निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया जिसमें एक नगर पंचायत के मुख्य पार्षद को, जो उस समय जेल में थे, अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बुलाई गई विशेष बैठक में भाग लेने की अनुमति दी गई।
मामला यह था कि एक नगर पंचायत के मुख्य पार्षद के खिलाफ कुछ वार्ड पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया था। नियमों के अनुसार, जब अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है, तो नगर परिषद के मुख्य पार्षद को ही वह विशेष बैठक बुलानी होती है जिसमें उस प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान किया जाए। लेकिन समस्या यह थी कि मुख्य पार्षद उस समय एक आपराधिक मामले में न्यायिक हिरासत में थे और जेल में बंद थे।
मुख्य पार्षद ने अदालत में याचिका दायर कर कहा कि वह जेल में होने के कारण न तो बैठक बुला सकते हैं और न ही अपनी बात रख सकते हैं। इसलिए इस पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाए।
लेकिन अदालत ने पाया कि कानून में ऐसा कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं है कि एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि जेल में होने के कारण अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि मुख्य पार्षद को यह अधिकार था कि वे जेल से ही बैठक की तारीख तय कर सकते थे। लेकिन उन्होंने जानबूझकर बैठक बुलाने से बचने की कोशिश की और विभाग को पत्र लिखकर मार्गदर्शन माँगा।
इसके बावजूद, अदालत ने यह भी माना कि उन्हें अपने बचाव का पूरा अवसर मिलना चाहिए। इसलिए कोर्ट ने जिला पुलिस और जेल प्रशासन को आदेश दिया कि मुख्य पार्षद को विशेष बैठक में ले जाकर उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करें ताकि वे अपनी बात रख सकें और मतदान प्रक्रिया में शामिल हो सकें।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला स्थानीय शासन प्रणाली के लिए एक नज़ीर पेश करता है। यह स्पष्ट करता है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि यदि जेल में भी हों, तब भी जब तक उन्हें उनके अधिकारों से वंचित करने का कोई आदेश न हो, वे अपने संवैधानिक और वैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन कर सकते हैं।
साथ ही, यह फैसला यह भी सुनिश्चित करता है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित न हो और किसी भी पदाधिकारी को नियमों का दुरुपयोग कर अपने पद पर अनिश्चितकाल तक बने रहने की छूट न मिले। साथ ही, यह निर्णय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की भी रक्षा करता है जिसमें हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अवसर मिलना चाहिए।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या जेल में बंद मुख्य पार्षद बैठक की तारीख तय कर सकते हैं?
- हाँ, कोर्ट ने कहा कि कानून में कोई रोक नहीं है।
- क्या दूसरे लोग उनकी जगह बैठक की तारीख तय कर सकते हैं?
- केवल विशेष परिस्थिति में, जब मुख्य पार्षद जानबूझकर काम नहीं कर रहे हों।
- क्या उन्हें अविश्वास प्रस्ताव की बैठक में भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है?
- हाँ, न्यायालय ने उन्हें बैठक में शामिल होने का अधिकार दिया।
मामले का शीर्षक
Kaushal Kaushik v. State of Bihar & Ors.
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 17563 of 2019
उद्धरण (Citation)
2020 (1) PLJR 76
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री शशि भूषण कुमार मंगलम
- राज्य की ओर से: श्री किंकर कुमार (SC-9), श्री योगेश कुमार (AC to SC-9)
- राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से: श्री अमित श्रीवास्तव, श्री गिरीश पांडे
- नगर पंचायत की ओर से: श्री अनिल कुमार
- निजी प्रतिवादियों की ओर से: श्री पी. के. शाही, श्री रंजीत कुमार
निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/vieworder/MTUjMTc1NjMjMjAxOSMyI04=-drH8FsS2cB0=
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