पटना हाई कोर्ट का फैसला: सीलिंग केस के दौरान की गई जमीन की बिक्री पर अधिकारियों को शिकायत सुनने का आदेश

पटना हाई कोर्ट का फैसला: सीलिंग केस के दौरान की गई जमीन की बिक्री पर अधिकारियों को शिकायत सुनने का आदेश

निर्णय की सरल व्याख्या

यह मामला समस्तीपुर जिले के एक व्यक्ति से जुड़ा है, जिसने पटना हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। उसकी शिकायत थी कि बिहार भूमि सुधार अधिनियम, 1961 (Bihar Land Reforms – Fixation of Ceiling Area and Acquisition of Surplus Land Act, 1961) के तहत चल रहे सीलिंग केस नंबर 40/1973-74 के बावजूद कुछ जमीनों की बिक्री और रजिस्ट्री की गई है।

याचिकाकर्ता का कहना था कि यह बिक्री अवैध है, क्योंकि संबंधित जमीन पहले से ही सीलिंग कानून के तहत चिन्हित (notified) हो चुकी है। इन जमीनों का वितरण आगे चलकर भूमिहीन व्यक्तियों के बीच किया जाना था। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से जमीन मालिकों ने बिक्री करा ली, जिससे भूमिहीन लोगों का अधिकार प्रभावित हुआ।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की कि—

  • आगे की बिक्री और रजिस्ट्री पर रोक लगे।
  • पहले से हुई रजिस्ट्री रद्द की जाए।
  • जिला निबंधन कार्यालय (Samastipur Registration Office) के उन कर्मचारियों पर कार्रवाई हो, जिन्होंने कथित रूप से मिलीभगत करके यह बिक्री कराई।

राज्य सरकार का पक्ष: राज्य ने कहा कि यह याचिका गलत है, इसमें तथ्यात्मक विवाद हैं और यह लोकहित याचिका नहीं है। इस तरह की शिकायतों का समाधान सरकारी स्तर पर होना चाहिए, न कि सीधे कोर्ट में।

कोर्ट की कार्यवाही: सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि वह केवल इतना चाहता है कि उसकी लंबित शिकायत (representation – Annexure P/13) पर संबंधित अधिकारी विचार कर फैसला करें।

कोर्ट ने इस पर सहमति जताई और आदेश दिया कि—

  • संबंधित अधिकारी याचिकाकर्ता की शिकायत पर तीन महीने के भीतर निर्णय लें।
  • निर्णय लेते समय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन हो और सभी पक्षों को सुनवाई का मौका दिया जाए।
  • याचिकाकर्ता को यह छूट रहेगी कि अगर वह चाहे तो कानून के तहत उपलब्ध अन्य उपाय भी अपना सकता है।
  • अगर भविष्य में फिर से जरूरत पड़े तो वह दोबारा कोर्ट आ सकता है।
  • कोर्ट ने साफ कहा कि उसने मामले के गुण-दोष (merits) पर कोई राय नहीं दी है और सारे मुद्दे खुले हैं।
  • कोविड-19 महामारी के समय में, सुनवाई डिजिटल माध्यम से भी हो सकती है।

इस प्रकार, कोर्ट ने सीधे जमीन की बिक्री रद्द नहीं की, लेकिन यह सुनिश्चित किया कि याचिकाकर्ता की शिकायत को गंभीरता से लेकर निष्पक्ष और समय पर निपटारा हो।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव

  1. प्रशासनिक जवाबदेही: यह आदेश अधिकारियों को याद दिलाता है कि सीलिंग कानून के तहत चिन्हित जमीन की बिक्री को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
  2. भूमिहीनों के अधिकारों की रक्षा: कोर्ट ने माना कि भूमिहीन लोगों को जमीन बांटने का अधिकार सुरक्षित रहना चाहिए।
  3. न्याय का सिद्धांत: अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी प्रभावित पक्षों को सुनवाई का अवसर मिले।
  4. न्यायिक संयम: कोर्ट ने सीधे जमीन की बिक्री पर फैसला न देकर, मामले को सक्षम अधिकारियों के पास भेजा।
  5. डिजिटल सुनवाई की अनुमति: महामारी जैसी स्थिति में कोर्ट ने लचीलापन दिखाते हुए डिजिटल प्रक्रिया को मान्यता दी।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • मुद्दा: क्या हाई कोर्ट को सीधे जमीन की बिक्री पर रोक लगानी चाहिए थी?
    निर्णय: नहीं। मामला सक्षम अधिकारियों को भेजा गया।
  • मुद्दा: क्या याचिकाकर्ता की शिकायत पर विचार किया जाना चाहिए?
    निर्णय: हाँ। शिकायत पर तीन महीने में निर्णय लेना होगा।
  • मुद्दा: क्या अधिकारियों को प्राकृतिक न्याय का पालन करना होगा?
    निर्णय: हाँ। सभी पक्षों को सुनने के बाद ही निर्णय होगा।

मामले का शीर्षक

विद्यान चंद्र बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 1540 of 2021

उद्धरण (Citation)

2021(2) PLJR 138

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री संजय करोल एवं माननीय न्यायमूर्ति श्री एस. कुमार

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री बृशकेतु शरण पांडेय, अधिवक्ता
  • प्रतिवादी (राज्य) की ओर से: श्री ललित किशोर, महाधिवक्ता; श्री पवन कुमार, AC to AG

निर्णय का लिंक

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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