पंचायत चुनाव में गलत नाम के कारण रद्द हुई उम्मीदवारी – पटना हाई कोर्ट का अहम फैसला

पंचायत चुनाव में गलत नाम के कारण रद्द हुई उम्मीदवारी – पटना हाई कोर्ट का अहम फैसला

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि यदि किसी उम्मीदवार का नाम मतदाता सूची में गलत दर्ज है और समय पर संशोधन नहीं कराया गया, तो वह चुनाव लड़ने का अधिकार खो सकता है। यह मामला सारण जिले के मंझी प्रखंड में पंचायत मुखिया पद के चुनाव से जुड़ा था।

याचिकाकर्ता ने ग्राम पंचायत राज मंझी (पूर्वी) के मुखिया पद के लिए वर्ष 2016 के पंचायत चुनाव में नामांकन दाखिल किया था। लेकिन वर्ष 2015 की विधानसभा मतदाता सूची में उनका नाम गलत रूप से “नसीरुद्दीन मियां” के रूप में दर्ज था, जबकि उनका सही नाम “सुकती” था।

याचिकाकर्ता ने 20 फरवरी 2016 को विधानसभा मतदाता सूची में नाम ठीक कराने के लिए आवेदन दिया और संशोधन करवा लिया। इसके बाद उन्होंने 9 मार्च 2016 को नामांकन पत्र दाखिल किया, जिसे रिटर्निंग ऑफिसर ने स्वीकार कर लिया। चुनाव 24 अप्रैल 2016 को हुआ।

हालाँकि, चुनाव के बाद एक अन्य प्रत्याशी (उत्तरदाता संख्या 6) ने राज्य निर्वाचन आयोग से शिकायत की कि “सुकती” नाम का कोई मतदाता पंचायत वोटर लिस्ट में नहीं है। आयोग ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पहले परिणाम घोषित करने से रोका और फिर याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी रद्द कर दी। साथ ही, अन्य 11 प्रत्याशियों के बीच दोबारा चुनाव कराने का आदेश दिया।

याचिकाकर्ता ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। उनका तर्क था कि विधानसभा वोटर लिस्ट में नाम सही होने के कारण वे पंचायत चुनाव लड़ने के योग्य थे। लेकिन न्यायालय ने यह याचिका खारिज कर दी और आयोग के फैसले को सही ठहराया।

कोर्ट ने कहा कि विधानसभा की मतदाता सूची में नाम संशोधन की अंतिम तिथि 18 जनवरी 2016 थी, जबकि याचिकाकर्ता ने फरवरी में संशोधन कराया। इसके अलावा पंचायत वोटर लिस्ट में उनका नाम कभी सही नहीं किया गया, और आयोग से कोई पूर्व अनुमति भी नहीं ली गई।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला बताता है कि चुनावी प्रक्रिया में समय-सीमा और नियमों का कड़ाई से पालन अनिवार्य है। किसी भी छोटे से चूक की वजह से एक उम्मीदवार चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित हो सकता है। इससे राज्य निर्वाचन आयोग की भूमिका और अधिकारों को भी बल मिलता है, जो चुनाव की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

आम नागरिकों के लिए यह निर्णय यह स्पष्ट करता है कि वोटर लिस्ट में नाम सही होना केवल मतदान के लिए ही नहीं, बल्कि चुनाव लड़ने के लिए भी जरूरी है। यह सरकार को भी सावधान करता है कि मतदाता सूची बनाने की प्रक्रिया पारदर्शी और त्रुटिरहित हो।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या आयोग को चुनाव के बाद उम्मीदवारी रद्द करने का अधिकार है?
    ✅ हाँ, यदि चुनाव की शुचिता पर संदेह हो तो आयोग हस्तक्षेप कर सकता है।
  • क्या विधानसभा वोटर लिस्ट में नाम सही होने से पंचायत चुनाव में भाग लेने की पात्रता मिल जाती है?
    ❌ नहीं, पंचायत वोटर लिस्ट में नाम होना भी अनिवार्य है।
  • क्या याचिकाकर्ता को बिना सुनवाई के अयोग्य ठहराया गया?
    ❌ नहीं, क्योंकि पात्रता पहले से ही स्पष्ट रूप से दोषपूर्ण थी।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय [यदि कोई हो]

  • स्म्ट. कुमकुम देवी बनाम राज्य निर्वाचन आयोग, 2017 (4) PLJR 142
  • बिभा देवी बनाम राज्य निर्वाचन आयोग, 2017 (1) PLJR 225
  • प्रफुल चंद्र सुधांशु बनाम राज्य निर्वाचन आयोग, 2013 (2) PLJR 114

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय [यदि कोई हो]

  • मोहीन्दर सिंह गिल बनाम मुख्य निर्वाचन आयुक्त, AIR 1978 SC 851
  • किशन सिंह तोमर बनाम अहमदाबाद नगर निगम, (2006) 8 SCC 352
  • अशोक कपिल बनाम सनाउल्लाह, (1996) 6 SCC 342
  • कृष्ण मूर्ति बनाम शिव कुमार, AIR 2015 SC 1
  • नीरज सिंह बनाम राज्य निर्वाचन आयोग, 2001 (1) PLJR 516

मामले का शीर्षक
सुकती बनाम राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत एवं अन्य
अख्तर अली बनाम सुकती एवं अन्य

केस नंबर
Letters Patent Appeal Nos. 1151 and 1173 of 2017

उद्धरण (Citation)

2020 (1) PLJR 783

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति ज्योति सरन
माननीय श्री न्यायमूर्ति अरविंद श्रीवास्तव

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री पी.के. शाही, वरिष्ठ अधिवक्ता (याचिकाकर्ता की ओर से)
  • श्री हरीश कुमार, अधिवक्ता (एलपीए 1173/2017 में अपीलकर्ता)
  • श्री अमित श्रीवास्तव, श्री संजीव निकेश (निर्वाचन आयोग की ओर से)
  • श्री संजय कुमार गुप्ता (उत्तरदाता संख्या 7 की ओर से)

निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MyMxMTUxIzIwMTcjMSNO-I7–am1–lfZnsp9M=

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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