GST इनपुट टैक्स क्रेडिट पर गलत तरीके से वसूली: पटना हाई कोर्ट ने व्यापारी के पक्ष में सुनाया फैसला

GST इनपुट टैक्स क्रेडिट पर गलत तरीके से वसूली: पटना हाई कोर्ट ने व्यापारी के पक्ष में सुनाया फैसला

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाई कोर्ट ने एक अहम मामले में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) को लेकर व्यापारी को राहत दी है। इस मामले में एक स्थानीय व्यापारी ने एक मान्यता प्राप्त सप्लायर से माल खरीदा और GST चुकाया। लेकिन राज्य कर विभाग ने यह कहते हुए ITC का दावा खारिज कर दिया कि सप्लायर ने जुलाई 2017 से मार्च 2018 तक GSTR-3B रिटर्न दाखिल नहीं किया।

इसके बाद विभाग ने ₹8.43 लाख टैक्स, ब्याज और पेनल्टी के रूप में वसूलने के लिए व्यापारी के बैंक खाते को सील कर दिया और वसूली के लिए DRC-07 और DRC-13 जैसे आदेश जारी कर दिए।

व्यापारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की और इन सभी आदेशों को रद्द करने की मांग की। कोर्ट ने पाया कि टैक्स विभाग ने व्यापारी को अपनी बात रखने का पूरा मौका नहीं दिया और आदेश बिना सुनवाई (ex parte) के ही पारित कर दिए। साथ ही, आदेश में यह भी स्पष्ट नहीं किया गया कि ₹8.43 लाख की रकम कैसे तय की गई।

कोर्ट ने कहा कि इस तरह का एकतरफा आदेश न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। न्यायालय ने सभी संबंधित आदेशों को रद्द कर दिया और नए सिरे से जांच के लिए मामला कर निर्धारण अधिकारी (Assessing Officer) को भेज दिया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि व्यापारी के बैंक खाते को तुरंत खोल दिया जाए।

हालांकि, व्यापारी को चार सप्ताह के भीतर मांगी गई राशि का 20% जमा करना होगा — अगर पहले से कुछ राशि जमा हो चुकी है तो उसे समायोजित किया जाएगा। नया निर्धारण दो महीने के भीतर पूरा करना होगा और सभी पक्षों को पर्याप्त सुनवाई का मौका दिया जाएगा।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला न्याय के मूल सिद्धांतों को दोहराता है — कि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई से पहले उसे सुनवाई का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए। टैक्स मामलों में भी प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पक्षों को उचित सूचना दी जाए और निर्णय उचित कारणों के आधार पर लिया जाए।

इस फैसले से बिहार के छोटे कारोबारियों और व्यापारियों को राहत मिलेगी, जो अक्सर तकनीकी कारणों से टैक्स नियमों के जाल में फंस जाते हैं। अगर व्यापारी ने ईमानदारी से टैक्स अदा किया है, तो सप्लायर की गलती के लिए उसे दंडित नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी आदेशों में स्पष्टीकरण (speaking order) होना चाहिए और किसी का बैंक खाता बिना कारण बताए सील नहीं किया जा सकता। डिजिटल माध्यम से सुनवाई की अनुमति देने का निर्देश भी पारदर्शिता और गति को बढ़ावा देता है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या सप्लायर द्वारा रिटर्न नहीं भरने पर खरीदार का ITC रद्द किया जा सकता है?
    कोर्ट ने कहा: खरीदार को बिना सुनवाई ITC से वंचित करना न्याय विरोधी है।
  • क्या बिना सुनवाई के दिया गया टैक्स आदेश वैध है?
    कोर्ट ने कहा: नहीं, ऐसा आदेश कानून की दृष्टि से गलत है।
  • क्या बैंक खाता बिना सूचना के जब्त किया जा सकता है?
    कोर्ट ने कहा: नहीं, यह अनुचित है।
  • कोर्ट का आदेश:
    ➤ सभी आदेश रद्द; मामला नए सिरे से जांच के लिए भेजा गया; बैंक खाता खोलने का आदेश दिया गया।

मामले का शीर्षक

M/S Sandeep Traders बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 17286 of 2022

उद्धरण (Citation)- 2023 (1) PLJR 674

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल
माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

श्री अनुराग सौरव, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
श्री विवेक प्रसाद (GP7) — प्रतिवादी की ओर से

निर्णय का लिंक

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“यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।”

Samridhi Priya

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