निर्णय की सरल व्याख्या
यह मामला नालंदा जिले के दो सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों से जुड़ा है, जिन्होंने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पूर्ण पेंशन की मांग की।
पृष्ठभूमि
- पहले याचिकाकर्ता 1977 में ग्राम स्तर कार्यकर्ता (Village Level Worker) बने और जनवरी 2008 में सेवानिवृत्त हुए।
- दूसरे याचिकाकर्ता 1978 में ग्राम विस्तार कार्यकर्ता (Village Extension Worker) बने और जुलाई 2009 में सेवानिवृत्त हुए।
- दोनों ने 20 वर्ष से अधिक सेवा की थी, लेकिन 33 वर्ष की सेवा पूरी नहीं की थी।
पुराने नियम के अनुसार, 33 वर्ष की सेवा पूरी करने पर ही पूर्ण पेंशन मिलती थी। लेकिन बिहार सरकार के वित्त विभाग ने 23.09.2009 को परिपत्र (Memo No. 819) और बाद में 15.01.2016 को संशोधित आदेश (Memo No. 50(F)) जारी किया। इसमें कहा गया कि—
- 01.04.2007 से 23.09.2009 के बीच रिटायर हुए कर्मचारी, यदि उन्होंने 20 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है, तो वे भी पूर्ण पेंशन पाने के हकदार होंगे।
चूंकि दोनों याचिकाकर्ता इसी अवधि में रिटायर हुए थे, इसलिए उन्होंने इस लाभ की मांग की।
राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में स्वीकार किया कि—
- याचिकाकर्ता इस अवधि में रिटायर हुए हैं और 20 वर्ष से अधिक सेवा पूरी कर चुके हैं।
- उनके पेंशन संबंधी कागजात पहले ही लेखा महानियंत्रक (Accountant General), बिहार को भेज दिए गए हैं ताकि पेंशन का पुनर्निर्धारण (refixation) हो सके।
- स्वीकृति मिलने के बाद पूर्ण पेंशन का भुगतान कर दिया जाएगा।
हाई कोर्ट का फैसला
- कोर्ट ने माना कि दोनों याचिकाकर्ता 2009 और 2016 के संशोधित परिपत्रों के अंतर्गत आते हैं।
- पेंशन का अंतिम निर्धारण लेखा महानियंत्रक के स्तर पर होता है।
- इसलिए कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता दो हफ्तों के भीतर लेखा महानियंत्रक, बिहार, पटना को आवेदन दें।
- लेखा महानियंत्रक को आदेश दिया गया कि वे आवेदन मिलने के चार हफ्तों के भीतर पेंशन का पुनर्निर्धारण करें और आवश्यक भुगतान सुनिश्चित करें।
इस प्रकार, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के पूर्ण पेंशन पाने के अधिकार को मान्यता दी और प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव
- सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए राहत: यह फैसला उन सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए लाभकारी है, जो अप्रैल 2007 से सितंबर 2009 के बीच रिटायर हुए और 20 साल से अधिक सेवा की।
- नियमों की स्पष्टता: कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि नया नियम (20 साल की सेवा) पुराने रिटायरमेंट मामलों पर भी लागू होगा।
- प्रशासनिक जवाबदेही: कोर्ट ने लेखा महानियंत्रक को समय सीमा के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया, जिससे पेंशन में देरी न हो।
- आर्थिक सुरक्षा: पेंशन सेवानिवृत्त कर्मचारियों का जीवनयापन का साधन है। इस फैसले से सुनिश्चित हुआ कि उन्हें उनके अधिकार जल्द मिलें।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या याचिकाकर्ता 33 वर्ष सेवा पूरी न करने पर भी पूर्ण पेंशन पा सकते हैं?
➡ हाँ। यदि 01.04.2007 से 23.09.2009 के बीच रिटायर हुए और 20 वर्ष सेवा पूरी की है, तो वे पात्र हैं। - कोर्ट का निर्देश क्या था?
➡ याचिकाकर्ता दो हफ्तों में लेखा महानियंत्रक को आवेदन दें और उन्हें चार हफ्तों में पेंशन पुनर्निर्धारण करना होगा।
मामले का शीर्षक
Bindeshwar Prasad & Anr. v. State of Bihar & Ors.
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 2643 of 2020
उद्धरण (Citation)
2021(1)PLJR 554
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री अरुण कुमार तिवारी, अधिवक्ता
- राज्य की ओर से: श्री अनंत प्रसाद सिंह, SC-15
निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMjY0MyMyMDIwIzEjTg==—ak1–9cfY64Uzac=
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