जीएसटी पंजीकरण रद्द करने का आदेश पटना उच्च न्यायालय द्वारा रद्द – न्यायसंगत सुनवाई के बिना लिया गया था फैसला

जीएसटी पंजीकरण रद्द करने का आदेश पटना उच्च न्यायालय द्वारा रद्द – न्यायसंगत सुनवाई के बिना लिया गया था फैसला

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में उस याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसका जीएसटी पंजीकरण बिना पर्याप्त सुनवाई के रद्द कर दिया गया था। यह मामला पूर्णिया जिले की एक ईंट निर्माता फर्म से जुड़ा था। याचिकाकर्ता ने दो मुख्य बातों को चुनौती दी: पहला, उसका जीएसटी पंजीकरण एकतरफा तरीके से रद्द कर दिया गया, और दूसरा, उसकी अपील तकनीकी कारणों से खारिज कर दी गई।

याचिकाकर्ता का कहना था कि 19 दिसंबर 2019 को संयुक्त राज्य कर आयुक्त, पूर्णिया द्वारा उसके पंजीकरण को रद्द कर दिया गया। विभाग ने यह दर्ज किया कि कारण बताओ नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया गया, जबकि याचिकाकर्ता ने वास्तव में जवाब दिया था। इतना ही नहीं, आदेश में न तो याचिकाकर्ता की प्रतिक्रिया का कोई उल्लेख था और न ही किसी कारण का स्पष्ट उल्लेख। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन था।

जब याचिकाकर्ता ने इस आदेश के खिलाफ अपील की, तो अतिरिक्त आयुक्त (अपील) ने यह कह कर अपील को खारिज कर दिया कि यह 90 दिनों की समय सीमा के बाद दायर की गई थी और प्रमाणित प्रति नहीं दी गई थी। इन तकनीकी त्रुटियों को अस्वीकार करने का आधार बना दिया गया, जबकि वास्तव में न तो कोई कर बकाया था और न ही स्पष्ट कारण से पंजीकरण रद्द किया गया था।

अदालत ने यह माना कि जीएसटी पंजीकरण रद्द होने से गंभीर नागरिक और दंडात्मक परिणाम हो सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि आदेश अत्यंत संक्षिप्त था और उसमें कोई ठोस कारण नहीं बताया गया था। यह भी सामने आया कि याचिकाकर्ता 2017 से नियमित रूप से रिटर्न दाखिल कर रहा था और सभी बकाया कर चुका था। कोविड-19 महामारी के दौरान कुछ समय के लिए रिटर्न अपलोड नहीं हो पाए, जो याचिकाकर्ता के नियंत्रण से बाहर था।

इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, पटना उच्च न्यायालय ने 19 दिसंबर 2019 का रद्दीकरण आदेश निरस्त कर दिया और याचिकाकर्ता का जीएसटी पंजीकरण बहाल कर दिया। कोर्ट ने कर विभाग को निर्देश दिया कि वे कानून के अनुसार आगे की प्रक्रिया करें और रिटर्न में हुई देरी को अब मुद्दा न बनाएं।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला विशेष रूप से छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसायों (SMEs) के लिए राहतदायक है, जो कोविड-19 जैसी असाधारण परिस्थितियों के कारण तकनीकी चूक का सामना कर रहे थे। यह निर्णय यह स्पष्ट करता है कि किसी भी व्यवसाय का जीएसटी पंजीकरण केवल तकनीकी या औपचारिक कारणों से रद्द नहीं किया जा सकता, जब तक कि उसे निष्पक्ष सुनवाई का अवसर न दिया जाए।

यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि कर प्राधिकरणों को नियमों के पालन के साथ-साथ न्यायसंगत प्रक्रिया का भी सम्मान करना चाहिए, विशेष रूप से जब उसका प्रभाव गंभीर हो।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या बिना सुनवाई के जीएसटी पंजीकरण रद्द किया जा सकता है?
    • निर्णय: नहीं। प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन मानते हुए आदेश रद्द किया गया।
  • क्या अपील में देरी और प्रमाणित प्रति की अनुपस्थिति substantive न्याय को बाधित कर सकती है?
    • निर्णय: नहीं। कोर्ट ने तकनीकी त्रुटियों को नजरअंदाज करते हुए न्याय को प्राथमिकता दी।
  • क्या कोविड-19 के कारण हुई चूक के आधार पर पंजीकरण रद्द किया जा सकता है?
    • निर्णय: नहीं। कोर्ट ने कोविड को एक मान्य कारण माना।

मामले का शीर्षक
M/s Best Bricks बनाम भारत संघ एवं अन्य

केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 16203 of 2022

उद्धरण (Citation)– 2023 (1) PLJR 203

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल
माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री अनुराग सौरव, अधिवक्ता – याचिकाकर्ता की ओर से
श्री अभिनव आलोक, अधिवक्ता – याचिकाकर्ता की ओर से
श्री विवेक प्रसाद, सरकारी अधिवक्ता-7 – प्रतिवादियों की ओर से

निर्णय का लिंक
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“यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।”

Samridhi Priya

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