निर्णय की सरल व्याख्या
पटना उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया कि जीएसटी (GST) विभाग को किसी भी मूल्यांकन आदेश (Assessment Order) पारित करने से पहले संबंधित व्यक्ति को व्यक्तिगत सुनवाई (Personal Hearing) देना अनिवार्य है। यदि यह नहीं किया गया, तो ऐसा आदेश वैधानिक प्रक्रिया के उल्लंघन में माना जाएगा।
यह मामला एक प्राइवेट फर्म से जुड़ा था, जो पटना स्थित एक जीएसटी रजिस्टर्ड व्यवसाय है। फर्म ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए यह कहा कि राज्य कर विभाग ने दिनांक 4 मई 2024 को जो मूल्यांकन आदेश पारित किया है, वह बिना किसी पूर्व सूचना या व्यक्तिगत सुनवाई के जारी कर दिया गया, जो जीएसटी कानून की धारा 75(4) का स्पष्ट उल्लंघन है।
न्यायालय ने इस मामले में पाया कि मूल्यांकन आदेश को पारित करने से पहले याचिकाकर्ता को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया था। जबकि कानून के अनुसार, कर अधिकारी को मूल्यांकन के पहले संबंधित पक्ष को नोटिस भेजकर व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर देना चाहिए।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी दलील दी गई थी कि इस आदेश के खिलाफ उठाए गए कुछ अन्य मुद्दों (जैसे कि समय सीमा से संबंधित) पहले ही दूसरे केस — M/s Barhonia Engicon Private Limited बनाम भारत सरकार — में खारिज हो चुके हैं। लेकिन चूंकि इस मामले में पर्सनल सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया था, इसलिए यह स्वतंत्र आधार बना।
इस आधार पर उच्च न्यायालय ने उक्त मूल्यांकन आदेश को रद्द कर दिया और आदेश को फिर से सुनवाई के लिए कर निर्धारण अधिकारी (Assessing Officer) के पास भेज दिया। साथ ही यह स्पष्ट निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को 7 जनवरी 2025 को सुनवाई के लिए उपस्थित होना होगा। यदि वह उस दिन या अगली तारीख पर उपस्थित होते हैं, तो अधिकारी को तीन महीने के भीतर या शेष वैधानिक अवधि में (जो भी बाद में समाप्त हो) नया आदेश पारित करना होगा।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला बिहार के छोटे व्यापारियों, जीएसटी रजिस्टर्ड फर्मों और व्यक्तिगत करदाताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह निर्णय यह स्पष्ट करता है कि टैक्स विभाग को मूल्यांकन या पेनल्टी संबंधी कार्यवाही में प्रक्रिया के हर चरण का पालन करना अनिवार्य है।
यदि टैक्स अधिकारी कानूनी प्रक्रिया, विशेषकर व्यक्तिगत सुनवाई का पालन नहीं करते हैं, तो ऐसे आदेश को अदालत रद्द कर सकती है। इससे यह संदेश भी जाता है कि करदाता को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलना चाहिए, और सरकारी विभागों को अपनी कार्यवाही पारदर्शिता और कानून के तहत करनी चाहिए।
यह निर्णय राज्य कर विभाग को भी यह याद दिलाता है कि वे किसी भी प्रशासनिक कार्रवाई में कानून के अनुसार ही कार्य करें, नहीं तो उनके आदेश असंवैधानिक करार दिए जा सकते हैं।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- मुद्दा: क्या 4 मई 2024 को पारित GST मूल्यांकन आदेश वैध है, जब याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया?
- निर्णय: आदेश अवैध घोषित कर रद्द किया गया।
- कारण: धारा 75(4) के तहत पर्सनल सुनवाई का अधिकार अनिवार्य है। इसका उल्लंघन न्यायसंगत नहीं।
- मुद्दा: क्या याचिकाकर्ता की अन्य आपत्तियाँ (जैसे समय सीमा) वैध हैं?
- निर्णय: इन मुद्दों को पहले ही CWJC No. 4180 of 2024 में खारिज किया जा चुका है।
- कारण: M/s Barhonia Engicon Pvt. Ltd. बनाम भारत सरकार में निर्णय दिया जा चुका है, जो इस मामले पर लागू होता है।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- M/s Barhonia Engicon Private Limited बनाम भारत सरकार एवं अन्य, CWJC No. 4180/2024 (निर्णय दिनांक 27.11.2024)
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- M/s Barhonia Engicon Private Limited बनाम भारत सरकार एवं अन्य, CWJC No. 4180/2024 (निर्णय दिनांक 27.11.2024)
मामले का शीर्षक
M/s Krishna Enterprises बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 19382 of 2024
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री के. विनोद चंद्रन
माननीय श्री न्यायाधीश नानी टागिया
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री विजय कुमार गुप्ता, अधिवक्ता
- प्रतिवादी की ओर से: श्री गवर्नमेंट प्लीडर 07
निर्णय का लिंक
e498856a-4d93-4c77-b38d-cb9fccd11642.pdf
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