निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया कि किसी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी, खासकर क्लास-III और क्लास-IV श्रेणी के कर्मचारियों से सेवा निवृत्ति के बाद पेंशन या ग्रेच्युटी में कटौती करके “अधिक भुगतान” की वसूली करना कानूनी रूप से गलत है, जब तक कि कर्मचारी ने धोखाधड़ी या गलत जानकारी देकर लाभ न लिया हो।
यह मामला एक केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के उप-निरीक्षक (क्लास-III, नॉन-गजेटेड कर्मचारी) से जुड़ा है, जिन्होंने जुलाई 2023 में सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन और अन्य बकाया लाभों की मांग की। विभाग ने यह कहते हुए ₹2,13,908 ग्रेच्युटी से काट लिया कि 2008 में वेतन निर्धारण गलत हुआ था। न तो कर्मचारी को कोई शो-कॉज नोटिस दिया गया और न ही सफाई का मौका मिला।
कर्मचारी ने इस कार्रवाई को चुनौती दी और दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही ऐसे मामलों में वसूली को रोका है। अदालत ने पाया कि विभाग की कार्रवाई न केवल नियमों के खिलाफ थी बल्कि प्राकृतिक न्याय (Natural Justice) के सिद्धांत का भी उल्लंघन करती है।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि:
- कर्मचारी ने कोई धोखा नहीं किया था।
- वेतन निर्धारण विभागीय गलती से हुआ था।
- सेवानिवृत्ति के बाद अचानक इस तरह की वसूली करना अनुचित है।
इसलिए, अदालत ने वसूली से संबंधित सभी आदेश रद्द कर दिए और विभाग को निर्देश दिया कि पेंशन व अन्य बकाया लाभ तुरंत जारी किए जाएं।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए एक बड़ा सबक है। अक्सर कर्मचारी बिना किसी गलती के विभागीय त्रुटि का शिकार बन जाते हैं। खासकर क्लास-III और क्लास-IV कर्मचारी, जिनकी आजीविका पेंशन व ग्रेच्युटी पर निर्भर होती है, उनके लिए यह सुरक्षा बेहद अहम है।
इस निर्णय के बाद:
- सेवानिवृत्त कर्मचारियों को यह भरोसा मिला कि उनकी पेंशन व ग्रेच्युटी सुरक्षित हैं।
- विभागों को वेतन निर्धारण और प्रमोशन में अधिक सावधानी बरतनी होगी।
- सामान्य कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा मजबूत हुई है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या क्लास-III कर्मचारी से रिटायरमेंट के बाद वसूली की जा सकती है?
❌ नहीं। सुप्रीम कोर्ट के State of Punjab v. Rafiq Masih (2015) फैसले के अनुसार, क्लास-III और क्लास-IV कर्मचारियों से इस तरह की वसूली नहीं हो सकती। - क्या विभाग द्वारा बिना नोटिस दिए पेंशन कम करना या ग्रेच्युटी काटना सही है?
❌ नहीं। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। - क्या कर्मचारी द्वारा दिया गया “अंडरटेकिंग” वसूली को वैध बना सकता है?
❌ नहीं। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि साधारण फॉर्म में हस्ताक्षर को इस तरह नहीं पढ़ा जा सकता कि क्लास-III कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद भी वसूली सह ले।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- State of Punjab & Ors. v. Rafiq Masih (White Washer) & Ors., (2015) 4 SCC 334
- High Court of Punjab and Haryana v. Jagdev Singh, (2016) 14 SCC 267
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- Sahib Ram v. State of Haryana & Ors., 1995 Supp (1) SCC 18
- Col. B.J. Akkara (Retd.) v. Government of India & Ors., (2006) 11 SCC 709
- Syed Abdul Qadir & Ors. v. State of Bihar & Ors., (2009) 3 SCC 475
- State of Punjab & Ors. v. Rafiq Masih (White Washer) & Ors., (2015) 4 SCC 334
मामले का शीर्षक
सेवानिवृत्त CISF उप-निरीक्षक बनाम भारत संघ एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 11407 of 2024
उद्धरण (Citation)
2025 (1) PLJR 553
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय न्यायमूर्ति पुर्नेन्दु सिंह
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री गजेन्द्र प्रताप सिंह, अधिवक्ता
- प्रतिवादियों की ओर से: डॉ. कृष्णानंदन सिंह, सहायक सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया; श्रीमती पुनम कुमारी सिंह, CGC; श्री अमरजीत, JC to ASGI
निर्णय का लिंक
MTUjMTE0MDcjMjAyNCMxI04=-OtEdoy0Otdw=
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