पटना हाई कोर्ट का निर्णय: भर्ती कट-ऑफ पर पुनर्मूल्यांकन से इंकार (2021)

पटना हाई कोर्ट का निर्णय: भर्ती कट-ऑफ पर पुनर्मूल्यांकन से इंकार (2021)

निर्णय की सरल व्याख्या

यह मामला 2019 में हुई फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा से जुड़ा था, जिसे केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती), बिहार ने आयोजित किया था। एक अभ्यर्थी, जो अनुसूचित जाति (पुरुष) श्रेणी से था, ने इस परीक्षा में भाग लिया। जब परिणाम घोषित हुए तो उसकी उम्मीदवारी सफल नहीं हुई। इस वजह से उसने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति की मांग की।

22 नवम्बर 2019 को घोषित परिणाम में अनुसूचित जाति (पुरुष) श्रेणी के लिए न्यूनतम कट-ऑफ अंक 266.67 निर्धारित थे। याचिकाकर्ता का स्कोर 256.33 निकला। यानी वह कट-ऑफ से लगभग 10 अंक कम रह गया। इसी आधार पर उसने कोर्ट से पुनर्मूल्यांकन (reassessment) और चयन की मांग की।

सुनवाई के दौरान, 15 सितम्बर 2020 को कोर्ट ने विशेष अनुरोध पर उम्मीदवार की OMR उत्तरपुस्तिका बोर्ड से प्रस्तुत करने को कहा। बोर्ड ने इसे कोर्ट में पेश भी कर दिया। उम्मीदवार ने तर्क दिया कि उत्तरपुस्तिका में यह स्पष्ट नहीं है कि किन उत्तरों पर अंक मिले और किन पर निगेटिव मार्किंग हुई। इस आधार पर उसने संदेह जताया कि मूल्यांकन में त्रुटि हो सकती है।

बोर्ड ने उत्तर दिया कि भर्ती नियमों में किसी उम्मीदवार को OMR उत्तरपुस्तिका देखने या प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। केवल कोर्ट के आदेश पर ही यह दस्तावेज़ प्रस्तुत किया गया। इसलिए इसे देखकर यह दावा नहीं किया जा सकता कि मूल्यांकन में गड़बड़ी हुई है।

महत्वपूर्ण बात यह रही कि याचिकाकर्ता ने परीक्षा प्रक्रिया या अधिकारियों पर किसी तरह की मिलीभगत या धोखाधड़ी (mala fide) का आरोप नहीं लगाया। उसकी पूरी दलील केवल इस आधार पर थी कि वह बहुत कम अंकों से कट-ऑफ से चूक गया और यदि पुनर्मूल्यांकन होता तो संभव है कि वह चयनित हो जाता।

कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसा तर्क केवल “संभावना” पर आधारित है और कानूनन मान्य नहीं है। न्यायालय भर्ती निकाय के मूल्यांकन का पुन: परीक्षण नहीं करेगा जब तक कि कोई ठोस अनियमितता या गैर-कानूनी कार्यवाही सामने न आए।

इस प्रकार कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता 256.33 अंक ही प्राप्त कर सका, जो निर्धारित कट-ऑफ से कम था। इस आधार पर याचिका खारिज कर दी गई।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

अभ्यर्थियों के लिए: यह फैसला बताता है कि केवल कट-ऑफ से थोड़ा चूक जाने के कारण कोर्ट से दोबारा मूल्यांकन की मांग करना संभव नहीं है। अगर उम्मीदवार को लगता है कि उसके साथ अन्याय हुआ है, तो उसे ठोस प्रमाण जैसे गलत उत्तर कुंजी, प्रक्रिया में गड़बड़ी या भेदभाव को दिखाना होगा। केवल “कम अंतर से असफल होना” पर्याप्त नहीं है।

भर्ती निकायों और सरकार के लिए: यह निर्णय भर्ती संस्थाओं की स्वतंत्रता को मज़बूती देता है। जब तक कोई गंभीर अनियमितता साबित न हो, तब तक उनके द्वारा किए गए मूल्यांकन को अंतिम माना जाएगा। हालांकि, यदि कोर्ट आदेश दे, तो पारदर्शिता बनाए रखने के लिए दस्तावेज़ (जैसे OMR शीट) प्रस्तुत करना ज़रूरी होगा।

वकीलों और कानूनी पेशेवरों के लिए: यह केस याद दिलाता है कि याचिका दायर करते समय सटीक और स्पष्ट आरोप लगाने ज़रूरी हैं। यदि केवल “कम अंकों से चूक” को आधार बनाया जाए, तो याचिका सफल नहीं होगी।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या सिर्फ़ कट-ऑफ से कम अंक पाने पर हाई कोर्ट पुनर्मूल्यांकन का आदेश दे सकता है?
    ➝ नहीं। जब तक कोई विशेष आरोप जैसे धोखाधड़ी, गलत मूल्यांकन या नियमों का उल्लंघन न हो, कोर्ट दखल नहीं देगा।
  • क्या उम्मीदवार को भर्ती नियमों के तहत OMR उत्तरपुस्तिका देखने का अधिकार है?
    ➝ नहीं। सामान्य स्थिति में यह अधिकार नहीं है। इस मामले में केवल कोर्ट के आदेश से OMR शीट दिखाई गई थी।
  • क्या याचिकाकर्ता का स्कोर कट-ऑफ से मेल खाता था?
    ➝ नहीं। उसका स्कोर 256.33 था जबकि कट-ऑफ 266.67 था। इसलिए नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं बनता था।

मामले का शीर्षक

CWJC No. 7532 of 2020 — Patna High Court (Forest Guard Recruitment Case)

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 7532 of 2020

उद्धरण (Citation)

2021(2) PLJR 141

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायाधीश मधुरेश प्रसाद

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री प्रवीण कुमार, अधिवक्ता
  • राज्य की ओर से: श्री राघवनंद, GA-11 तथा श्री संजय कुमार तिवारी, AC to GA-11
  • केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) की ओर से: श्री विवेक आनंद अमृतेश, अधिवक्ता

निर्णय का लिंक

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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