नाबालिग बेटों की आय पिता के आयकर में नहीं जोड़ी जाएगी — पटना हाईकोर्ट का फैसला

नाबालिग बेटों की आय पिता के आयकर में नहीं जोड़ी जाएगी पटना हाईकोर्ट का फैसला

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने एक अहम आयकर मामले में कहा कि नाबालिग बेटों की आय, जिसमें साझेदारी फर्म से मिला ब्याज भी शामिल है, पिता की आय में जोड़ी नहीं जा सकती, अगर यह आय 1 अप्रैल 1976 से पहले की है।

मामला एक ऐसे पिता का है, जिनके दो नाबालिग बेटे 2 जनवरी 1975 के साझेदारी समझौते के तहत M/s Vijay Kumar Pradeep Kumar नामक फर्म में साझेदारी के लाभ के हिस्सेदार बने थे। फर्म का लेखा वर्ष हर साल 31 दिसंबर को खत्म होता था। वर्ष 1975 में दोनों बेटों ने लगभग ₹19,000-₹19,000 कमाए, जिसमें पूंजी पर मिला ब्याज भी शामिल था।

आयकर अधिकारी (ITO) ने आकलन वर्ष 1976-77 के लिए पिता की कुल आय में बेटों की यह आय भी जोड़ दी, यह कहते हुए कि आयकर अधिनियम की धारा 64(1)(iii) में 1975 के संशोधन के बाद ऐसा करना जरूरी है।

याचिकाकर्ता का तर्क:

  • संशोधित धारा 64(1)(iii) 1 अप्रैल 1976 से लागू हुई थी, इसलिए 1975 के लेखा वर्ष की आय पर यह संशोधन लागू नहीं होता।
  • फर्म का लेखा वर्ष 31 दिसंबर 1975 को खत्म हुआ था, यानी संशोधन लागू होने से पहले।

राजस्व (विभाग) का पक्ष:

  • संशोधन आकलन वर्ष 1976-77 पर लागू होता है, भले ही लेखा वर्ष कब खत्म हुआ हो।

ट्रिब्यूनल का पहले का निर्णय:

  • ट्रिब्यूनल ने आयकर अधिकारी का फैसला बरकरार रखा और कहा कि संशोधन 1976-77 के आकलन वर्ष पर लागू होता है।

हाईकोर्ट की टिप्पणियां:

  1. संशोधन का लागू होने का समय:
    कोर्ट ने कहा कि कोई नया कर दायित्व तब तक पीछे की तारीख से लागू नहीं किया जा सकता, जब तक कानून में साफ तौर पर ऐसा न लिखा हो।
  2. पूर्व के फैसलों का सहारा:
    • Kesoram Industries और Karimtharuvi Tea Estate Ltd. जैसे मामलों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि कर कानून के संशोधन सामान्यत: आगे से (prospective) लागू होते हैं।
    • Keshav Mills और Premier Breweries मामलों में भी कहा गया था कि हाईकोर्ट केवल कानूनी सवालों पर राय दे सकता है, तथ्यों की दोबारा जांच नहीं कर सकता।
  3. इस मामले में लागू:
    • संशोधन 1 अप्रैल 1976 से लागू हुआ।
    • लेखा वर्ष 31 दिसंबर 1975 को खत्म हो गया था, यानी संशोधन लागू होने से पहले।
    • इसलिए नाबालिग बेटों की 1975 की आय को पिता की आय में नहीं जोड़ा जा सकता।

अंतिम फैसला:
हाईकोर्ट ने सवाल का जवाब नकारात्मक में दिया और कहा कि 31 दिसंबर 1975 को खत्म हुए लेखा वर्ष की नाबालिग बेटों की आय, आकलन वर्ष 1976-77 में पिता की आय में नहीं जोड़ी जाएगी।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव

  • धारा 64(1)(iii) की स्पष्टता: यह फैसला बताता है कि 1975 का संशोधन 1 अप्रैल 1976 से पहले की आय पर लागू नहीं होगा।
  • पिछले समय से कर लगाने पर रोक: यह सिद्धांत मजबूत होता है कि नया कर दायित्व पिछली अवधि पर लागू नहीं किया जा सकता, जब तक कानून में ऐसा स्पष्ट न हो।
  • आयकर अधिकारियों के लिए मार्गदर्शन: यह तय करने में लेखा वर्ष की समयसीमा अहम है कि कोई संशोधन लागू होता है या नहीं।
  • नाबालिग के साझेदारी लाभ की स्थिति स्पष्ट: संशोधन लागू होने से पहले की नाबालिग की आय को केवल आकलन वर्ष के आधार पर नहीं जोड़ा जा सकता।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या 31 दिसंबर 1975 को खत्म हुए लेखा वर्ष की नाबालिग बेटों की आय, संशोधित धारा 64(1)(iii) के तहत पिता की आय में जोड़ी जा सकती है?
    निर्णय: नहीं। संशोधन लागू होने से पहले की आय पर यह लागू नहीं होगा।
  • क्या 1975 का संशोधन पिछली तारीख से लागू होता है?
    निर्णय: नहीं। यह केवल आगे से लागू होता है।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • Badri Prasad & Ors. v. Commissioner of Income Tax, (1990) 185 ITR 307

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • Keshav Mills Co. Ltd. v. CIT, (1965) 2 SCR 908
  • Rameshwar Prasad Bagla v. CIT, (1973) 3 SCC 575
  • Premier Breweries Ltd. v. CIT, (2015) 11 SCC 695
  • C.P. Sarathy Mudaliar v. CIT, (1966) 62 ITR 576 (SC)
  • Kesoram Industries & Cotton Mills Ltd. v. Wealth Tax Commissioner, AIR 1966 SC 1370
  • Karimtharuvi Tea Estate Ltd. v. State of Kerala, AIR 1966 SC 1385

मामले का शीर्षक

Alok Goenka बनाम Commissioner of Income Tax, Bihar, Patna

केस नंबर

Tax Case No. 126 of 1982

उद्धरण (Citation)

2020 (3) PLJR 415

माननीय न्यायमूर्ति

माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल
माननीय श्री न्यायमूर्ति एस. कुमार

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री डी. वी. पाठी
  • प्रतिवादी की ओर से: श्री ऋषि राज सिन्हा, सुश्री शिल्पी केशरी

निर्णय का लिंक

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/NCMxMjYjMTk4MiMyI04=-K1eFCsu1ZB4=

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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