पटना हाई कोर्ट का फैसला: जीएसटी जांच में बिना सुनवाई के पारित आदेश अवैध – 2021

पटना हाई कोर्ट का फैसला: जीएसटी जांच में बिना सुनवाई के पारित आदेश अवैध – 2021

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना उच्च न्यायालय ने 7 जून 2021 को एक महत्वपूर्ण फैसला दिया, जिसमें यह कहा गया कि बिना सुनवाई का मौका दिए कर अधिकारी द्वारा पारित आदेश (ex parte order) प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और इसलिए अवैध है।

यह मामला बिहार वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम (Bihar GST Act, 2017) से जुड़ा था। याचिकाकर्ता ने कर निर्धारण अधिकारी द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें बिना उचित नोटिस या सुनवाई के उसके खाते को जब्त कर लिया गया था और कर की मांग तय कर दी गई थी।

यह सुनवाई माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और माननीय न्यायमूर्ति एस. कुमार की खंडपीठ द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई, क्योंकि उस समय कोविड-19 महामारी का दौर चल रहा था।

मामले की पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता एक पंजीकृत व्यापारी था। 8 मार्च 2020 को राज्य कर सहायक आयुक्त, सुपौल (पूर्णिया) ने धारा 73, बिहार जीएसटी अधिनियम, 2017 के तहत एक आदेश पारित किया और Form DRC-07 जारी किया।

यह आदेश एकतरफा (ex parte) रूप से पारित किया गया था, यानी व्यापारी को अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया गया था। इसके बाद उसके बैंक खाते भी जब्त कर लिए गए।

याचिकाकर्ता ने अदालत में कहा कि:

  • उसे अपनी बात रखने का उचित मौका नहीं मिला;
  • आदेश में कोई ठोस कारण या गणना नहीं बताई गई;
  • बैंक खाता जब्त करना अनुचित और असंगत है;
  • यह आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।

राज्य की ओर से तर्क दिया गया कि व्यापारी के पास वैकल्पिक उपाय है — वह अपील दाखिल कर सकता है, इसलिए सीधे हाई कोर्ट नहीं आना चाहिए।

न्यायालय का विश्लेषण

न्यायालय ने कहा कि भले ही अपील का वैधानिक प्रावधान मौजूद हो, लेकिन यदि आदेश प्राकृतिक न्याय के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, तो हाई कोर्ट को हस्तक्षेप करने का पूरा अधिकार है।

कोर्ट ने पाया कि—

  1. आदेश एकतरफा था, जिसमें उचित सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।
  2. आदेश में कोई कारण दर्ज नहीं किया गया कि कर की राशि कैसे तय की गई।
  3. इससे व्यापारी के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

इस प्रकार, अदालत ने माना कि ऐसा आदेश कानूनी दृष्टि से अवैध है।

न्यायालय के निर्देश

न्यायालय ने न केवल कर अधिकारी का आदेश रद्द किया बल्कि बैंक खाते को भी तत्काल मुक्त करने (de-freeze) का आदेश दिया। साथ ही, कुछ व्यावहारिक निर्देश भी दिए गए—

  1. आदेश रद्द: 8 मार्च 2020 को पारित आदेश और DRC-07 सारांश को निरस्त किया गया।
  2. जमानत जमा: याचिकाकर्ता द्वारा पहले से जमा 10% राशि स्वीकार की गई और शेष 10% राशि चार सप्ताह में जमा करने का निर्देश दिया गया।
  3. बैंक खाता खोलने का आदेश: कर विभाग को निर्देश दिया गया कि व्यापारी के सभी खाते तुरंत चालू किए जाएँ।
  4. नए सिरे से सुनवाई: कर निर्धारण अधिकारी को नया आदेश पारित करने के लिए कहा गया, जिसमें याचिकाकर्ता को पूरा अवसर दिया जाए।
  5. सुनवाई की तिथि: व्यापारी को 21 जुलाई 2021 को सुबह 10:30 बजे उपस्थित होने को कहा गया, यदि संभव हो तो डिजिटल माध्यम से।
  6. निर्णय की समय सीमा: अधिकारी को दो महीने के भीतर नया आदेश पारित करने का निर्देश।
  7. अपील का अधिकार सुरक्षित: दोनों पक्षों को आगे अपील करने की स्वतंत्रता दी गई।
  8. कोविड के मद्देनजर: सुनवाई यथासंभव डिजिटल मोड में करने का सुझाव दिया गया।

न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मामले के मूल मुद्दों (merits) पर कोई राय नहीं दे रही है।

निर्णय का महत्व और प्रभाव

यह फैसला न केवल जीएसटी मामलों में बल्कि सभी प्रशासनिक कार्रवाइयों में “प्राकृतिक न्याय” के महत्व को दोहराता है।

  • सुनवाई का अधिकार: किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कर निर्धारण या दंडात्मक आदेश बिना सुनवाई के पारित नहीं किया जा सकता।
  • स्पष्ट कारण आवश्यक: प्रत्येक आदेश में कारण और गणना स्पष्ट होनी चाहिए।
  • न्यायिक हस्तक्षेप संभव: यदि किसी आदेश में प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन हो, तो अपील का विकल्प होते हुए भी हाई कोर्ट हस्तक्षेप कर सकता है।
  • बैंक खाते की सुरक्षा: कर वसूली के लिए खाते जब्त करने से पहले उचित प्रक्रिया और संतुलन जरूरी है।
  • डिजिटल न्याय: कोविड काल में अदालतों द्वारा डिजिटल सुनवाई का प्रोत्साहन पारदर्शिता और गति का प्रतीक है।

यह निर्णय बिहार के करदाताओं और व्यवसायियों के लिए यह भरोसा देता है कि न्यायालय नागरिकों के प्रक्रिया-संबंधी अधिकारों की रक्षा के लिए तत्पर है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • मुद्दा 1: क्या अपील का विकल्प होने पर भी हाई कोर्ट हस्तक्षेप कर सकता है?
    • निर्णय: हाँ, यदि आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता हो।
  • मुद्दा 2: क्या बिना सुनवाई के पारित GST आदेश वैध है?
    • निर्णय: नहीं, ऐसा आदेश स्वतः अवैध है।
  • मुद्दा 3: क्या बैंक खाता जब्ती जारी रह सकती है?
    • निर्णय: नहीं, अदालत ने खाते तुरंत खोलने का आदेश दिया।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

(इस मामले में कोई विशेष पूर्व निर्णय उद्धृत नहीं किया गया, पर न्यायालय ने “प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन” पर आधारित सामान्य न्याय सिद्धांतों का पालन किया।)

मामले का शीर्षक

याचिकाकर्ता बनाम राज्य कर सहायक आयुक्त, सुपौल एवं अन्य

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 7901 of 2021

उद्धरण (Citation)

2021(3) PLJR 2

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल
माननीय न्यायमूर्ति एस. कुमार

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री गौतम कुमार केजरीवाल एवं श्री आलोक कुमार झा
  • प्रतिवादी की ओर से: डॉ. के.एन. सिंह (ए.एस.जी.), श्री अंशुमान सिंह (वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता, सीजीएसटी एवं सीएक्स), श्री विकास कुमार (एससी-11)

निर्णय का लिंक

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjNzkwMSMyMDIxIzEjTg==-OYoKWbu9YRQ=

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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