निर्णय की सरल व्याख्या
पटना उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में दो याचिकाकर्ताओं—जो बिहार राज्य खनन निगम लिमिटेड (BSMCL) के साथ कोयले की आपूर्ति के अनुबंध में थे—की ब्लैकलिस्टिंग और उनकी सुरक्षा राशि की जब्ती को अवैध करार दिया। यह मामला CWJC No. 4088 of 2024 और CWJC No. 4208 of 2024 से संबंधित है।
मामले की पृष्ठभूमि यह है कि दोनों याचिकाकर्ताओं को तीन वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया और उनकी सुरक्षा राशि जब्त कर ली गई। कारण बताया गया कि उन्होंने अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन किया है। अनुबंध के अनुसार, साल भर में एक निश्चित मात्रा (ACQ) में कोयला आपूर्ति की जानी थी और हर महीने उसका 1/12 हिस्सा (MSQ) के रूप में प्राप्त किया जाना था।
सरकारी पक्ष का कहना था कि याचिकाकर्ताओं ने कुछ महीनों में तय मात्रा से अधिक कोयला उपयोग किया, जो अनुबंध के खिलाफ है। लेकिन याचिकाकर्ताओं का पक्ष यह था कि कई महीनों में कोयले की आपूर्ति ही नहीं हुई, जिससे उनके कारखानों को बंद करना पड़ा। जब कोयला मिला, तब उन्होंने ओवरटाइम काम कर उसकी पूर्ति की।
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अनुबंध की मूल भावना वार्षिक आपूर्ति की पूर्ति थी, न कि हर महीने की तय मात्रा पर सख्ती। इस मुद्दे पर पहले भी फैसला दिया जा चुका था—CWJC No. 1114 of 2024 (M/s Bhagwati Coke Industries Pvt. Ltd. vs. State of Bihar)—जहां कोर्ट ने कहा था:
- अनुबंध में दंड केवल सालाना ACQ की कम उपयोग पर है, न कि मासिक MSQ पर।
- कोयला कंपनियों की आपूर्ति की अनियमितता के कारण मासिक असंतुलन को माफ किया जाना चाहिए।
- जब कोयला मिला तब उसका उपयोग करने में कोई गलती नहीं है।
इस फैसले में कोर्ट ने पाया कि सरकारी आदेश उसी आधार पर आधारित था जिसे पहले ही खारिज किया जा चुका है। साथ ही, सरकार की ओर से कोई जवाबी हलफनामा भी दाखिल नहीं किया गया, जिससे यह माना गया कि उनके पास इस पर कोई अलग तर्क नहीं है।
अतः कोर्ट ने ब्लैकलिस्टिंग और राशि जब्ती के आदेश को रद्द कर दिया और यह भी कहा कि जब तक अनुबंध विधिवत समाप्त नहीं होता, वह प्रभावी रहेगा।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह निर्णय बिहार के छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए एक बड़ी राहत है, जो सरकारी आपूर्ति अनुबंधों पर निर्भर करते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि जब आपूर्ति में स्वयं सरकार की ओर से अनियमितता हो, तब अनुबंध की शर्तों की व्याख्या लचीलेपन से की जानी चाहिए।
सरकारी विभागों के लिए यह एक महत्वपूर्ण चेतावनी भी है कि वे अनुबंध की भावना के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कदम न उठाएं। यह निर्णय सरकारी पारदर्शिता और संवैधानिक प्रक्रिया की पुष्टि करता है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या MSQ से अधिक कोयले का उपयोग करना अनुबंध का उल्लंघन है, यदि ACQ की पूर्ति की गई हो?
❖ निर्णय: नहीं। यदि वार्षिक मात्रा पूरी हो गई हो, तो मासिक अधिक उपयोग अनुबंध के विरुद्ध नहीं है। - क्या ब्लैकलिस्टिंग और सुरक्षा राशि की जब्ती उचित थी जब आपूर्ति अनियमित थी?
❖ निर्णय: नहीं। यह अनुबंध के अनुसार गलत है। - क्या याचिकाकर्ताओं को आपूर्ति के अनुसार कोयला उपयोग करने पर दोषी ठहराया जा सकता है?
❖ निर्णय: नहीं। उन्होंने उपलब्ध कोयले का सही उपयोग किया।
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- CWJC No. 1114 of 2024, M/s Bhagwati Coke Industries Pvt. Ltd. vs. The State of Bihar and Ors.
मामले का शीर्षक
M/s Pink Enterprises बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
(अनुरूप मामला: M/s Jagdamba Industries बनाम बिहार राज्य एवं अन्य)
केस नंबर
CWJC No. 4088 of 2024
CWJC No. 4208 of 2024
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन
माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री सिद्धार्थ शंकर पांडे, अधिवक्ता
- प्रतिवादी की ओर से:
• श्री अरविंद उज्जवल, सरकारी वकील-4
• श्री सुशील कुमार मलिक, सहायक सरकारी वकील
• श्रीमती कल्पना, अधिवक्ता
• श्री अजय बिहारी सिन्हा, सरकारी वकील-8 (CWJC No. 4208/2024 में)
निर्णय का लिंक
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