पटना हाईकोर्ट 2021: मान्यता प्राप्त मदरसा के शिक्षकों को सेवानिवृत्ति लाभ का हक, सरकारी शिक्षकों के बराबर सुविधा

पटना हाईकोर्ट 2021: मान्यता प्राप्त मदरसा के शिक्षकों को सेवानिवृत्ति लाभ का हक, सरकारी शिक्षकों के बराबर सुविधा

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया कि मान्यता प्राप्त गैर-सरकारी सहायताप्राप्त अल्पसंख्यक संस्थानों (जैसे मदरसे और संस्कृत विद्यालय) में कार्यरत शिक्षकों को भी वही सेवानिवृत्ति लाभ मिलेंगे जो सरकारी स्कूल शिक्षकों को मिलते हैं।

इस मामले में एक शिक्षक, जो पश्चिम चंपारण जिले के एक मान्यता प्राप्त मदरसे में कार्यरत थे, 31 मई 2013 को सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने ग्रेच्युटी, अवकाश नकदीकरण और अन्य पेंशन लाभों की मांग की। लेकिन विभाग ने यह कहते हुए भुगतान रोक दिया कि मदरसा शिक्षकों को ऐसे लाभ नहीं मिलते।

याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के संकल्प संख्या 237 दिनांक 20 फरवरी 1990 और एक अन्य ज्ञापन दिनांक 9 जनवरी 1990 पर भरोसा किया। इन आदेशों में साफ लिखा था कि मान्यता प्राप्त मदरसों और अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों को वेतन और सेवा लाभ सरकारी शिक्षकों के समान मिलेंगे।

राज्य की ओर से दलील दी गई कि मदरसों और अल्पसंख्यक संस्थानों में फर्क है, इसलिए लाभ नहीं दिया जा सकता। लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि सरकारी संकल्प में “मदरसा” शब्द खुद शामिल है। इसका मतलब यह है कि लाभ से वंचित करना गलत है।

हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि शिक्षक को सभी सेवानिवृत्ति लाभ दिए जाएं। साथ ही, तीन महीने के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया। यदि भुगतान में देरी हुई तो 8% वार्षिक ब्याज भी देना होगा।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

  • मदरसा शिक्षकों के लिए: यह फैसला उनके अधिकार को मजबूत करता है कि उन्हें भी सरकारी शिक्षकों के बराबर आर्थिक सुरक्षा और सेवानिवृत्ति लाभ मिलेंगे।
  • सरकार और शिक्षा विभाग के लिए: यह स्पष्ट संकेत है कि राज्य सरकार द्वारा जारी संकल्पों को सही ढंग से लागू करना जरूरी है। किसी भी श्रेणी के शिक्षक को मनमाने ढंग से बाहर नहीं किया जा सकता।
  • अल्पसंख्यक संस्थानों के लिए: यह आदेश समानता के सिद्धांत को मजबूत करता है और लंबे समय से चली आ रही अनिश्चितता को खत्म करता है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या मदरसा और अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षक सेवानिवृत्ति लाभ के पात्र हैं?
    ✅ हाँ। कोर्ट ने कहा कि 1990 के सरकारी संकल्प में यह स्पष्ट लिखा है कि मान्यता प्राप्त मदरसों के शिक्षकों को भी लाभ मिलेगा।
  • याचिकाकर्ता को राहत कैसे मिलेगी?
    ✔️ कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी लंबित सेवानिवृत्ति लाभ तीन महीने के भीतर दिए जाएं। यदि देरी होती है, तो 8% वार्षिक ब्याज भी देना होगा।

मामले का शीर्षक

Neyaz Ahmad @ Neyaj Ahmad बनाम State of Bihar एवं अन्य

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 4145 of 2019

उद्धरण (Citation)

2021(1) PLJR 638

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति बीरेन्द्र कुमार

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री राज नंदन प्रसाद, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
  • श्री जितेंद्र कुमार राय (SC-13), अधिवक्ता — राज्य/प्रतिवादी की ओर से

निर्णय का लिंक

MTUjNDE0NSMyMDE5IzEjTg==-O9ndwUnmTac=

यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।

Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News