पटना हाई कोर्ट 2021: म्यूटेशन प्रविष्टि से स्वामित्व अधिकार नहीं मिलता, एलपीए खारिज, सिविल वाद दाखिल करने की छूट दी गई

पटना हाई कोर्ट 2021: म्यूटेशन प्रविष्टि से स्वामित्व अधिकार नहीं मिलता, एलपीए खारिज, सिविल वाद दाखिल करने की छूट दी गई

निर्णय की सरल व्याख्या

यह मामला नालंदा जिले की ज़मीन से जुड़ा विवाद है। अपीलकर्ता ने यह दावा किया कि जिस भूमि का म्यूटेशन (राजस्व अभिलेख में नाम दर्ज होना) उनके नाम पर है, उसी से उनकी स्वामित्व की पुष्टि हो जाती है।

उन्होंने पहले पटना हाई कोर्ट में रिट याचिका (CWJC No. 1305 of 2019) दाखिल की थी, जिसे 22 जनवरी 2019 को एकल न्यायाधीश ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि केवल म्यूटेशन से स्वामित्व का अधिकार साबित नहीं होता। इसी आदेश के खिलाफ अपीलकर्ता ने लेटर पेटेंट अपील (LPA No. 307 of 2019) दाखिल की।

अपीलकर्ता की दलील थी कि चूँकि म्यूटेशन प्रविष्टि उनके नाम पर है, इसलिए उन्हें भूमि का असली मालिक माना जाए। लेकिन राज्य सरकार और अन्य अधिकारियों ने इस दावे का कड़ा विरोध किया और कहा कि स्वामित्व का सवाल गंभीर विवाद का विषय है, जिसे केवल म्यूटेशन रिकॉर्ड देखकर तय नहीं किया जा सकता।

दो न्यायाधीशों की पीठ (माननीय मुख्य न्यायाधीश और माननीय न्यायमूर्ति एस. कुमार) ने मामले की सुनवाई की और यह स्पष्ट किया कि –
म्यूटेशन प्रविष्टि केवल राजस्व वसूली (भू-राजस्व) के लिए की जाती है, इससे स्वामित्व या अधिकार सिद्ध नहीं होता।

कोर्ट ने यह भी कहा कि जब राज्य स्वयं अपीलकर्ता के स्वामित्व को गंभीर रूप से विवादित कर रहा है, तो यह मामला जटिल तथ्यों से जुड़ा है और इसका समाधान केवल सिविल अदालत में ही किया जा सकता है।

इसलिए, कोर्ट ने एकल न्यायाधीश के आदेश को सही ठहराया और अपील को खारिज कर दिया। लेकिन साथ ही, अपीलकर्ता को यह स्वतंत्रता दी गई कि वह उचित सिविल अदालत में जाकर मुकदमा दायर कर सकते हैं।

साधारण भाषा में, कोर्ट ने दोहराया कि केवल म्यूटेशन प्रविष्टि से भूमि का मालिकाना हक साबित नहीं होता। स्वामित्व का विवाद केवल सिविल अदालत में तय होगा, न कि रिट याचिका में।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

  • भूमि मालिकों के लिए: केवल राजस्व रजिस्टर में नाम दर्ज होने से भूमि का मालिकाना हक सिद्ध नहीं होता। वास्तविक स्वामित्व साबित करने के लिए वैध दस्तावेज़ या अदालत का डिक्री होना आवश्यक है।
  • सरकार और राजस्व विभाग के लिए: यह निर्णय इस सिद्धांत को और मजबूत करता है कि राजस्व प्रविष्टि प्रशासनिक कामकाज के लिए है, न कि स्वामित्व का प्रमाण।
  • आम जनता के लिए: यदि आपकी ज़मीन पर स्वामित्व को लेकर विवाद है, तो उसका समाधान सिविल कोर्ट में ही होगा। रिट याचिका इस तरह के विवादों के लिए उचित उपाय नहीं है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या म्यूटेशन प्रविष्टि से भूमि का स्वामित्व सिद्ध होता है?
    • निर्णय: नहीं। म्यूटेशन केवल राजस्व उद्देश्यों के लिए होता है, इससे स्वामित्व तय नहीं होता।
  • क्या स्वामित्व विवाद आर्टिकल 226 के तहत रिट याचिका में सुलझाया जा सकता है?
    • निर्णय: नहीं। ऐसे विवाद सिविल अदालत में साक्ष्यों के आधार पर तय किए जाएँगे।

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • सामान्य सिद्धांत – म्यूटेशन प्रविष्टि का सीमित उद्देश्य (केवल राजस्व वसूली) – पर भरोसा किया गया।

मामले का शीर्षक

अपीलकर्ता बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर

Letters Patent Appeal No. 307 of 2019
(इन CWJC No. 1305 of 2019)

उद्धरण (Citation)

2021(1)PLJR 742

न्यायमूर्ति गण का नाम

  • माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय कौल
  • माननीय श्री न्यायमूर्ति एस. कुमार (निर्णय दिनांक 04-02-2021)

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • अपीलकर्ता की ओर से: श्री राज किशोर प्रसाद, श्री लाल बहादुर सिंह, श्री अशोक कुमार
  • प्रतिवादी/राज्य की ओर से: श्री मो. खुर्शीद आलम (AAG-12), श्रीमती नूतन सहाय (AC to AAG-12)

निर्णय का लिंक

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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