संयुक्त उपक्रम (JV) के एक सदस्य द्वारा अकेले मध्यस्थ नियुक्ति की मांग खारिज — पटना हाईकोर्ट का फैसला

संयुक्त उपक्रम (JV) के एक सदस्य द्वारा अकेले मध्यस्थ नियुक्ति की मांग खारिज — पटना हाईकोर्ट का फैसला

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने M/s REW Contracts Pvt. Ltd. द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने एक मध्यस्थ (arbitrator) की नियुक्ति की मांग की थी। यह कंपनी M/s A.K. Das Associates Ltd. के साथ मिलकर एक संयुक्त उपक्रम (Joint Venture – JV) चला रही थी। कोर्ट ने कहा कि JV के एक सदस्य को अकेले मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार नहीं है जब तक पूरी JV इकाई की ओर से अधिकृत रूप से ऐसा न किया जाए।

मूल विवाद बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (BSPTCL) द्वारा ट्रांसफॉर्मर क्षमता बढ़ाने के लिए सात अनुबंधों के तहत दिए गए कार्यों से जुड़ा था। इनमें से चार कार्य पूरे हो गए थे, बाकी काम COVID-19 और कीमतों में बढ़ोतरी के कारण अधूरे रह गए।

REW Contracts ने तर्क दिया कि समझौते की मध्यस्थता धारा (clause) के तहत उसने एक मध्यस्थ नियुक्त किया और जवाब न मिलने पर उसे मान्य मान लिया। परंतु BSPTCL ने कहा कि:

  • अनुबंध JV के साथ है, न कि किसी एक सदस्य कंपनी से।
  • मध्यस्थता की प्रक्रिया के अनुसार BSPTCL के प्रबंध निदेशक को पांच मध्यस्थों की सूची देनी थी, जिससे दोनों पक्ष एक-एक को चुनते और फिर वे दोनों मिलकर तीसरे को नियुक्त करते।
  • REW Contracts ने यह प्रक्रिया पूरी किए बिना एकतरफा ढंग से एकमात्र मध्यस्थ नियुक्त कर दिया, जो गलत है।

कोर्ट ने माना कि:

  • JV एक स्वतंत्र कानूनी इकाई (legal entity) होती है, जो उसके सदस्य कंपनियों से अलग होती है।
  • कोई भी कानूनी कार्यवाही, जैसे मध्यस्थता की मांग, केवल JV के नाम से या उसकी विधिवत अनुमति से ही हो सकती है।
  • भले ही A.K. Das Associates Ltd. ने REW Contracts के निदेशक को कुछ अधिकार दिए हों, पर यह JV की ओर से अधिकार नहीं माना जा सकता।
  • केवल पत्र व्यवहार या संवाद से अनुबंध की औपचारिक प्रक्रिया को नहीं बदला जा सकता।

इसलिए कोर्ट ने मध्यस्थ की नियुक्ति की याचिका खारिज कर दी, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि यदि JV भविष्य में विधिवत प्रक्रिया अपनाकर मध्यस्थता की मांग करे, तो वह वैध होगी।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला उन सभी कंपनियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो संयुक्त उपक्रम (JV) के तहत सरकारी ठेके या परियोजनाएं लेती हैं। यह स्पष्ट करता है कि JV के सदस्य व्यक्तिगत रूप से कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं शुरू कर सकते जब तक JV इकाई खुद ऐसा अधिकृत रूप से न करे।

सरकारी विभागों के लिए भी यह निर्णय उपयोगी है क्योंकि यह अनुबंध में निर्धारित प्रक्रियाओं के पालन को आवश्यक मानता है। इससे अनुचित दावे या भ्रम की स्थिति से बचाव होता है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या JV का एक सदस्य अकेले मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू कर सकता है?
    ✔ नहीं। JV एक स्वतंत्र कानूनी इकाई है और केवल वही ऐसी प्रक्रिया शुरू कर सकती है।
  • क्या REW Contracts द्वारा नियुक्त एकमात्र मध्यस्थ मान्य था?
    ✔ नहीं। यह अनुबंध की प्रक्रिया का उल्लंघन था।
  • क्या A.K. Das Associates Ltd. द्वारा दिया गया पावर ऑफ अटॉर्नी पर्याप्त था?
    ✔ नहीं। यह पावर JV इकाई द्वारा नहीं दिया गया था और इसलिए मान्य नहीं है।
  • क्या पत्राचार (correspondence) से प्रक्रिया की कमी पूरी हो सकती है?
    ✔ नहीं। केवल संवाद या चिट्ठियां औपचारिक कानूनी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकतीं।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • New Horizons Ltd. बनाम Union of India, (1995) 1 SCC 478

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • New Horizons Ltd. बनाम Union of India, (1995) 1 SCC 478

मामले का शीर्षक

M/s REW Contracts Pvt. Ltd. (in JV with M/s A.K. Das Associates Ltd.) बनाम Bihar State Power Transmission Co. Ltd. व अन्य

केस नंबर

Request Case No. 44 of 2022

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री के. विनोद चंद्रन

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री अंकित कटियार
  • प्रत्युत्तर प्रतिवादी की ओर से: श्री आनंद कुमार ओझा

निर्णय का लिंक

https://www.patnahighcourt.gov.in/ShowPdf/web/viewer.html?file=../../TEMP/e0cface2-fb69-454b-a090-052ef650159d.pdf&search=Debarment

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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