निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर यह सुनिश्चित किया कि बिहार में एचआईवी/एड्स के मरीजों को थर्ड-लाइन एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) की दवाएं बिना रुकावट मिलती रहें, खासकर कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का हिस्सा है और राज्य का कर्तव्य है कि समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए।
याचिकाकर्ता एक एचआईवी पॉजिटिव मरीज हैं जो थर्ड-लाइन एआरटी ले रहे थे। बिहार में यह दवाएं उपलब्ध नहीं थीं और केवल बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), वाराणसी के Centre of Excellence से मिलती थीं। लॉकडाउन के कारण यात्रा असंभव होने से याचिकाकर्ता ने कोर्ट से प्रार्थना की कि —
- दवाएं बिहार में ही उपलब्ध कराई जाएं।
- कोविड-19 के दौरान दवाओं की होम डिलीवरी की जाए।
- थर्ड-लाइन एआरटी दवाओं का पर्याप्त स्टॉक रखा जाए।
- मरीजों को बार-बार राज्य से बाहर जाने से बचाने का तरीका बनाया जाए।
- बिहार में Centre of Excellence की स्थापना हो।
अंतरिम आदेश:
27 मई 2020 को कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को कम से कम एक महीने की दवा राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (RMRI), पटना से दी जाए। साथ ही बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति (BSACS) और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) से हलफनामा मांगा गया।
प्राधिकारियों का पक्ष:
- NACO और BSACS ने कहा कि मरीज को दवाएं मिल चुकी हैं और टेलीमेडिसिन या e-SACEP के जरिए सलाह दी जा सकती है।
- दोनों ने सहमति जताई कि दवाएं बिहार में उपलब्ध होनी चाहिए।
- वर्तमान में केवल 23 मरीजों को थर्ड-लाइन एआरटी की जरूरत है, इसलिए तुरंत Centre of Excellence खोलना व्यावहारिक नहीं है, लेकिन संख्या बढ़ने पर विचार किया जाएगा।
कोर्ट के अंतिम निर्देश:
जब तक बिहार में Centre of Excellence नहीं बनता:
- कंसल्टेशन: मरीज RMRI, पटना में टेलीमेडिसिन या e-SACEP के जरिए State AIDS Clinical Expert Panel से 4 कार्य दिवस में सलाह लें।
- प्रिस्क्रिप्शन और खरीद: RMRI दो दिन में प्रिस्क्रिप्शन BSACS को भेजे; BSACS एक सप्ताह में वाराणसी से दवा मंगवाए।
- दवा वितरण: परामर्श के 10 दिन बाद RMRI मरीज को दवा दे।
- अग्रिम संपर्क: मरीज अपनी दवा खत्म होने से कम से कम 15 दिन पहले RMRI से संपर्क करें।
याचिकाकर्ता की दवा 5 जुलाई 2020 तक ही थी, इसलिए कोर्ट ने BSACS को 4 जुलाई तक RMRI में दवा पहुंचाने का आदेश दिया।
कोर्ट ने सभी वकीलों के सहयोगी रवैये की सराहना की और कहा कि यह जनस्वास्थ्य की जिम्मेदारी का मामला है, न कि विरोधात्मक मुकदमा।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला बिहार में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण है:
- स्वास्थ्य का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।
- एचआईवी/एड्स मरीजों की विशेष संवेदनशीलता को मान्यता देता है।
- टेलीमेडिसिन को अस्थायी समाधान के रूप में बढ़ावा देता है।
- व्यावहारिकता और आवश्यकता के बीच संतुलन बनाता है — अनावश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर से बचते हुए दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
- दवा आपूर्ति के लिए समयबद्ध प्रक्रिया तय करता है।
मरीजों के लिए इसका मतलब है कम यात्रा और दवाओं की बेहतर उपलब्धता। सरकार के लिए यह एक स्पष्ट जिम्मेदारी तय करता है कि जीवनरक्षक दवाओं की आपूर्ति की योजना हमेशा तैयार रहे, चाहे आपातकाल जैसी परिस्थिति ही क्यों न हो।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या राज्य को कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान बिहार में थर्ड-लाइन एआरटी की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए?
⮕ हां, टेलीमेडिसिन और समन्वित दवा आपूर्ति से। - क्या तुरंत Centre of Excellence स्थापित करना आवश्यक है?
⮕ अभी नहीं, लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ने पर समीक्षा होनी चाहिए।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- पश्चिम बंगाल खेत मजदूर समिति बनाम पश्चिम बंगाल राज्य, (1996) 4 SCC 37
- भारत संघ बनाम मूलचंद खैराती राम ट्रस्ट, (2018) 8 SCC 321
- पंजाब राज्य बनाम मोहिंदर सिंह चावला, (1997) 2 SCC 83
- बलराम प्रसाद बनाम कुनाल साहा, (2014) 1 SCC 384
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
उपरोक्त के समान।
मामले का शीर्षक
Mr. ABC बनाम कार्यकारी निदेशक (स्वास्थ्य) सह परियोजना निदेशक, बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 5692 of 2020
उद्धरण (Citation)
2020(3) PLJR 420
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
याचिकाकर्ता की ओर से: श्री दीपक कुमार सिंह, अधिवक्ता
राज्य की ओर से: श्री एस. डी. यादव, एएजी 9
भारत संघ/NACO की ओर से: श्री रत्नेश कुमार, सीजीसी
निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjNTY5MiMyMDIwIzEjTg==-4oJxaZKzCkc=
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