व्यक्तिगत सुनवाई के बिना GST निर्धारण रद्द – पटना हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

व्यक्तिगत सुनवाई के बिना GST निर्धारण रद्द – पटना हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला देते हुए कहा है कि यदि किसी व्यापारी या नागरिक के खिलाफ GST कानून के तहत टैक्स निर्धारण (Assessment) किया जाता है, तो उसे सुनवाई का पूरा मौका देना अनिवार्य है। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो पूरा आदेश रद्द किया जा सकता है।

इस मामले में एक व्यापारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उसने बताया कि उसके खिलाफ 30 अगस्त 2023 को टैक्स निर्धारण आदेश पारित किया गया, लेकिन उसे अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया। खासतौर पर, GST कानून की धारा 75(4) के तहत यह ज़रूरी है कि यदि किसी व्यक्ति पर टैक्स या जुर्माना लगाया जा रहा है, तो उसे व्यक्तिगत सुनवाई (Personal Hearing) दी जाए।

कोर्ट ने इस बात को गंभीरता से लिया और माना कि विभाग ने व्यापारी को कोई व्यक्तिगत सुनवाई का नोटिस नहीं भेजा था। यह कानून की प्रक्रिया का उल्लंघन है। इसलिए कोर्ट ने उस टैक्स निर्धारण आदेश और उससे संबंधित Form GST DRC-07 को रद्द कर दिया।

हालांकि कोर्ट ने पूरा मामला समाप्त नहीं किया। उसने इस आदेश को केवल इसलिए रद्द किया क्योंकि सुनवाई का मौका नहीं दिया गया था। अब यह मामला पुनः संबंधित अधिकारी (Assessing Officer) को भेजा गया है। व्यापारी को 15 जनवरी 2025 को संबंधित अधिकारी के सामने उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। अधिकारी को आदेश दिया गया है कि वह व्यापारी की सुनवाई कर, तीन महीने के भीतर या तय सीमा के अनुसार नया आदेश पारित करें।

यह निर्णय बताता है कि ऑनलाइन प्रणाली के बावजूद, कानूनी प्रक्रिया में सुनवाई का अधिकार अब भी सबसे अहम है।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला बिहार सहित पूरे भारत में व्यापारियों और टैक्सदाताओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि यदि टैक्स विभाग कानून की तय प्रक्रिया का पालन नहीं करता—जैसे कि सुनवाई का अवसर देना—तो कोर्ट हस्तक्षेप कर सकता है और आदेश को रद्द कर सकता है।

सरकारी विभागों के लिए यह संदेश है कि कानून की प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है, चाहे मामला ऑनलाइन हो या ऑफलाइन। इससे सरकारी कार्यवाही में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी और जनता का भरोसा भी कायम रहेगा।

यह फैसला आने वाले समय में उन मामलों में उद्धृत किया जा सकता है, जहाँ टैक्स निर्धारण में प्रक्रिया की अनदेखी की गई हो।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या व्यक्तिगत सुनवाई के बिना पारित किया गया GST आदेश वैध है?
    • निर्णय: नहीं, आदेश रद्द किया गया।
    • कारण: GST कानून की धारा 75(4) के तहत व्यक्तिगत सुनवाई देना अनिवार्य है। विभाग ने इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
  • क्या पहले के फैसले (Barhonia Engicon Pvt. Ltd. केस) के आधार पर यह आदेश बच सकता था?
    • निर्णय: नहीं, क्योंकि वह फैसला केवल limitation (समय सीमा) से जुड़ा था, जबकि इस मामले में प्रक्रिया की अनदेखी हुई थी।
  • कोर्ट ने क्या उपाय दिया?
    • निर्णय: मामला फिर से संबंधित टैक्स अधिकारी को भेजा गया ताकि वह सुनवाई के बाद नया आदेश पारित कर सकें।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय [यदि कोई हो]

  • M/s Barhonia Engicon Pvt. Ltd. बनाम Union of India, निर्णय दिनांक 27.11.2024

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय [यदि कोई हो]

  • M/s Barhonia Engicon Pvt. Ltd. बनाम Union of India, निर्णय दिनांक 27.11.2024

मामले का शीर्षक
Niranjan Kumar Mishra बनाम The Union of India एवं अन्य

केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 9205 of 2024

न्यायमूर्ति गण का नाम (‘माननीय’ से शुरू करें)
माननीय मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन
माननीय श्री न्यायाधीश पार्थ सारथी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री अमन राजा, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
डॉ. के.एन. सिंह (ASG), श्री अंशुमान सिंह (Sr. SC, CGST & CX), श्री विवेक प्रसाद (GP-7) — प्रतिवादीगण की ओर से

निर्णय का लिंक
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“यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।”

Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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