिजन: 3 साल की कैद (498A IPC) और जुर्माना।
  • अदालत ने जुर्माने की राशि मृतका के छोटे बेटे को देने का आदेश दिया।

हाईकोर्ट में अपील

सभी अभियुक्तों ने पटना हाईकोर्ट में अपील की।

बचाव पक्ष की दलीलें:

  1. कमज़ोर गवाही: गवाह PW 1 और PW 2 ने केवल सुनी-सुनाई बातें बताई थीं।
  2. क्रूरता का सबूत नहीं: PW 3 ने मोटरसाइकिल की मांग की बात कही लेकिन यह नहीं बताया कि मृतका को “मृत्यु से पहले” प्रताड़ित किया गया था।
  3. दुर्घटना की संभावना: बचाव पक्ष के गवाहों ने कहा कि मृतका खाना पकाते समय आग की चपेट में आ गई।

राज्य की दलीलें:
सरकार ने कहा कि शादी के सात साल के भीतर हुई अप्राकृतिक मृत्यु और दहेज की मांग का आरोप अपने आप में दहेज मृत्यु का मामला साबित करने के लिए पर्याप्त है।

हाईकोर्ट की राय

  • सुनी-सुनाई गवाही बेकार: PW 1 और PW 2 ने केवल PW 3 से सुनी बात दोहराई थी। इसे सबूत नहीं माना जा सकता।
  • PW 3 की गवाही अधूरी: PW 3 ने यह नहीं कहा कि मृतका को दहेज की मांग के कारण “जल्द पहले” प्रताड़ित किया गया था। यह धारा 304B IPC के लिए आवश्यक है।
  • चिकित्सीय रिपोर्ट: डॉक्टर ने मौत का कारण जलना बताया, लेकिन यह क्रूरता या दहेज उत्पीड़न साबित नहीं करता।
  • कानूनी स्थिति: सुप्रीम कोर्ट के फैसलों (Baijnath v. State of M.P., 2016; Bakshish Ram v. Punjab, 2013) का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि दहेज मृत्यु मानने के लिए प्रताड़ना का सबूत होना अनिवार्य है।

हाईकोर्ट का निर्णय

  • अभियोजन यह साबित करने में असफल रहा कि मृतका को दहेज की मांग के कारण प्रताड़ित किया गया था।
  • दोषसिद्धि आदेश और सज़ा रद्द कर दी गई।
  • पति संजय शर्मा को तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश दिया गया।
  • अन्य परिजनों के जमानत बांड समाप्त कर दिए गए।

निर्णय का महत्व और प्रभाव

  • कानून के लिए: दहेज मृत्यु के मामलों में केवल सात साल के भीतर मौत होना पर्याप्त नहीं है। प्रताड़ना या क्रूरता का सबूत जरूरी है।
  • महिलाओं के अधिकारों के लिए: अदालत ने साफ किया कि गंभीर सामाजिक मुद्दा होने के बावजूद दोषसिद्धि तभी होगी जब सबूत पुख्ता हों।
  • वकीलों और अदालतों के लिए: यह फैसला याद दिलाता है कि “सुनी-सुनाई गवाही” (hearsay evidence) पर दोषसिद्धि नहीं की जा सकती।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या सात साल के भीतर हुई जलकर मौत अपने आप दहेज मृत्यु है?
    • नहीं। प्रताड़ना या क्रूरता का सबूत होना आवश्यक है।
  • क्या सुनी-सुनाई गवाही पर्याप्त है?
    • नहीं। अदालत ने इसे खारिज किया।
  • क्या 304B और 498A IPC के तहत दोषसिद्धि टिक सकती है?
    • नहीं। अभियोजन ने मुख्य शर्त साबित नहीं की।

न्यायालय द्वारा संदर्भित फैसले

  • Bakshish Ram v. State of Punjab, (2013) 4 SCC 131
  • M. Srinivasulu v. State of A.P., (2007) 12 SCC 443
  • Baijnath v. State of M.P., AIR 2016 SC 5313
  • Amar Singh v. State of Rajasthan, AIR 2010 SC 3391

मामले का शीर्षक

  • Gudhiya Devi & Anr. v. State of Bihar (Cr. App. SJ No.125 of 2020)
  • Lagani Devi & Anr. v. State of Bihar (Cr. App. SJ No.129 of 2020)
  • Sanjay Sharma v. State of Bihar (Cr. App. SJ No.712 of 2020)

केस नंबर

Criminal Appeal (SJ) Nos. 125, 129, और 712 of 2020 (Bihiya P.S. Case No.132 of 2016)

उद्धरण (Citation)

2021(1)PLJR 728

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति बीरेन्द्र कुमार

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • अपीलकर्ताओं की ओर से: श्री राजेन्द्र कुमार दुबे, श्री अजय कुमार ठाकुर
  • राज्य की ओर से: श्री बिपिन कुमार, APP

निर्णय का लिंक

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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