कोयला आपूर्ति अनुबंध की गलत व्याख्या पर पटना हाई कोर्ट ने काली सूचीकरण को रद्द किया

कोयला आपूर्ति अनुबंध की गलत व्याख्या पर पटना हाई कोर्ट ने काली सूचीकरण को रद्द किया

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में राज्य सरकार द्वारा एक आपूर्तिकर्ता कंपनी को काली सूची में डालने और उसकी सुरक्षा राशि जब्त करने का आदेश रद्द कर दिया है। यह विवाद एक कोयला आपूर्ति अनुबंध को लेकर था, जिसमें कथित अनुबंध उल्लंघन के आधार पर कंपनी को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था।

मामले में याचिकाकर्ता एक विनिर्माण इकाई थी, जिसे राज्य सरकार से वार्षिक अनुबंध के तहत कोयले की आपूर्ति मिलनी थी। अनुबंध में दो महत्वपूर्ण शर्तें थीं — वार्षिक अनुबंधित मात्रा (Annual Contracted Quantity या ACQ) और मासिक निर्धारित मात्रा (Monthly Scheduled Quantity या MSQ)। MSQ, ACQ का 1/12वां हिस्सा होती है और यह केवल एक मार्गदर्शक मात्रा है।

याचिकाकर्ता का कहना था कि कुछ महीनों में कोयले की आपूर्ति नहीं होने के कारण उसकी फैक्ट्री बंद करनी पड़ी। जब कोयले की आपूर्ति हुई, तब उन्होंने ओवरटाइम काम करके उस कोयले का पूरा उपयोग किया, जिससे कुछ महीनों में उपयोग MSQ से अधिक हो गया। राज्य सरकार ने इसी आधार पर उन्हें काली सूची में डाल दिया और सुरक्षा राशि भी जब्त कर ली।

लेकिन कोर्ट ने पाया कि अनुबंध में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था जो किसी भी महीने में MSQ से अधिक उपयोग को अनुबंध का उल्लंघन मानता हो। अनुबंध केवल वार्षिक मात्रा (ACQ) के 100% उपयोग की बात करता है और आपूर्ति को कोयला कंपनियों की उपलब्धता पर निर्भर बताया गया है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकारी पक्ष ने कोई जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उनके पास इस मामले में कोई वैकल्पिक तर्क नहीं था। साथ ही, यह मामला पहले दिए गए एक फैसले से पूरी तरह मेल खाता है (CWJC No. 1114 of 2024), जिसे कोर्ट ने आधार बनाया।

इसलिए न्यायालय ने काली सूचीकरण और राशि जब्ती के आदेश को रद्द कर दिया और स्पष्ट किया कि जब तक अनुबंध स्वयं समाप्त नहीं हो जाता या कोई पक्ष उसे समाप्त नहीं करता, वह प्रभावी बना रहेगा।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय उन सभी व्यवसायों और ठेकेदारों के लिए राहतभरा है, जो सरकार के साथ दीर्घकालिक आपूर्ति अनुबंधों में कार्यरत हैं। यह स्पष्ट करता है कि अनुबंध की शर्तों की गलत व्याख्या करके किसी को दंडित नहीं किया जा सकता, खासकर जब वस्तु की आपूर्ति सरकार या किसी तीसरे पक्ष की उपलब्धता पर निर्भर हो।

सरकारी विभागों के लिए यह निर्णय एक चेतावनी है कि वे किसी भी दंडात्मक कार्यवाही से पहले अनुबंध की शर्तों का ईमानदारी से मूल्यांकन करें। यह फैसला पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रिया के पालन की आवश्यकता को दोहराता है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या MSQ से अधिक उपयोग करना अनुबंध उल्लंघन है?
    नहीं; अनुबंध में केवल वार्षिक उपयोग (ACQ) की बात है।
  • क्या आपूर्तिकर्ता को बिना स्पष्ट अनुबंध उल्लंघन के ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है?
    नहीं; ब्लैकलिस्टिंग और सुरक्षा राशि जब्ती अनुबंध के उल्लंघन पर आधारित होनी चाहिए।
  • क्या सरकार बाद में नए कारण देकर अपने आदेश को सही ठहरा सकती है?
    नहीं; आदेश केवल दिए गए कारणों पर ही आधारित होना चाहिए।

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • CWJC No. 1114 of 2024 (M/s Bhagwati Coke Industries Pvt. Ltd. बनाम बिहार राज्य एवं अन्य)

मामले का शीर्षक

M/s Meco Battery बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 13109 of 2024

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चन्द्रन
माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री मोहित अग्रवाल — याचिकाकर्ता की ओर से
  • श्री सर्वेश कुमार सिंह (AAG-13) — राज्य की ओर से
  • श्री नरेश दीक्षित — खान विभाग की ओर से
  • श्रीमती कल्पना — अतिरिक्त पक्षकार की ओर से

निर्णय का लिंक

https://www.patnahighcourt.gov.in/ShowPdf/web/viewer.html?file=../../TEMP/39125143-847f-4295-8853-6e28aab4fe6d.pdf&search=Blacklisting

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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