निर्णय की सरल व्याख्या
इस मामले में एक ट्रेडिंग व्यवसायी ने बिहार राज्य कर विभाग द्वारा लिए गए कुछ कठोर फैसलों को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कर विभाग ने व्यवसायी द्वारा खरीदी गई वस्तुओं पर किए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के दावे को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि संबंधित सप्लायर (JVL Agro Industries Ltd.) ने वर्ष 2017-18 में अपने मासिक GSTR-3B रिटर्न दाखिल नहीं किए थे।
इसके आधार पर विभाग ने BGST अधिनियम की धारा 16(2)(c) का उल्लंघन मानते हुए ₹8,43,770/- का टैक्स, ब्याज और जुर्माना लगाया और DRC-07 फॉर्म के तहत नोटिस जारी किया। इसके बाद DRC-13 के जरिए व्यवसायी का बैंक खाता सील कर ₹13,30,464/- वसूलने का निर्देश दिया गया।
व्यवसायी ने कोर्ट से इन सभी आदेशों को रद्द करने और बैंक खाता बहाल करने की मांग की। सरकार की ओर से पेश वकील ने भी कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं यदि मामला पुनः जांच के लिए आकलन अधिकारी को भेजा जाए।
माननीय मुख्य न्यायाधीश ने पाया कि विभाग ने इस मामले में कुछ गंभीर प्रक्रियागत चूकें की हैं:
- बिना व्यवसायी को सुने ही आदेश पारित कर दिया गया (ex parte आदेश)।
- व्यवसायी को अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया।
- आदेश में कोई ठोस कारण या गणना स्पष्ट नहीं की गई कि यह राशि कैसे तय की गई।
इन कारणों से कोर्ट ने पाया कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है और ऐसे मामलों में हाई कोर्ट हस्तक्षेप कर सकता है। अतः सभी आदेशों को रद्द करते हुए मामले को पुनः विचारार्थ संबंधित अधिकारी को सौंप दिया गया।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि व्यवसायी को 20% टैक्स राशि अग्रिम रूप से जमा करनी होगी, जो अंतिम निर्णय के अनुसार समायोजित या लौटाई जा सकती है। साथ ही व्यवसायी के बैंक खाते को तुरंत बहाल करने का आदेश दिया गया और निर्देश दिया गया कि नए आदेश तक कोई वसूली नहीं की जाए।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला छोटे व्यापारियों के लिए राहतभरा संदेश है कि कर विभाग कोई भी कार्रवाई करते समय नियमों और प्रक्रिया का पालन करे। बिना सुनवाई के टैक्स वसूली या खाता सील करना कोर्ट द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा।
इस फैसले से कर अधिकारियों को भी यह सीख मिलती है कि तकनीकी आधार पर ITC खारिज करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि प्रत्येक केस का तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर निष्पक्ष मूल्यांकन आवश्यक है।
सरकार के लिए यह एक चेतावनी है कि यदि कर वसूली कानून के अनुरूप नहीं हुई, तो उसे न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या सप्लायर द्वारा GSTR-3B दाखिल न करने पर क्रेता का ITC खारिज किया जा सकता है?
→ मामला पुनर्विचार के लिए भेजा गया। - क्या बिना सुनवाई के बैंक खाता जब्त करना वैध है?
→ आदेश रद्द, यह प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन था। - क्या BGST की धारा 73(9) के तहत बिना सुनवाई के कार्रवाई की जा सकती है?
→ नहीं, आदेश में स्पष्ट कारण और सुनवाई जरूरी है। - क्या हाई कोर्ट वैकल्पिक उपाय के बावजूद हस्तक्षेप कर सकता है?
→ हां, जब न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन हो।
मामले का शीर्षक
M/s Sandeep Traders बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No.17286 of 2022
उद्धरण (Citation)– 2023 (1) PLJR 674
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल
माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री अनुराग सौरव — याचिकाकर्ता की ओर से
श्री विवेक प्रसाद (GP7) — राज्य की ओर से
निर्णय का लिंक
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