निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया है जो बिहार के कई छोटे व्यापारियों और कारोबारियों को बड़ी राहत देगा। मामला इस तरह था कि एक व्यापारी ने जीएसटी (GST) विभाग के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। लेकिन अपील 5 दिन देर से दाखिल हुई, और इसी कारण अपीलीय प्राधिकारी (Appellate Authority) ने मामले को सुने बिना ही खारिज कर दिया।
कानून के अनुसार, जीएसटी अधिनियम की धारा 107(4) में अपील दायर करने की समय-सीमा तय की गई है। अपील दाखिल करने के लिए 3 महीने का समय मिलता है और इसके बाद अधिकतम 1 महीने की अतिरिक्त छूट दी जा सकती है। मतलब कुल 4 महीने के भीतर अपील करनी जरूरी है। इसके बाद यदि अपील देर से दाखिल होती है, तो उसे स्वीकार करने का अधिकार न तो अपीलीय प्राधिकारी के पास है और न ही सामान्य तौर पर हाई कोर्ट के पास।
लेकिन इस मामले में हाई कोर्ट ने केवल तकनीकी देरी के कारण व्यापारी को न्याय से वंचित नहीं किया। अदालत ने देखा कि केंद्र सरकार ने 2 नवंबर 2023 को एक विशेष अधिसूचना (Notification No. 53/2023–Central Tax) जारी की थी। इस अधिसूचना के जरिए उन अपीलों को भी मंजूरी देने का रास्ता खोला गया जिन्हें समयसीमा चूक जाने के कारण पहले खारिज कर दिया गया था।
इस अधिसूचना के तहत, करदाता को 31 जनवरी 2024 तक जीएसटी अपील (फॉर्म GST APL-01) दाखिल करने की अनुमति दी गई है। इसके लिए शर्त रखी गई है कि करदाता को अपने बकाया टैक्स का हिस्सा जमा करना होगा, जिसमें 12.5% विवादित कर का भी अग्रिम भुगतान शामिल है।
समस्या यह थी कि इस मामले में व्यापारी का आकलन आदेश (assessment order) 27 अप्रैल 2023 को पास हुआ था, यानी अधिसूचना में तय कट-ऑफ तिथि 31 मार्च 2023 के बाद। तकनीकी रूप से देखें तो व्यापारी इस अधिसूचना के लाभ का हकदार नहीं था। लेकिन हाई कोर्ट ने माना कि जब अधिसूचना 2 नवंबर 2023 को जारी हुई, तो 31 मार्च की कट-ऑफ तिथि का कोई तार्किक आधार नहीं था। अदालत ने कहा कि अधिसूचना का उद्देश्य लोगों को राहत देना है, न कि उन्हें बाहर करना। इसलिए व्यापारी को भी इसका लाभ मिलना चाहिए।
इस आधार पर अदालत ने अपीलीय प्राधिकारी के आदेश (जिसमें अपील को केवल देरी के कारण खारिज कर दिया गया था) को रद्द कर दिया और मामला दोबारा सुनवाई के लिए वापस भेज दिया। हालांकि अदालत ने साफ कहा कि यह राहत तभी मिलेगी जब व्यापारी अधिसूचना की शर्तों का पालन करेगा। अगर शर्तें पूरी नहीं की गईं, तो पहले का खारिज आदेश फिर से लागू हो जाएगा।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला आम व्यापारियों और छोटे कारोबारियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अक्सर लोग बीमार पड़ने, जानकारी की कमी या तकनीकी कारणों से अपील दाखिल करने में कुछ दिन की देरी कर बैठते हैं। पहले ऐसी मामूली देरी के कारण उनका मामला कभी नहीं सुना जाता था। अब इस फैसले से उन्हें एक नया रास्ता मिला है कि वे अपनी अपील आगे बढ़ा सकें।
सरकार और जीएसटी विभाग के लिए भी यह फैसला संतुलित है। अदालत ने कानून में तय समय-सीमा को नहीं बदला है, बल्कि केवल केंद्र सरकार की अधिसूचना का उपयोग कर राहत दी है। इससे न तो कर वसूली पर असर पड़ेगा और न ही करदाता बिना शर्त राहत पा जाएंगे। बल्कि उन्हें अपील दाखिल करते समय विवादित कर का हिस्सा जमा करना होगा।
इस तरह यह फैसला न्याय और प्रशासन दोनों के लिए व्यावहारिक संतुलन पेश करता है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या अपीलीय प्राधिकारी या हाई कोर्ट धारा 107(4) में दी गई समय-सीमा से अधिक देरी को माफ कर सकते हैं?
निर्णय: नहीं। कानून में केवल 3 महीने + 1 महीने की सीमा है। इसके आगे देरी माफ नहीं की जा सकती। - क्या केंद्र सरकार की अधिसूचना (Notification No. 53/2023) का लाभ उस व्यापारी को मिल सकता है जिसका आदेश 31 मार्च 2023 के बाद पास हुआ?
निर्णय: हाँ। अदालत ने कहा कि कट-ऑफ तिथि का कोई उचित आधार नहीं है और अधिसूचना का उद्देश्य राहत देना है, इसलिए व्यापारी को भी इसका लाभ मिलेगा। - परिणामस्वरूप व्यापारी को क्या राहत दी गई?
निर्णय: अपीलीय प्राधिकारी का खारिज आदेश रद्द किया गया और मामला नए सिरे से सुना जाएगा, बशर्ते व्यापारी अधिसूचना की शर्तें पूरी करे।
मामले का शीर्षक
M/s Prince Sanitation, Gandhi Path, Ward No. 8, Saharsa through its Proprietor v. The State of Bihar & Ors.
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 17202 of 2023.
माननीय न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश (K. Vinod Chandran) और माननीय न्यायमूर्ति राजीव रॉय
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
याचिकाकर्ता की ओर से: श्री ज्ञान शंकर, अधिवक्ता; श्री अभिनव आलोक, अधिवक्ता
राज्य की ओर से: श्री रघवनंद, सरकारी अधिवक्ता-11; श्री प्रतीक कुमार, सहायक अधिवक्ता
निर्णय का लिंक
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