निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने 3 फरवरी 2022 को एक अहम निर्णय में खाद व्यवसाय से जुड़े एक व्यापारी का लाइसेंस रद्द करने के सरकारी आदेश को रद्द कर दिया। याचिकाकर्ता, एक खाद थोक व्यापारी, ने यह याचिका दाखिल की थी कि उसका लाइसेंस बिना किसी समुचित सूचना और सुनवाई के रद्द कर दिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता के पास खाद का थोक व्यापार करने का वैध लाइसेंस था, जो 18 अप्रैल 2019 को नवीनीकृत हुआ था। 27 अक्टूबर 2021 को जिला कृषि पदाधिकारी, मधुबनी ने उनके गोदाम का निरीक्षण किया और 28 अक्टूबर को उन्हें एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसमें आरोप था कि निरीक्षण के दौरान उन्होंने सहयोग नहीं किया।
याचिकाकर्ता ने इस पर 29 अक्टूबर को जवाब दिया कि वे उस दिन उपस्थित नहीं थे। इसके बाद, 30 अक्टूबर को एक पत्र में यह कहा गया कि उनके गोदाम को सील कर दिया गया है और उन्हें 31 अक्टूबर को उपस्थित होने को कहा गया, परंतु याचिकाकर्ता का कहना था कि गोदाम वास्तव में सील नहीं किया गया था।
बिना किसी नए कारण बताओ नोटिस के, जिला कृषि पदाधिकारी ने 8 नवंबर 2021 को एक आदेश पारित कर दिया और लाइसेंस रद्द कर दिया। इस बार वजह बताई गई कि याचिकाकर्ता ने गोदाम की सील तोड़ी और कालाबाज़ारी की।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि उन्हें कभी भी सील तोड़ने या कालाबाज़ारी जैसे गंभीर आरोपों पर जवाब देने का मौका नहीं दिया गया और यह फैसला एकतरफा और कानून के विरुद्ध था।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि किसी भी नागरिक का व्यवसायिक लाइसेंस रद्द करना एक गंभीर विषय है और इसके लिए उचित प्रक्रिया, सूचना और सुनवाई अनिवार्य है। बिना नया कारण बताओ नोटिस जारी किए, नए आरोपों के आधार पर लाइसेंस रद्द करना पूरी तरह गलत है।
कोर्ट ने लाइसेंस रद्द करने का आदेश रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि मामले की पुनः जांच हो, लेकिन उचित प्रक्रिया और सुनवाई के बाद ही कोई निर्णय लिया जाए।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह निर्णय बताता है कि सरकारी अधिकारी किसी व्यक्ति या संस्था का लाइसेंस केवल तभी रद्द कर सकते हैं जब वे उसे पूरा अवसर दें अपनी बात रखने का। यह फैसला न केवल खाद व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हर उस नागरिक के लिए जरूरी है जिसका कामकाज सरकारी लाइसेंस पर निर्भर करता है।
सरकारी विभागों को भी यह ध्यान में रखना होगा कि वे किसी भी निर्णय से पहले तय प्रक्रिया का पालन करें। यदि वे ऐसा नहीं करते, तो कोर्ट में उनका आदेश रद्द हो सकता है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या बिना कारण बताओ नोटिस के लाइसेंस रद्द किया जा सकता है?
❌ नहीं। कोर्ट ने कहा कि यह प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है। - क्या लाइसेंस रद्द करने से पहले सुनवाई देना जरूरी है?
✔ हां। खाद नियंत्रण आदेश 1985 की धारा 31(2) के अनुसार, सुनवाई का अवसर अनिवार्य है। - क्या जिला कृषि पदाधिकारी का आदेश मनमाना था?
✔ हां। कोर्ट ने कहा कि आदेश बिना नोटिस और नई वजह पर आधारित था। - कोर्ट ने याचिकाकर्ता को क्या राहत दी?
✔ कोर्ट ने लाइसेंस रद्द करने का आदेश रद्द किया और निर्देश दिया कि पूरी प्रक्रिया पुनः की जाए और याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिया जाए।
मामले का शीर्षक
M/s Sanjeet Traders v. State of Bihar & Ors.
केस नंबर
CWJC No. 19439 of 2021
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री संजय करोल
माननीय श्री न्यायमूर्ति एस. कुमार
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से:
श्री सूरज समदर्शी, अधिवक्ता - राज्य सरकार की ओर से:
श्री अनंत प्रसाद सिंह (स्थायी अधिवक्ता – 15)
निर्णय का लिंक
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