पटना हाईकोर्ट ने GST अपील में देरी पर राहत दी — 2023

पटना हाईकोर्ट ने GST अपील में देरी पर राहत दी — 2023

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा जारी विशेष नोटिफिकेशन का लाभ उन लोगों को भी मिलना चाहिए जिनकी GST अपील थोड़ी सी देरी से दाखिल हुई थी। इस मामले में याचिकाकर्ता ने वैधानिक अपील दाखिल की थी लेकिन यह 5 दिन की देरी से हुई थी। कानून के अनुसार, तीन महीने का समय अपील दायर करने के लिए होता है और एक अतिरिक्त महीना अदालत द्वारा माफ किया जा सकता है। लेकिन उसके बाद कोई भी विलंब माफ नहीं किया जा सकता। इसी कारण अपील को स्वीकार करने से मना कर दिया गया था।

हाईकोर्ट ने कहा कि सामान्य स्थिति में अदालतें इस सीमा से आगे जाकर समय नहीं बढ़ा सकतीं। लेकिन केंद्र सरकार ने 2 नवंबर 2023 को नोटिफिकेशन संख्या 53/2023- Central Tax जारी किया था। इस नोटिफिकेशन में कहा गया कि जिन लोगों की अपील केवल देरी के कारण खारिज हुई है, या जिन्होंने समय पर अपील दाखिल नहीं की, वे 31 जनवरी 2024 तक नई प्रक्रिया के तहत अपील कर सकते हैं।

इसके लिए कुछ शर्तें रखी गईं, जैसे कि पूरा स्वीकृत टैक्स भुगतान करना और विवादित टैक्स का 12.5% जमा करना (जिसमें से कम से कम 20% राशि Electronic Cash Ledger से देना आवश्यक है)।

मामले में चुनौती यह थी कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आदेश 27 अप्रैल 2023 को पारित हुआ था, जबकि नोटिफिकेशन में केवल 31 मार्च 2023 तक के आदेशों को शामिल किया गया था। इसका मतलब यह हुआ कि अप्रैल 2023 के आदेश वाले लोग इस राहत से बाहर हो गए।

अदालत ने इस पर गहराई से विचार किया और कहा कि जब नोटिफिकेशन नवंबर 2023 में आया, तब मार्च 2023 की सीमा तय करना तर्कसंगत नहीं है। अदालत ने माना कि ऐसे मामले जहां आदेश मार्च 2023 के बाद भी पारित हुए हों, लेकिन अपील का समय अभी-अभी समाप्त हुआ हो, उन्हें भी यह लाभ मिलना चाहिए।

इसलिए अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता नोटिफिकेशन में दी गई शर्तों का पालन करता है, तो उसकी अपील पर पुनः विचार किया जाए। अगर वह शर्तें पूरी नहीं करता तो पुराना आदेश वैसा ही लागू रहेगा।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

  1. आम जनता के लिए महत्व:
    • बहुत से करदाता ऐसे थे जिनकी अपील सिर्फ कुछ दिनों की देरी से खारिज हो गई थी। इस फैसले से उन्हें फिर से अपील करने का मौका मिलेगा।
    • इससे यह सुनिश्चित होगा कि विवादों का निपटारा मेरिट के आधार पर हो, न कि तकनीकी खामियों पर।
  2. सरकार के लिए महत्व:
    • यह फैसला सरकार की उस मंशा को समर्थन देता है जिसमें पुराने और समयबद्ध विवादों को समाप्त करना शामिल है।
    • साथ ही, सरकार को टैक्स का एक बड़ा हिस्सा अग्रिम जमा के रूप में मिलेगा, जिससे राजस्व सुरक्षित रहेगा।
  3. न्यायालय और अपीलीय प्राधिकरण के लिए महत्व:
    • यह फैसला यह संदेश देता है कि लाभकारी स्कीमों को उद्देश्यपूर्ण ढंग से लागू किया जाना चाहिए।
    • यदि कोई तिथि मनमाने ढंग से तय कर दी जाती है और उससे समान परिस्थितियों वाले लोगों के बीच भेदभाव होता है, तो अदालतें हस्तक्षेप कर सकती हैं।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या 5 दिन की देरी से दायर अपील को विशेष नोटिफिकेशन के तहत पुनर्जीवित किया जा सकता है?
    निर्णय: हां, बशर्ते कि याचिकाकर्ता नोटिफिकेशन की सभी शर्तें पूरी करे।
  • धारा 107(4) BGST के तहत विलंब माफी की अधिकतम सीमा क्या है?
    निर्णय: तीन महीने + एक अतिरिक्त महीना। उसके बाद कोई भी विलंब माफ नहीं किया जा सकता।
  • नोटिफिकेशन 53/2023 की सीमा (31 मार्च 2023) क्या वैध है?
    निर्णय: अदालत ने कहा कि इस सीमा का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है और अप्रैल 2023 जैसे मामलों में भी लाभ मिलना चाहिए।
  • व्यावहारिक निर्देश:
    निर्णय: यदि याचिकाकर्ता शर्तें पूरी करता है तो अपील पर विचार होगा; अन्यथा पुराना आदेश लागू रहेगा।

मामले का शीर्षक
M/s Pramod Kumar Mehta v. Union of India & Ors.

केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 17214 of 2023

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश; माननीय न्यायमूर्ति राजीव रॉय

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
याचिकाकर्ता की ओर से: श्री अनुराग सौरव, अधिवक्ता; श्री अभिनव आलोक, अधिवक्ता
राज्य की ओर से: श्री विवेक प्रसाद (GP-7), सुश्री रॉना (AC to GP-7), श्री संजय कुमार (AC to GP-7), सुश्री मनीषा सिंह (AC to GP-7), सुश्री सुप्रज्ञा (AC to GP-7)
संघ की ओर से: डॉ. के. वी. सिंह (ASG), श्री अंशुमन सिंह (Sr. SG CGST)

निर्णय का लिंक
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Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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