निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण भूमि विवाद मामले में यह स्पष्ट कर दिया कि खतियान या म्यूटेशन (Mutation) में दर्ज प्रविष्टियाँ केवल राजस्व वसूली और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए होती हैं। ये प्रविष्टियाँ किसी भी व्यक्ति को ज़मीन का मालिक नहीं बनातीं और न ही मालिकाना हक़ छीनती हैं। यदि किसी ज़मीन पर मालिकाना हक़ को लेकर विवाद है तो उसका समाधान केवल सिविल कोर्ट ही कर सकता है।
मामले की पृष्ठभूमि
इस मामले में अपीलकर्ता के पिता ने 27.02.1982 को एक पंजीकृत बिक्री विलेख (Sale Deed) के माध्यम से भूमि खरीदी थी। उसके बाद उनका नाम राजस्व अभिलेखों (Revenue Records) में दर्ज हो गया और उसी आधार पर उनके नाम से खतियान (Record of Rights) भी तैयार किया गया।
उनका नाम मुज़फ्फरपुर नगर निगम के अभिलेखों में भी दर्ज हो गया और परिवार नियमित रूप से होल्डिंग टैक्स अदा कर रहा था।
बाद में, उसी ज़मीन पर एक अन्य व्यक्ति (Md. Abbas) ने दावा किया और खतियान में प्रविष्टि बदलवाने का प्रयास किया। 20.08.1986 को उसका आवेदन ख़ारिज कर दिया गया। लेकिन आरोप लगाया गया कि कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से उसने अंतिम प्रकाशित खतियान में अवैध रूप से बदलाव करा लिया।
अपीलकर्ता के पिता ने इस गड़बड़ी के खिलाफ 1987 में चार्ज ऑफिसर (Settlement) के समक्ष एक मामला दाखिल किया, लेकिन वह लंबित रह गया।
फिर अपीलकर्ता ने 2018 में हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर ज़िला पदाधिकारी, मुज़फ्फरपुर, को आदेशित करने की मांग की कि 07.12.1987 को चार्ज ऑफिसर द्वारा दिए गए आदेश का पालन किया जाए।
सिंगल बेंच ने 18.04.2019 को याचिका ख़ारिज कर दी और कहा कि अपीलकर्ता को सिविल कोर्ट जाना चाहिए। इसके खिलाफ अपीलकर्ता ने Letters Patent Appeal (LPA No. 595 of 2019) दायर की।
कोर्ट का निष्कर्ष
मुख्य न्यायाधीश और द्वितीय न्यायाधीश की खंडपीठ ने साफ कहा कि:
- खतियान केवल राजस्व वसूली और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए होता है।
- इससे न तो मालिकाना हक़ बनता है और न ही समाप्त होता है।
- यदि किसी भूमि पर स्वामित्व को लेकर विवाद है तो उसका समाधान केवल सिविल कोर्ट ही कर सकता है।
कोर्ट का अंतिम निर्णय
- सिंगल जज के आदेश में कोई गलती या त्रुटि नहीं पाई गई।
- इसलिए LPA (Letters Patent Appeal) खारिज कर दी गई।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
- भूमि मालिकों के लिए:
- केवल खतियान या म्यूटेशन प्रविष्टि के आधार पर कोई भी व्यक्ति मालिकाना हक़ का दावा नहीं कर सकता।
- वास्तविक स्वामित्व का निर्धारण हमेशा सिविल कोर्ट द्वारा ही होगा।
- राजस्व अधिकारियों के लिए:
- खतियान प्रविष्टियों का महत्व केवल कर वसूली और सरकारी रिकॉर्ड तक ही सीमित है।
- अधिकारियों को यह ध्यान रखना होगा कि वे इन प्रविष्टियों को “स्वामित्व का प्रमाण” न मानें।
- आम जनता के लिए:
- यह फैसला स्पष्ट करता है कि यदि ज़मीन पर विवाद हो तो राजस्व कार्यालय या खतियान की प्रविष्टियों से समाधान नहीं होगा।
- जनता को सही हक़ पाने के लिए सिविल कोर्ट में वाद दायर करना होगा।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या खतियान प्रविष्टि से मालिकाना हक़ साबित होता है?
❌ नहीं। खतियान केवल राजस्व संबंधी उद्देश्यों के लिए होता है, इससे मालिकाना हक़ न तो बनता है और न ही खत्म होता है। - क्या रिट याचिका इस विवाद का सही उपाय थी?
❌ नहीं। स्वामित्व विवाद के समाधान के लिए सिविल कोर्ट ही उपयुक्त मंच है। - क्या खंडपीठ को सिंगल जज के आदेश में हस्तक्षेप करना चाहिए था?
❌ नहीं। खंडपीठ ने पाया कि सिंगल जज का आदेश सही था और उसमें कोई कानूनी त्रुटि नहीं थी।
मामले का शीर्षक
Ahmadulah Zafar Hasan बनाम The State of Bihar एवं अन्य
केस नंबर
Letters Patent Appeal No. 595 of 2019 (CWJC No. 12417 of 2018 से उत्पन्न)
उद्धरण (Citation)
2021(2) PLJR 206
न्यायमूर्ति गण का नाम
- माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल
- माननीय न्यायमूर्ति एस. कुमार
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- अपीलकर्ता की ओर से: श्री रतन कुमार सिन्हा, अधिवक्ता
- प्रतिवादियों की ओर से: श्री (नाम रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं)
निर्णय का लिंक
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