निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने एक व्यवसायी के खिलाफ जारी किए गए कर आदेश और बैंक खाता सील करने की कार्रवाई को रद्द कर दिया है। यह मामला बिहार जीएसटी अधिनियम (BGST Act) के अंतर्गत इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) को लेकर उत्पन्न हुआ था। याचिकाकर्ता ने राज्य कर अधिकारियों द्वारा ITC अस्वीकृति, कर और जुर्माना आरोप तथा जबरन वसूली की कार्यवाही को चुनौती दी थी।
विवाद इस बात पर था कि याचिकाकर्ता ने एक ऐसे विक्रेता से माल खरीदा था जिसने वित्तीय वर्ष 2017–18 के लिए मासिक जीएसटी रिटर्न (GSTR-3B) दाखिल नहीं किया था। इसी आधार पर कर विभाग ने यह मान लिया कि याचिकाकर्ता ने गलत तरीके से ITC लिया और उस पर ₹8.43 लाख का टैक्स और जुर्माना लगाया। इसके अलावा, विभाग ने ₹13.30 लाख की वसूली के लिए बैंक खाता सील कर दिया।
याचिकाकर्ता का कहना था कि उसने पूरा टैक्स भुगतान किया था और उसके पास वैध टैक्स इनवॉइस भी था। इसके बावजूद न तो उसे सुनवाई का मौका दिया गया और न ही आदेश में स्पष्ट कारण दिए गए।
राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता ने भी अदालत के समक्ष स्वीकार किया कि मामला फिर से जांच के लिए भेजा जा सकता है।
माननीय मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि भले ही कानून में वैकल्पिक उपाय उपलब्ध हो, लेकिन जब कोई आदेश एकतरफा और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता हो, तब अदालत को हस्तक्षेप करने का अधिकार है।
अदालत ने सारे आदेशों को रद्द करते हुए निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता चार सप्ताह के भीतर मांग की गई राशि का 20% मूल्यांकन अधिकारी के पास जमा करे। इसके बाद अधिकारी पूरे मामले की फिर से सुनवाई करेगा, जिसमें याचिकाकर्ता को अपने दस्तावेज पेश करने और उचित सुनवाई का पूरा मौका मिलेगा।
साथ ही, अदालत ने विभाग को निर्देश दिया कि नए निर्णय तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई जबरन वसूली की कार्रवाई नहीं की जाए और बैंक खाता भी तुरंत अनलॉक किया जाए।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह निर्णय दिखाता है कि किसी भी करदाता को बिना सुने, सीधे कठोर कार्यवाही नहीं की जा सकती। यह बात स्पष्ट हुई कि यदि विक्रेता ने रिटर्न दाखिल नहीं किया है लेकिन खरीदार ने टैक्स चुकाया है और इनवॉइस वैध है, तो खरीदार को सीधे दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
व्यवसायियों के लिए यह निर्णय एक राहत है, खासकर जब उनका लेन-देन दस्तावेजों के साथ साफ हो। सरकार के लिए यह निर्णय एक चेतावनी है कि मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय की मूल बातों का पालन जरूरी है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या बिना सुनवाई ITC अस्वीकृति और जुर्माना वैध है?
→ नहीं, यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। - क्या टैक्स आदेश और बैंक खाता जब्ती कानूनी रूप से उचित थी?
→ नहीं, ये आदेश एकतरफा और कारणहीन थे। - क्या मामला दोबारा जांच के लिए भेजा जा सकता है?
→ हां, अदालत ने पुनः मूल्यांकन का निर्देश दिया। - क्या पुनः जांच के दौरान जबरन वसूली की जा सकती है?
→ नहीं, जब तक नया आदेश न हो, कोई कार्रवाई नहीं होगी।
मामले का शीर्षक
M/S Sandeep Traders बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 17286 of 2022
उद्धरण (Citation)– 2023 (1) PLJR 674
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल
माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री अनुराग सौरव – याचिकाकर्ता की ओर से
श्री विवेक प्रसाद (GP7) – राज्य की ओर से
निर्णय का लिंक
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