पटना उच्च न्यायालय : डाक की देरी से छूटा इंटरव्यू, नियुक्ति पर दावा नामंजूर (2020)

पटना उच्च न्यायालय : डाक की देरी से छूटा इंटरव्यू, नियुक्ति पर दावा नामंजूर (2020)

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना उच्च न्यायालय की दो-न्यायाधीशों वाली खंडपीठ ने 25 सितम्बर 2020 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। यह मामला एक अभ्यर्थी से जुड़ा था, जिसने सिविल कोर्ट, बेगूसराय में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के पद के लिए आवेदन किया था। उसका इंटरव्यू 16 नवम्बर 2016 को होना था। उसे कॉल लेटर 11 नवम्बर को डाक द्वारा भेजा गया था, लेकिन उसे यह पत्र इंटरव्यू वाले दिन दोपहर में ही मिला। नतीजतन वह इंटरव्यू में शामिल नहीं हो सका।

अभ्यर्थी ने 21 नवम्बर 2016 को एक आवेदन देकर पुनः इंटरव्यू का मौका माँगा। लेकिन तब तक चयन प्रक्रिया जारी रही और 17 दिसम्बर 2016 को मेरिट लिस्ट प्रकाशित हो गई। इसके बाद मार्च 2017 में उसने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल की। एकल न्यायाधीश ने उसकी याचिका खारिज कर दी। उन्होंने कहा कि डाक की देरी के आधार पर इंटरव्यू फिर से लेने का कोई अधिकार नहीं बनता।

इसके बाद अभ्यर्थी ने खंडपीठ में अपील (LPA) दायर की, लेकिन यहाँ भी उसकी अपील खारिज कर दी गई। कोर्ट ने कहा कि –

  1. रिट न्यायाधिकार (Article 226) एक विवेकाधीन अधिकार है, इसे विलंब करने वाले या लापरवाह व्यक्ति के पक्ष में प्रयोग नहीं किया जा सकता।
  2. मेरिट लिस्ट प्रकाशित होने और अन्य अभ्यर्थियों के चयन होने के बाद तीसरे पक्ष के अधिकार स्थापित हो जाते हैं। ऐसे में पुरानी प्रक्रिया को दोबारा खोलना न्यायोचित नहीं है।
  3. 2017 में नई भर्ती नियमावली लागू हो चुकी थी, जिसमें नियुक्ति की शक्ति जिला न्यायाधीश से बदलकर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के पास चली गई थी। इस कारण 2016 की पूरी प्रक्रिया को छेड़ना अनुचित होता।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

  • अभ्यर्थियों के लिए सबक: यदि भर्ती प्रक्रिया में कोई समस्या हो तो तत्काल लिखित शिकायत करनी चाहिए। देर से की गई कार्रवाई या याचिका का लाभ नहीं मिलता। न्यायालय ने साफ कहा कि डाक विभाग की देरी उम्मीदवार को विशेष छूट नहीं दिला सकती।
  • नियुक्ति करने वाले विभागों के लिए: यह फैसला भर्ती निकायों को यह भरोसा देता है कि वे तय समय-सारणी के अनुसार चयन प्रक्रिया पूरी करें। बाद में कोर्ट केवल बहुत असाधारण स्थिति में ही दखल देगा।
  • सरकार और प्रशासन के लिए: फैसले ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जब नए भर्ती नियम लागू हो जाएँ, तो पुराने नियमों पर आधारित प्रक्रियाओं को दोबारा नहीं खोला जा सकता।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या डाक से देर से पहुँचे इंटरव्यू कॉल लेटर के आधार पर विशेष इंटरव्यू की माँग की जा सकती है?
    निर्णय: नहीं। एक बार प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद किसी उम्मीदवार को अलग से मौका नहीं दिया जा सकता।
  • क्या देर से याचिका दाखिल करने पर न्यायालय राहत देगा?
    निर्णय: नहीं। याचिका दाखिल करने में हुई देरी और मेरिट लिस्ट के बाद तीसरे पक्ष के अधिकार स्थापित हो चुके थे, इसलिए राहत नहीं दी जा सकती।
  • क्या नए भर्ती नियम लागू होने के बाद पुरानी प्रक्रिया में बदलाव किया जा सकता है?
    निर्णय: नहीं। नई नियमावली लागू होने से पुरानी प्रक्रिया अपने आप अंतिम मानी जाएगी।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • अपीलकर्ता ने कुछ जिलों (बक्सर, भोजपुर, शेखपुरा, हाजीपुर) के उदाहरण दिए जहाँ देरी से कॉल लेटर मिलने पर इंटरव्यू दोबारा लिया गया था। लेकिन न्यायालय ने इन्हें मान्य नहीं माना।

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • State of M.P. v. Nandlal Jaiswal, (1986) 4 SCC 566 — विलंब और तीसरे पक्ष के अधिकारों की स्थिति में रिट राहत नहीं दी जाती।
  • Shubham Kumar v. BPSC, 2014 (3) PLJR 661 (पटना) — डाक से देरी होने पर भी उम्मीदवार को अलग इंटरव्यू का अधिकार नहीं।
  • T. Jayakumar (सुप्रीम कोर्ट) — समयसीमा के उल्लंघन पर आवेदन अस्वीकार सही।
  • S. Krishna Chaitanya (सुप्रीम कोर्ट) — भर्ती प्रक्रिया में समयसीमा की पाबंदी जरूरी।
  • Manas Kumar Sinha, Sri Krishna Nandan Sah v. Union of India, 2012 (3) PLJR 173; Mohan Jee Yadav v. State of Bihar, 2012 (4) PLJR 995 — पटना उच्च न्यायालय के फैसले, जिनमें देर से किए गए दावे खारिज हुए।

मामले का शीर्षक
अभ्यर्थी बनाम रजिस्ट्रार जनरल, पटना उच्च न्यायालय एवं अन्य (Letters Patent Appeal)

केस नंबर
LPA No. 1377 of 2018 in CWJC No. 4290 of 2017, दिनांक 25.09.2020

उद्धरण (Citation)
2021(2) PLJR 33

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह
माननीय श्री न्यायमूर्ति अनिल कुमार सिन्हा

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • अपीलकर्ता की ओर से : श्री दिनु कुमार, अधिवक्ता; श्री प्रशांत सिन्हा, अधिवक्ता
  • प्रतिवादियों की ओर से : श्री मृगांक मौली, अधिवक्ता

निर्णय का लिंक
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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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