पटना हाई कोर्ट का फैसला: केवल एक दिन दुकान बंद रहने पर लाइसेंस रद्द करना अनुचित (2021)

पटना हाई कोर्ट का फैसला: केवल एक दिन दुकान बंद रहने पर लाइसेंस रद्द करना अनुचित (2021)

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला दिया है, जिसमें एक न्यायालय ने उचित अनुपात (proportionality) और प्राकृतिक न्याय (natural justice) के सिद्धांत को दोहराया। मामला एक फेयर प्राइस शॉप (FPS) यानी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की दुकान से जुड़ा था।

घटना 3 फरवरी 2015 की है। उस दिन ब्लॉक विकास पदाधिकारी और अन्य अधिकारियों ने एक फेयर प्राइस शॉप का निरीक्षण किया और पाया कि दुकान बंद है तथा कोई सूचना बोर्ड नहीं लगाया गया है। इस आधार पर अनुमंडल पदाधिकारी (SDO) ने नोटिस जारी किया। दुकानदार ने जवाब में कहा कि वह धार्मिक यात्रा पर गया था और वापसी के समय अचानक बीमार हो गया, जिसके चलते उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।

फिर भी, SDO ने 20 फरवरी 2015 को आदेश जारी कर दुकान का लाइसेंस रद्द कर दिया। इसके खिलाफ दुकानदार ने अपील की, लेकिन 18 मई 2018 को जिला पदाधिकारी ने भी रद्द करने का आदेश बरकरार रखा। इसके बाद दुकानदार ने पटना हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

हाई कोर्ट ने पाया कि यह पूरा मामला केवल एक दिन दुकान बंद रहने से जुड़ा है। दुकानदार ने उचित कारण बताया था—अचानक बीमारी और अस्पताल में भर्ती होना। ऐसे में सीधे लाइसेंस रद्द करना बहुत कठोर कदम है। कोर्ट ने कहा कि सरकार यदि अन्य गड़बड़ियों का आरोप लगाना चाहती थी, तो उसके लिए अलग नोटिस और कार्यवाही जरूरी थी। केवल एक दिन की अनुपस्थिति पर इतनी बड़ी सजा देना उचित नहीं है।

अदालत ने SDO और जिला पदाधिकारी दोनों के आदेश रद्द कर दिए और दुकानदार के पक्ष में फैसला सुनाया। इसका अर्थ यह है कि दुकान का लाइसेंस बहाल होगा और रद्दीकरण से जुड़े अन्य सभी परिणाम स्वतः समाप्त हो जाएंगे।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

  • आम जनता के लिए: यह फैसला सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की दुकानों में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे। एक छोटी सी चूक के कारण दुकानदार को कठोर सजा देकर जनता की राशन आपूर्ति बाधित नहीं की जाएगी।
  • दुकानदारों के लिए: यह फैसला बताता है कि दुकान चलाने वालों को अनुशासन और नियमों का पालन करना चाहिए, लेकिन यदि कभी अचानक बीमारी या आपात स्थिति आती है तो उनकी आजीविका को तुरंत खतरे में नहीं डाला जाएगा।
  • प्रशासन के लिए: अधिकारियों को यह ध्यान रखना होगा कि किसी भी दुकानदार के खिलाफ सजा उसी गलती के अनुसार होनी चाहिए। यदि आरोप गंभीर हैं, तो उनके लिए अलग से स्पष्ट नोटिस और जांच की आवश्यकता होगी।
  • सरकार और प्रणाली के लिए: यह निर्णय प्रशासनिक न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत बनाता है और बेवजह की कानूनी लड़ाई को कम करने में मदद करता है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या केवल एक दिन दुकान बंद रहने पर लाइसेंस रद्द करना उचित है?
    निर्णय: नहीं। कोर्ट ने कहा यह अनुचित और अनुपातहीन है।
  • क्या प्रशासन उन “अन्य गड़बड़ियों” का हवाला देकर कार्रवाई कर सकता है, जिनका उल्लेख नोटिस में नहीं था?
    निर्णय: नहीं। यदि अन्य आरोप हैं तो उनके लिए अलग प्रक्रिया अपनानी होगी।
  • क्या अपीलीय प्राधिकारी (Collector) ने गलती की जब उसने अनुपात और दुकानदार की बीमारी की सफाई पर ध्यान नहीं दिया?
    निर्णय: हाँ। इसलिए उसका आदेश भी रद्द किया गया।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • CWJC No. 10213 of 2010, Patna High Court (Division Bench), निर्णय दिनांक 22.06.2012 — जिसमें कहा गया कि छोटी गलती या एकल घटना पर लाइसेंस रद्द करना उचित नहीं है।

मामले का शीर्षक

Ajab Lal Yadav बनाम State of Bihar & Ors.

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 23505 of 2018

उद्धरण (Citation)

2021(2) PLJR 191

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री राजीव कुमार लभ — याचिकाकर्ता की ओर से
  • श्री यू.पी. सिंह, AC to SC-4 — प्रतिवादी की ओर से

निर्णय का लिंक

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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