निर्णय की सरल व्याख्या
यह मामला एक ग्रामीण पेट्रोल पंप (किसान सेवा केंद्र) की डीलरशिप समाप्त करने से जुड़ा है। सरकारी तेल कंपनी ने 21.06.2023 को पत्र जारी कर डीलरशिप खत्म कर दी थी। इसके खिलाफ पेट्रोल पंप मालिक ने पटना हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और आपूर्ति फिर से शुरू करने की मांग की। अदालत ने 25.07.2024 को इस मामले में फैसला सुनाया।
तेल कंपनी का आरोप था कि पेट्रोल पंप मालिक ने अपनी वैवाहिक स्थिति छुपाकर झूठे दस्तावेज़ों से डीलरशिप ली। कंपनी को एक गुमनाम शिकायत मिली थी कि मालिक की पत्नी का नाम आवेदन पत्र में “स्वेता राय” लिखा गया था, लेकिन बाद में हलफ़नामे में “अंजली कुमारी” लिखा गया। इस अंतर को देखकर कंपनी ने मान लिया कि आवेदक शादीशुदा नहीं थे और डीलरशिप लेने के लिए जानकारी छुपाई।
दूसरी ओर, पेट्रोल पंप मालिक ने कई दस्तावेज़ प्रस्तुत किए—जैसे विवाह कार्ड, स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र, ग्राम पंचायत का सर्टिफिकेट, और मजिस्ट्रेट के सामने शपथ पत्र—जिनमें साफ़ था कि उनकी पत्नी को दोनों नामों से जाना जाता है। सभी दस्तावेज़ असली थे और जांच में भी सही पाए गए।
कोर्ट ने पाया कि कंपनी ने गुमनाम शिकायत के आधार पर कठोर कदम उठाया, जबकि दस्तावेज़ों में मालिक का पक्ष मज़बूत साबित हो रहा था। अदालत ने यह भी कहा कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में एक ही व्यक्ति के कई नाम या अलग-अलग वर्तनी का चलन आम है। ऐसे मामूली अंतर को धोखाधड़ी मानना गलत है।
इसलिए अदालत ने 21.06.2023 का समाप्ति आदेश रद्द कर दिया और तुरंत पेट्रोल की आपूर्ति बहाल करने का आदेश दिया। साथ ही यह भी कहा कि यदि भविष्य में कंपनी को ठोस सबूत मिलते हैं, तो वह उचित कानूनी प्रक्रिया (नोटिस, सुनवाई, कारण बताने वाला आदेश) अपनाकर कार्रवाई कर सकती है। लेकिन अभी की आपूर्ति तुरंत शुरू करनी होगी।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला आम लोगों और छोटे उद्यमियों के लिए बेहद अहम है। यह बताता है कि सरकारी कंपनियाँ या विभाग बिना ठोस सबूत और उचित प्रक्रिया अपनाए किसी की जीविका नहीं छीन सकते।
ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर नामों की वर्तनी या अलग-अलग नामों का इस्तेमाल होता है। यदि ऐसे मामूली कारणों से डीलरशिप या सरकारी लाइसेंस रद्द किए जाएँ, तो हजारों परिवार प्रभावित होंगे। अदालत ने साफ़ किया कि गुमनाम शिकायतों पर आँख बंद करके कार्रवाई करना अनुचित है।
सरकार और सार्वजनिक उपक्रमों के लिए भी यह संदेश है कि हर कार्रवाई सबूत और न्यायसंगत प्रक्रिया पर आधारित होनी चाहिए।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या गुमनाम शिकायत और पत्नी के नाम में अंतर के आधार पर डीलरशिप रद्द की जा सकती है?
• नहीं। अदालत ने कहा कि यह कार्रवाई अवैध और मनमानी है। - क्या “स्वेता राय” और “अंजली कुमारी” जैसे नामों में अंतर धोखाधड़ी साबित करता है?
• नहीं। ग्रामीण इलाकों में नाम अलग-अलग दस्तावेज़ों में अलग हो सकते हैं। जब तक ठोस सबूत न हो, इसे फर्जीवाड़ा नहीं माना जा सकता। - क्या पेट्रोल की आपूर्ति तुरंत बहाल करनी होगी?
• हाँ। अदालत ने आदेश दिया कि आपूर्ति तुरंत शुरू हो। भविष्य में यदि नए प्रमाण मिलें, तो कंपनी उचित प्रक्रिया के तहत कार्यवाही कर सकती है।
मामले का शीर्षक
नितेश कुनाल बनाम इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case (CWJC) No. 12664 of 2023
उद्धरण (Citation)
2025 (1) PLJR 505
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायाधीश ए. अभिषेक रेड्डी
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
याचिकाकर्ता की ओर से: अधिवक्ता श्री नीरज कुमार गुप्ता
प्रतिवादीगण की ओर से: अधिवक्ता श्री सनत कुमार मिश्रा
निर्णय का लिंक
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