पटना हाईकोर्ट ने पंचायती चुनाव में गलत वोटर लिस्ट एंट्री के कारण उम्मीदवार की उम्मीदवारी रद्द करने के आयोग के फैसले को सही ठहराया

पटना हाईकोर्ट ने पंचायती चुनाव में गलत वोटर लिस्ट एंट्री के कारण उम्मीदवार की उम्मीदवारी रद्द करने के आयोग के फैसले को सही ठहराया

निर्णय की सरल व्याख्या

यह मामला बिहार के सारण जिले के मंजही (पूर्वी) ग्राम पंचायत राज में मुखिया पद के चुनाव से जुड़ा है। एक व्यक्ति (याचिकाकर्ता) ने यह चुनाव लड़ा, लेकिन उसके नाम को लेकर वोटर लिस्ट में भ्रम की स्थिति बन गई।

विधानसभा चुनाव 2015 की वोटर लिस्ट में उसका नाम “नसीरुद्दीन मियां” दर्ज था, जबकि असल नाम कुछ और था। उसने 20 फरवरी 2016 को नाम सुधार के लिए आवेदन दिया, जिसके बाद उसका नाम सही कर “सुक्ति” कर दिया गया। उसने 9 मार्च 2016 को नामांकन भरा, जो स्वीकार कर लिया गया।

24 अप्रैल 2016 को मतदान हुआ। लेकिन परिणाम घोषित होने से पहले एक अन्य प्रत्याशी (उत्तरदाता संख्या 6) ने राज्य चुनाव आयोग से शिकायत की कि याचिकाकर्ता पंचायत वोटर लिस्ट में नामांकित नहीं है और इसलिए चुनाव लड़ने के योग्य नहीं था।

आयोग ने परिणाम की घोषणा पर रोक लगा दी और 8 जून 2016 को याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी रद्द कर दी तथा शेष 11 प्रत्याशियों के बीच पुनः चुनाव कराने का आदेश दिया। यह चुनाव 15 जून 2016 को हुआ।

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की, लेकिन एकल न्यायाधीश ने आयोग के फैसले को सही बताया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपील (LPA 1151/2017) की। वहीं, शिकायतकर्ता ने भी परिणामों की गिनती को लेकर क्रॉस-अपील (LPA 1173/2017) की।

पटना हाईकोर्ट की खंडपीठ ने दोनों अपीलों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आयोग को निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने का अधिकार है और अगर कोई उम्मीदवार वोटर लिस्ट में नहीं है, तो वह चुनाव लड़ने का अधिकारी नहीं है, भले ही उसकी फोटो लिस्ट में हो।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि विधानसभा वोटर लिस्ट में समय पर नाम न होने और पंचायत वोटर लिस्ट में नाम सुधार न कराने के कारण याचिकाकर्ता चुनाव लड़ने के योग्य नहीं था।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला स्पष्ट करता है कि केवल नामांकन भरने और फोटो लिस्ट में होने से कोई व्यक्ति चुनाव लड़ने का अधिकारी नहीं हो जाता। उम्मीदवार का नाम सही रूप में समयसीमा के भीतर वोटर लिस्ट में होना अनिवार्य है।

इससे आम जनता को यह संदेश मिलता है कि यदि वे पंचायत या अन्य चुनावों में भाग लेना चाहते हैं, तो उन्हें समय रहते अपने वोटर लिस्ट में नाम और विवरण को सही कराना चाहिए।

सरकार और चुनाव अधिकारियों के लिए यह निर्णय यह स्थापित करता है कि राज्य चुनाव आयोग को चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने का पूरा अधिकार है, और वह समय पर कदम उठा सकता है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या आयोग को चुनाव के बाद परिणाम रुकवाने और उम्मीदवारी रद्द करने का अधिकार है?
    हां; कोर्ट ने धारा 123 और 136(2) के तहत आयोग के अधिकार को वैध बताया।
  • क्या विधानसभा वोटर लिस्ट में नाम सुधार का असर पंचायत वोटर लिस्ट पर भी पड़ता है?
    नहीं; पंचायत वोटर लिस्ट के लिए अलग प्रक्रिया और समयसीमा होती है।
  • क्या बिना सुनवाई के उम्मीदवारी रद्द करना न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है?
    नहीं; उम्मीदवार की अपनी गलती के कारण वह अपात्र हुआ।
  • क्या आयोग की 9 मार्च 2016 की सलाहनामे के आधार पर नामांकन वैध हो सकता था?
    केवल तब, जब नाम सही समय पर विधानसभा वोटर लिस्ट में सही किया गया हो — जो इस मामले में नहीं हुआ।
  • क्या रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा नामांकन स्वीकार कर लेने के बाद आयोग कुछ नहीं कर सकता?
    नहीं; यदि उम्मीदवार अपात्र है तो आयोग कार्रवाई कर सकता है।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • स्म्ट. कुमकुम देवी बनाम राज्य चुनाव आयोग, 2017 (4) PLJR 142
  • बिभा देवी बनाम राज्य चुनाव आयोग (पंचायत), 2017 (1) PLJR 225
  • प्रफुल चंद्र सुधांशु बनाम राज्य चुनाव आयोग, 2013 (2) PLJR 114
  • Ashok Kapil v. Sanaullah, (1996) 6 SCC 342
  • Mahinder Singh Gill v. CEC, AIR 1978 SC 851
  • Kishan Singh Tomar v. Ahmedabad Municipal Corp., (2006) 8 SCC 352
  • Krishna Moorthy v. Sivakumar, AIR 2015 SC 1
  • Neeraj Singh v. SEC, 2001 (1) PLJR 516

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • Mahinder Singh Gill v. CEC, AIR 1978 SC 851
  • Kishan Singh Tomar v. Ahmedabad Municipal Corp., (2006) 8 SCC 352
  • Krishna Moorthy v. Sivakumar, AIR 2015 SC 1
  • Neeraj Singh v. SEC, 2001 (1) PLJR 516

मामले का शीर्षक

Letters Patent Appeal Nos. 1151 & 1173 of 2017

केस नंबर

LPA No. 1151 of 2017 and LPA No. 1173 of 2017

उद्धरण (Citation)

2020 (1) PLJR 783

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति ज्योति सरन
माननीय श्री न्यायमूर्ति अरविन्द श्रीवास्तव

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री पी.के. शाही, वरिष्ठ अधिवक्ता (अपीलकर्ता की ओर से)
  • श्री एस.बी.के. मंगलम, श्रीमती अनीता कुमारी (अपीलकर्ता की ओर से)
  • श्री अमित श्रीवास्तव, श्री संजीव निकेश (राज्य चुनाव आयोग की ओर से)
  • श्री हरीश कुमार (उत्तरदाता संख्या 6 / अपीलकर्ता LPA 1173 में)
  • श्री संजय कुमार गुप्ता (उत्तरदाता संख्या 7 की ओर से)

निर्णय का लिंक

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MyMxMTUxIzIwMTcjMSNO-I7–am1–lfZnsp9M=

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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