निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा पूरे राज्य में प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माण, आयात, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध को वैध करार दिया है। यह आदेश बिहार सरकार की अधिसूचना संख्या 1153(E) दिनांक 15 अक्टूबर 2018 के खिलाफ दायर दो याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया गया।
याचिकाकर्ता छोटे और मध्यम प्लास्टिक उद्योग से जुड़े कारोबारी थे, जिन्होंने तर्क दिया कि यह प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19 (व्यवसाय करने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह अधिसूचना पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 के खिलाफ है, जिसमें 50 माइक्रॉन से मोटे प्लास्टिक बैग के निर्माण की अनुमति दी गई है।
सरकार की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने 1988 में एक अधिसूचना के माध्यम से राज्यों को पर्यावरण संरक्षण के लिए निर्देश जारी करने की शक्ति दी थी, जिसके तहत बिहार सरकार ने यह प्रतिबंध लागू किया। उन्होंने यह भी बताया कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 48A (पर्यावरण संरक्षण का कर्तव्य) के अनुरूप है।
कोर्ट ने इस मामले में कई कानूनी पहलुओं की समीक्षा की। सबसे पहले यह देखा गया कि क्या राज्य सरकार के पास ऐसा प्रतिबंध लगाने का अधिकार था। कोर्ट ने माना कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा 5 और 23 के तहत केंद्र सरकार राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी करने की शक्ति सौंप सकती है। और बिहार सरकार ने उसी आधार पर यह अधिसूचना जारी की।
याचिकाकर्ताओं ने जिन नियमों का हवाला दिया, उनमें 50 माइक्रॉन से मोटे प्लास्टिक बैग को वैध बताया गया है। लेकिन कोर्ट ने साफ किया कि ये नियम केवल तब लागू होते हैं जब राज्य सरकार ऐसे प्लास्टिक बैग के निर्माण की अनुमति देती है। अगर राज्य सरकार ने पहले ही पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, तो फिर यह नियम स्वतः ही अप्रभावी हो जाते हैं।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 48A का केवल अनुसरण करती है, लेकिन इसकी वैधता का आधार पर्यावरण संरक्षण अधिनियम है। इसलिए इसे केवल नीति निर्देशक सिद्धांत कहकर खारिज नहीं किया जा सकता।
न्यायालय ने कहा कि प्लास्टिक कैरी बैग पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा हैं, और बिहार सरकार का यह कदम अन्य राज्यों द्वारा लिए गए ऐसे ही निर्णयों के अनुरूप है।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह निर्णय राज्य सरकार को पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मामलों में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की संवैधानिक और कानूनी शक्ति प्रदान करता है। यह एक मजबूत उदाहरण है कि राज्य, केंद्र द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत जनहित में नीतिगत निर्णय ले सकता है।
आम जनता के लिए यह आदेश साफ संदेश है कि अब बिहार में प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग, चाहे वे किसी भी मोटाई के हों, पूरी तरह से गैरकानूनी है। व्यवसायियों को भी अब इस नियम के अनुसार अपना संचालन करना होगा। इसके साथ ही यह निर्णय अन्य राज्यों को भी प्रेरित करेगा कि वे पर्यावरण संरक्षण के लिए ऐसे ही ठोस कदम उठाएं।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या बिहार सरकार को पूर्ण प्रतिबंध लगाने का अधिकार था?
✔ हाँ, क्योंकि यह शक्ति केंद्र सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा 5 व 23 के तहत दी गई थी। - क्या यह अधिसूचना 2016 के प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट नियमों का उल्लंघन करती है?
❌ नहीं, क्योंकि ये नियम केवल तब लागू होते हैं जब राज्य प्लास्टिक के उपयोग की अनुमति देता है। - क्या नीति निर्देशक सिद्धांत (अनुच्छेद 48A) के आधार पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है?
✔ आंशिक रूप से। लेकिन इस मामले में अधिसूचना का कानूनी आधार पर्यावरण अधिनियम की शक्तियाँ हैं, न कि सिर्फ अनुच्छेद 48A। - क्या किसी पूर्व जनहित याचिका पर आए फैसले से यह मामला प्रभावित होता है?
❌ नहीं, क्योंकि उस समय यह अधिसूचना अस्तित्व में नहीं थी।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- कोलुथरा एक्सपोर्ट्स लिमिटेड बनाम केरल राज्य, (2002) 2 SCC 459
- राज्य बनाम सुभाष चंद्र जयसवाल, (2017) 5 SCC 163
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- उमा शंकर सिंह बनाम बिहार राज्य, CWJC No. 8769/2016 (पटना उच्च न्यायालय)
- मद्रास हाईकोर्ट का आदेश (Annexure R6/2, बिहार SPCB हलफनामा)
मामले का शीर्षक
Sangita Plastic & Others बनाम भारत संघ एवं अन्य (संलग्न याचिकाओं सहित)
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case Nos. 24358 और 24357 of 2018
उद्धरण (Citation)
2020 (3) PLJR 284
माननीय न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति ज्योति सरन
माननीय श्री न्यायमूर्ति अरविंद श्रीवास्तव
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता (CWJC No. 24358/2018): श्री सूरज समदर्शी, अधिवक्ता
- याचिकाकर्ता (CWJC No. 24357/2018): श्री प्रभात रंजन, अधिवक्ता
- राज्य की ओर से: श्री ललित किशोर, महाधिवक्ता; श्री अंशुमान सिंह, सहायक
- भारत सरकार की ओर से: श्री एस.डी. संजय, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल; सुश्री निवेदिता निर्विकार, श्री कुमार प्रिया रंजन, श्री अंशुमान सिंह
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से: सुश्री बिनीता सिंह, श्री अभिमन्यु सिंह, अधिवक्ता
निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMjQzNTgjMjAxOCMxI04=-EfgDZo2GlCw=
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