निर्णय की सरल व्याख्या
पटना उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसला देते हुए यह स्पष्ट किया कि यदि किसी सरकारी पद पर नियुक्ति में देरी राज्य सरकार की लापरवाही के कारण हुई है, तो ऐसे कर्मचारी नई अंशदायी पेंशन योजना (CPS) के बजाय पुरानी पेंशन योजना (OPS) के हकदार होंगे।
यह मामला उन उम्मीदवारों से जुड़ा था जिन्होंने 1998 में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा जारी एक विज्ञापन के तहत आवेदन किया था। परीक्षा और साक्षात्कार पूरा होने के बाद आयोग ने जनवरी 2003 में नामों की अनुशंसा की थी। इसके बाद अप्रैल 2005 में परामर्श (counselling) हुई।
हालांकि, केवल कुछ उम्मीदवारों की नियुक्ति 30 जून 2005 को कर दी गई — जो कि नई पेंशन योजना लागू होने (01 सितंबर 2005) से पहले की तारीख थी। बाकी उम्मीदवारों, जिनकी योग्यता और रैंक अधिक थी, की नियुक्ति बिना किसी कारण रोक दी गई।
इन उम्मीदवारों ने न्यायालय में याचिका दाखिल की और कई वर्षों बाद 31 दिसंबर 2007 को उनकी नियुक्ति हुई। विवाद इस बात का था कि क्या उन्हें OPS का लाभ मिलेगा या CPS लागू होगा क्योंकि उनकी नियुक्ति की तिथि 01.09.2005 के बाद की थी।
न्यायालय ने कहा कि — पुरानी रिक्तियों पर पुराना नियम लागू होगा। यदि चयन प्रक्रिया पुरानी योजना के दौरान शुरू हुई थी और केवल प्रशासनिक देरी से नियुक्ति बाद में हुई, तो उस देरी का खामियाज़ा उम्मीदवारों को नहीं भुगतना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि चूंकि चयन 1998 की विज्ञप्ति से शुरू हुआ था, आयोग की अनुशंसा 2003 में हुई थी और परामर्श 2005 में हुआ था, इसलिए यह पूरा चयन “पुराने लेनदेन” (old transaction) का हिस्सा है। इसलिए उन सभी उम्मीदवारों को OPS का लाभ मिलना चाहिए, जैसे कि उनके नीचे रैंक वाले उम्मीदवारों को पहले ही मिल चुका है।
न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय P. Mahendran v. State of Karnataka (1990) 1 SCC 411 और Union of India v. Gurnam Singh (1982) 2 SCC 314 का हवाला दिया। इन फैसलों में कहा गया था कि “पुरानी रिक्तियों पर वही नियम लागू होंगे जो उस समय प्रभावी थे” और “पेंशन सेवा की शर्त का हिस्सा है।”
अंततः कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली और निर्देश दिया कि संबंधित जिला पदाधिकारी छह सप्ताह के भीतर जांच कर यह सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ताओं को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिले, उनकी वेतन निर्धारण (pay fixation) और वरिष्ठता उसी तारीख से मानी जाए जिस दिन उनके नीचे रैंक वाले उम्मीदवारों की नियुक्ति हुई थी।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला उन हजारों सरकारी अभ्यर्थियों के लिए राहत लेकर आया है जिनकी नियुक्ति कई वर्षों तक प्रशासनिक कारणों से लटकी रही।
न्यायालय ने यह सिद्धांत दोहराया कि—
- यदि चयन प्रक्रिया पुरानी योजना में शुरू हुई थी, तो केवल देरी से नियुक्ति के कारण किसी को नई योजना में नहीं डाला जा सकता।
- “पेंशन” सेवा की शर्त है, इसलिए भर्ती के समय जो नियम थे, वही लागू होंगे।
- एक ही मेरिट सूची के दो उम्मीदवारों के साथ असमान व्यवहार नहीं किया जा सकता — वरिष्ठ उम्मीदवारों को उनके जूनियरों से कम लाभ नहीं दिया जा सकता।
सरकारी विभागों के लिए यह फैसला एक चेतावनी भी है कि वे समय पर नियुक्ति प्रक्रियाएं पूरी करें, अन्यथा उन्हें वित्तीय दायित्वों का सामना करना पड़ सकता है। आम जनता और अभ्यर्थियों के लिए यह संदेश है कि यदि देरी सरकार की गलती से हुई है, तो उनके अधिकार समाप्त नहीं होते।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- मुद्दा: क्या पुराने विज्ञापन (1998) से चयनित, लेकिन बाद में (2007) नियुक्त उम्मीदवारों पर OPS लागू होगा या CPS?
निर्णय: OPS लागू होगा।
कारण: यह नियुक्तियां पुराने रिक्त पदों से संबंधित हैं; चयन प्रक्रिया पुरानी योजना में शुरू हुई थी; देरी सरकार की वजह से हुई; नीचे रैंक वाले उम्मीदवार पहले ही OPS में हैं। - मुद्दा: क्या केवल नियुक्ति पत्र की तारीख नई पेंशन योजना लागू करने के लिए पर्याप्त है?
निर्णय: नहीं।
कारण: पेंशन सेवा की शर्त है; जो नियम भर्ती के समय लागू थे, वही मान्य होंगे। - मुद्दा: यदि OPS लागू होता है तो क्या लाभ मिलेंगे?
निर्णय: याचिकाकर्ताओं को पुरानी पेंशन योजना के साथ-साथ वेतन निर्धारण, वरिष्ठता और सेवा निरंतरता (notional continuity) का लाभ मिलेगा। जिला पदाधिकारी 6 सप्ताह में यह सुनिश्चित करेंगे।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- Chandra Kant Kumar & Ors. v. State of Bihar & Ors., CWJC No. 16468 of 2016, निर्णय दिनांक 03.04.2017।
- Md. Kayumuddin Ansari & Ors. v. State of Bihar & Ors., CWJC No. 10901 of 2006, निर्णय दिनांक 03.08.2011।
- Raj Narayan & Ors. v. State of Bihar & Ors., CWJC No. 20654 of 2010, निर्णय दिनांक 11.02.2016।
- Pramod Kumar & Ors. v. State of Bihar & Ors., CWJC No. 13797 of 2016, निर्णय दिनांक 03.04.2018।
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- Md. Kayumuddin Ansari & Ors. v. State of Bihar & Ors., CWJC No. 10901 of 2006।
- P. Mahendran v. State of Karnataka, (1990) 1 SCC 411।
- Union of India v. Gurnam Singh, (1982) 2 SCC 314।
मामले का शीर्षक
याचिकाकर्ता बनाम बिहार राज्य एवं अन्य (नाम गोपनीय)
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 7413 of 2017
उद्धरण (Citation)
2021(2) PLJR 551
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ताओं की ओर से: श्री संजीत कुमार, अधिवक्ता
- राज्य की ओर से: श्री अनिल कुमार, सहायक अधिवक्ता (AC to SC-8)
निर्णय का लिंक
MTUjNzQxMyMyMDE3IzEjTg==-hhDnHfiAa1s=
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