निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि जिन व्यापारियों या करदाताओं की अपील समय-सीमा के कारण खारिज हो गई थी, वे अब भी राहत पा सकते हैं — लेकिन केवल तभी जब वे केंद्र अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) द्वारा जारी की गई एक विशेष अधिसूचना की शर्तें पूरी कर लें।
मामला यह था कि एक करदाता ने बिहार वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 (BGST Act) की धारा 107 के तहत पहली अपील दायर की थी। लेकिन अपील सामान्य समय-सीमा से काफी देर से की गई थी। कानून के अनुसार, अपील करने की अधिकतम सीमा तीन महीने है और “पर्याप्त कारण” होने पर एक अतिरिक्त महीना बढ़ाया जा सकता है। इस सीमा के बाद अपील स्वीकार नहीं की जा सकती। इसी कारण अपीलीय प्राधिकारी ने अपील को खारिज कर दिया।
करदाता ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। अदालत ने यह माना कि सीमा अवधि (Limitation Period) सख्त होती है और सामान्य परिस्थितियों में अदालत या अपीलीय प्राधिकारी इसे आगे नहीं बढ़ा सकते।
लेकिन फिर कोर्ट ने ध्यान दिलाया कि CBIC ने 2 नवंबर 2023 को अधिसूचना संख्या 53/2023–सेंट्रल टैक्स जारी की थी। इस अधिसूचना में एक विशेष, एकमुश्त अवसर दिया गया है कि जो अपीलें धारा 73 या 74 के तहत पारित आदेशों के खिलाफ हैं (और जो आदेश 31 मार्च 2023 तक दिए गए थे), उन्हें 31 जनवरी 2024 तक दायर किया जा सकता है।
इस अधिसूचना में कुछ कठोर शर्तें रखी गई हैं, जैसे:
- अपील Form GST APL-01 में 31 जनवरी 2024 तक दायर करनी होगी।
- अपील करने वाला जितना टैक्स, ब्याज, जुर्माना या शुल्क खुद स्वीकार करता है, वह पूरी तरह जमा करना होगा।
- बाकी बचे विवादित टैक्स का 12.5% जमा करना होगा (अधिकतम ₹25 करोड़ तक)। इसमें से कम-से-कम 20% नकद (Electronic Cash Ledger) से जमा करना जरूरी है।
- तब तक कोई भी अतिरिक्त भुगतान की वापसी (Refund) नहीं होगी जब तक अपील पर अंतिम निर्णय नहीं आ जाता।
हाई कोर्ट ने कहा कि अगर करदाता ये सभी शर्तें पूरी करता है और समय सीमा (31 जनवरी 2024) तक आवश्यक राशि जमा करता है, तो उसकी अपील को वैध माना जाएगा और अपीलीय प्राधिकारी को अपील पर गुण-दोष के आधार पर सुनवाई करनी होगी। लेकिन अगर वह शर्तें पूरी नहीं करता, तो पहले वाला आदेश (अपील खारिज करने वाला) फिर से लागू हो जाएगा।
अदालत ने इस प्रकार संतुलन बनाया — एक तरफ कानून की सख्त समय-सीमा बरकरार रखी और दूसरी तरफ CBIC की विशेष अधिसूचना से करदाता को अवसर भी दिया।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला आम लोगों और व्यवसायियों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है:
- व्यापारियों और करदाताओं के लिए सबक:
अपील करने का अवसर है, लेकिन यह स्वचालित राहत नहीं है। हर करदाता को समय पर कार्यवाही करनी होगी और अधिसूचना की शर्तों का पूरा पालन करना होगा। अगर वे देर करेंगे या राशि सही तरह से जमा नहीं करेंगे, तो राहत नहीं मिलेगी। - सरकार और कर प्रशासन के लिए लाभ:
यह अधिसूचना और हाई कोर्ट का फैसला दोनों मिलकर कर प्रशासन को पुराने विवादों को निपटाने का मौका देते हैं। क्योंकि अपील केवल तभी सुनी जाएगी जब करदाता एक बड़ी अग्रिम जमा (Pre-Deposit) करेगा। इससे सरकार को राजस्व का संरक्षण भी होगा और लंबित विवादों को समाप्त करने का मार्ग भी खुलेगा। - जनहित में संदेश:
हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि कानून की समय-सीमा से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। लेकिन अगर सरकार एक विशेष नीति बनाती है (जैसे CBIC की यह अधिसूचना), तो अदालत उसका सम्मान करेगी और उसी के अनुसार राहत देगी।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या अपीलीय प्राधिकारी या हाई कोर्ट समय-सीमा बढ़ा सकते हैं?
अदालत ने कहा नहीं। कानून (धारा 107 BGST) में जो सीमा तय है, वही मान्य है। - CBIC अधिसूचना का प्रभाव क्या होगा?
यह अधिसूचना एक विशेष अवसर देती है, जिससे पुरानी और समय-सीमा से बाहर की अपीलें भी स्वीकार हो सकती हैं, लेकिन केवल सख्त शर्तों और समय पर भुगतान करने पर। - इस मामले में राहत कैसे दी गई?
हाई कोर्ट ने अपील को फिर से बहाल कर दिया, लेकिन शर्त रखी कि करदाता 31 जनवरी 2024 तक “बकाया राशि” (deficient amount) जमा करे। अगर वह ऐसा करता है तो अपील पर सुनवाई होगी, अन्यथा अपील फिर से खारिज मानी जाएगी।
मामले का शीर्षक
M/s Micro Zone बनाम Union of India एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 17716 of 2023
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश एवं माननीय श्री न्यायमूर्ति पार्थ सारथी
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री अनुराग सौरव, अधिवक्ता
- केंद्र सरकार की ओर से: डॉ. के.एन. सिंह (ASG), श्री अंशुमान सिंह (वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता, CGST & CX), एवं अन्य अधिवक्ता
निर्णय का लिंक
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