पटना हाई कोर्ट का फैसला: बिना सुनवाई के पारित जीएसटी आदेश को रद्द किया गया

पटना हाई कोर्ट का फैसला: बिना सुनवाई के पारित जीएसटी आदेश को रद्द किया गया

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक कारोबारी संस्था के पक्ष में निर्णय सुनाया है, जिसने जीएसटी कानून के तहत पारित एकतरफा टैक्स निर्धारण आदेश को चुनौती दी थी। कोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया क्योंकि यह आदेश “प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों” का पालन किए बिना पारित किया गया था।

इस मामले में याचिकाकर्ता एक पंजीकृत व्यापारिक संस्था है जिसे 09.01.2021 को जीएसटी फॉर्म DRC-07 के तहत टैक्स आदेश जारी किया गया। यह आदेश बिना समुचित सुनवाई के पारित किया गया और बैंक खाता भी फ्रीज कर दिया गया था, जिससे व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा।

राज्य सरकार के अधिवक्ता ने यह स्पष्ट किया कि उन्हें इस आदेश को फिर से विचार के लिए भेजे जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद अदालत ने पाया कि यद्यपि जीएसटी कानून में वैकल्पिक उपाय उपलब्ध हैं, लेकिन जब आदेश स्पष्ट रूप से अनुचित हो या सुनवाई के बिना पारित किया गया हो, तब हाई कोर्ट हस्तक्षेप कर सकता है।

अदालत ने दो मुख्य खामियाँ बताईं:

  1. याचिकाकर्ता को सुनवाई का उचित अवसर नहीं दिया गया।
  2. आदेश में यह स्पष्ट नहीं था कि कितनी राशि और किस आधार पर देय है।

इसलिए, अदालत ने उस आदेश को रद्द कर दिया और नए सिरे से सुनवाई का निर्देश दिया। साथ ही, याचिकाकर्ता को कुल माँगी गई राशि का 20% चार सप्ताह के भीतर जमा करने का निर्देश दिया गया, और बैंक खाता तुरंत खोलने का आदेश दिया गया।

सुनवाई के लिए याचिकाकर्ता को 2 जनवरी 2023 को सुबह 10:30 बजे उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। कर निर्धारण अधिकारी को दो महीने के भीतर नए आदेश पारित करने होंगे, जिसमें सभी पक्षों को सुनवाई का पूरा अवसर मिलेगा।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय बिहार और भारत के अन्य हिस्सों में छोटे-मध्यम व्यापारियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जीएसटी विभाग द्वारा जल्दबाज़ी में पारित आदेशों के खिलाफ यह एक मिसाल है कि हर टैक्स निर्धारण आदेश न्यायसंगत, पारदर्शी और कानूनी होना चाहिए।

इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि यदि टैक्स विभाग बिना सुनवाई के या अस्पष्ट आधार पर कार्रवाई करता है, तो अदालत हस्तक्षेप कर सकती है। यह कारोबारी समुदाय को आश्वस्त करता है कि उनके पास न्याय प्राप्त करने का अधिकार सुरक्षित है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या बिना सुनवाई के जीएसटी आदेश को रद्द किया जा सकता है?
    ✔ हाँ, कोर्ट ने प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन के कारण आदेश रद्द किया।
  • क्या हाई कोर्ट वैकल्पिक उपाय होते हुए भी हस्तक्षेप कर सकता है?
    ✔ हाँ, जब आदेश स्पष्ट रूप से गलत हो।
  • अब आगे की प्रक्रिया क्या होगी?
    ✔ याचिकाकर्ता 20% राशि जमा करेगा, नया आदेश पारदर्शिता के साथ दो महीने में पारित होगा।

मामले का शीर्षक
M/s Ghar Ghar Ki Awaz बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No.16160 of 2022

उद्धरण (Citation)– 2023 (1) PLJR 278

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल
माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री पवन कुमार सिंह — याचिकाकर्ता की ओर से
श्री विकास कुमार (SC-11) — प्रतिवादियों की ओर से

निर्णय का लिंक
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“यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।”

Samridhi Priya

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