पटना हाई कोर्ट का फैसला: समय-सीमा से बाहर हुए GST अपील को विशेष प्रक्रिया के तहत बहाल करने का आदेश (2023)

पटना हाई कोर्ट का फैसला: समय-सीमा से बाहर हुए GST अपील को विशेष प्रक्रिया के तहत बहाल करने का आदेश (2023)

निर्णय की सरल व्याख्या

इस मामले में एक कारोबारी (याचिकाकर्ता) ने बिहार में GST अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर की थी। यह अपील उस आदेश के खिलाफ थी जिसमें कर, ब्याज और जुर्माने की मांग की गई थी। लेकिन अपीलीय प्राधिकरण ने यह कहते हुए अपील को खारिज कर दिया कि अपील समय-सीमा से बाहर है।

बिहार GST अधिनियम, 2017 की धारा 107 के अनुसार अपील दायर करने की अधिकतम अवधि 3 महीने है। यदि उचित कारण बताया जाए तो और 1 महीने की अतिरिक्त अवधि दी जा सकती है। यानी कुल 4 महीने की ही वैध सीमा है। इस सीमा से बाहर अपील दायर करने पर न तो अपीलीय प्राधिकरण और न ही हाई कोर्ट को समय बढ़ाने का अधिकार है।

याचिकाकर्ता की अपील इसी कारण से खारिज कर दी गई। लेकिन इसी बीच, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने 2 नवंबर 2023 को अधिसूचना संख्या 53/2023 – केंद्रीय कर जारी की। इस अधिसूचना में एक विशेष अवसर दिया गया था कि यदि कोई अपील 31 मार्च 2023 तक पारित आदेशों से संबंधित है और समय-सीमा निकल चुकी है, तो करदाता 31 जनवरी 2024 तक शर्तों का पालन करके अपील को वैध मानवा सकता है।

पटना हाई कोर्ट ने इसी अधिसूचना पर भरोसा करते हुए कहा कि भले ही अपील सामान्य कानून के तहत समय-सीमा से बाहर थी, लेकिन अब यह विशेष अधिसूचना लागू है। इसलिए अपील को बहाल किया जा सकता है, बशर्ते याचिकाकर्ता अधिसूचना में बताई गई सभी शर्तें समय पर पूरी करे।

इन शर्तों में शामिल था कि करदाता को –

  • जितना कर, ब्याज, जुर्माना आदि स्वीकार किया गया है, उतना पूरा जमा करना होगा।
  • बाकी बचे विवादित कर का 12.5% (अधिकतम ₹25 करोड़ तक) जमा करना होगा।
  • इस 12.5% में से कम से कम 20% राशि नकद (Electronic Cash Ledger) से जमा करनी होगी।

हाई कोर्ट ने साफ किया कि अगर याचिकाकर्ता 31 जनवरी 2024 तक यह सब नहीं करता, तो अपील फिर से खारिज मानी जाएगी।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला उन व्यापारियों और करदाताओं के लिए राहत लेकर आया है जो समय पर अपील दायर नहीं कर पाए थे। सामान्य स्थिति में समय सीमा पार हो जाने पर अपील का अधिकार हमेशा के लिए खत्म हो जाता। लेकिन सरकार ने एक बार के लिए “विशेष खिड़की” दी, ताकि करदाता अपनी अपील को बहाल कर सकें।

आम करदाताओं के लिए संदेश स्पष्ट है –

  • GST विवादों में समय सीमा बेहद सख्त है।
  • लेकिन सरकार ने 31 मार्च 2023 तक के आदेशों के लिए एक अपवाद बनाया है।
  • यदि शर्तों का पालन किया जाए तो अपील बहाल की जा सकती है और मामला मेरिट पर सुना जाएगा।

सरकार और कर प्रशासन के लिए यह फैसला इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इससे समान रूप से अधिसूचना लागू होगी और करदाताओं को न्यायिक राहत मिलेगी। इससे विवादों का समाधान प्रक्रिया के हिसाब से होगा, बिना समय-सीमा की बाधा में फंसे।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या समय-सीमा से बाहर हुई GST अपील को बहाल किया जा सकता है?
    ✔️ हां, लेकिन केवल इसलिए क्योंकि CBIC की अधिसूचना 53/2023 ने विशेष प्रावधान दिया है। अन्यथा कानून के तहत यह संभव नहीं था।
  • अधिसूचना के तहत अपील वैध बनाने की शर्तें क्या हैं?
    ✔️ मान्य कर और ब्याज का भुगतान करना होगा।
    ✔️ विवादित कर का 12.5% (₹25 करोड़ तक) जमा करना होगा।
    ✔️ इसमें से 20% नकद के रूप में जमा होना चाहिए।
    ✔️ अपील केवल उन्हीं मामलों में स्वीकार होगी जहाँ “कर” की मांग है, केवल जुर्माना या ब्याज पर नहीं।
  • हाई कोर्ट ने क्या आदेश दिया?
    ✔️ अपीलीय प्राधिकरण का खारिज करने वाला आदेश रद्द कर दिया गया और अपील को बहाल कर दिया गया।
    ✔️ लेकिन यह शर्त रखी गई कि 31 जनवरी 2024 तक सभी जमा और प्रक्रिया पूरी करनी होगी, अन्यथा अपील फिर से स्वतः खारिज मानी जाएगी।

मामले का शीर्षक

M/s Micro Zone बनाम Union of India & Ors.

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 17716 of 2023

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय मुख्य न्यायाधीश; माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

याचिकाकर्ता की ओर से: श्री अनुराग सौरव, अधिवक्ता
Union of India की ओर से: डॉ. के.एन. सिंह, ASG; श्री अंशुमान सिंह, Sr. SG, CGST & CX
राज्य कर अधिकारियों की ओर से: माननीय अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल

निर्णय का लिंक

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Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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