निर्णय की सरल व्याख्या
यह मामला पटना हाई कोर्ट का है, जहाँ 25 फरवरी 2020 को सिविल रिट जूरिस्डिक्शन केस नंबर 1061/2020 पर निर्णय दिया गया। मामला रेलवे सुरक्षा बल (Railway Protection Force – RPF) में कांस्टेबल (बैंड) भर्ती से जुड़ा था।
याचिकाकर्ता (राजस्थान और उत्तर प्रदेश से उम्मीदवार) चयन प्रक्रिया में असफल रहे। उन्होंने भर्ती की प्रक्रिया को चुनौती दी और आरोप लगाया कि रेलवे ने विज्ञापन में बताई गई शर्तों का पालन नहीं किया और चयन मनमाने तरीके से किया।
पृष्ठभूमि
2016 में रेलवे ने कांस्टेबल (बैंड) की भर्ती के लिए विज्ञापन संख्या 1/2016 निकाला। चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा, शारीरिक परीक्षा एवं मापन परीक्षण और फिर ट्रेड टेस्ट (वाद्ययंत्र बजाने का परीक्षण) शामिल था।
याचिकाकर्ता लिखित और शारीरिक परीक्षा में सफल हुए लेकिन ट्रेड टेस्ट में असफल रहे। उन्होंने अदालत में तर्क दिया कि:
- विज्ञापन में स्पष्ट था कि दस्तावेज़ सत्यापन ट्रेड टेस्ट से पहले होगा, लेकिन रेलवे ने बाद में प्रक्रिया बदल दी।
- सीटों की संख्या बढ़ाकर 269 की गई थी, पर चयन केवल 148 उम्मीदवारों का ही किया गया।
- कुछ उम्मीदवारों को हारमोनियम और मृदंग जैसे वाद्य बजाने की अनुमति दी गई, जबकि ये वाद्य चयन प्रक्रिया का हिस्सा नहीं थे।
रेलवे का जवाब
रेलवे ने अपने जवाब में कहा:
- दिसंबर 2018 में एक शुद्धिपत्र (corrigendum) जारी किया गया था जिसमें स्पष्ट किया गया कि ट्रेड टेस्ट दस्तावेज़ सत्यापन से पहले होगा। यह रेलवे बोर्ड के निर्देश संख्या 34 के अनुसार था।
- याचिकाकर्ताओं ने इस शुद्धिपत्र को चुनौती नहीं दी और खुले मन से इसी प्रक्रिया में भाग लिया। असफल होने के बाद वे इसे चुनौती नहीं दे सकते।
- केवल 148 उम्मीदवार ही योग्य पाए गए, इसलिए उतने ही चुने गए। सभी विज्ञापित पद भरना आवश्यक नहीं है यदि पर्याप्त योग्य उम्मीदवार उपलब्ध न हों।
- हारमोनियम और मृदंग वाले आरोप को सिरे से खारिज किया गया।
हाई कोर्ट का फैसला
माननीय न्यायालय ने याचिका को निर्मूल (meritless) मानते हुए खारिज कर दिया।
तर्क इस प्रकार थे:
- याचिकाकर्ता स्वयं इस संशोधित प्रक्रिया में शामिल हुए और 9 महीने तक शुद्धिपत्र पर आपत्ति नहीं की। ऐसे में वे असफल होने के बाद इसे चुनौती देने के हकदार नहीं।
- शुद्धिपत्र सही और विधिसम्मत था क्योंकि यह रेलवे बोर्ड के नियमों के अनुरूप जारी किया गया था।
- केवल योग्य पाए गए उम्मीदवारों का चयन करना नियमों के अनुसार उचित था।
- हारमोनियम और मृदंग वाले आरोप पर याचिकाकर्ताओं ने कोई प्रतिवाद (rejoinder) दाखिल नहीं किया, इसलिए रेलवे का जवाब स्वीकार किया गया।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
- उम्मीदवारों के लिए: यह फैसला बताता है कि यदि कोई उम्मीदवार भर्ती प्रक्रिया के नियमों में संशोधन के बाद उसमें भाग लेता है, तो असफल होने पर वह उसे चुनौती नहीं दे सकता।
- सरकारी विभागों के लिए: यह मामला याद दिलाता है कि विज्ञापन में गलती होने पर समय रहते शुद्धिपत्र जारी करना जरूरी है।
- कानूनविदों के लिए: यह फैसला “एस्टॉपल (estoppel)” के सिद्धांत को मजबूत करता है – यानी उम्मीदवार अगर प्रक्रिया में भाग ले चुका है तो बाद में उसकी वैधता पर सवाल नहीं उठा सकता।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या दस्तावेज़ सत्यापन को ट्रेड टेस्ट से पहले न कराने से प्रक्रिया अवैध हो गई?
- निर्णय: नहीं। शुद्धिपत्र के जरिए प्रक्रिया सही की गई थी और याचिकाकर्ता ने इसे स्वीकार करके भाग लिया।
- क्या रेलवे ने कम उम्मीदवारों का चयन करके गलती की?
- निर्णय: नहीं। केवल 148 उम्मीदवार ही योग्य पाए गए थे। अधिक नियुक्ति करने का सवाल ही नहीं।
- क्या हारमोनियम और मृदंग की अनुमति नियमों के खिलाफ थी?
- निर्णय: नहीं। रेलवे ने इसे खारिज किया और याचिकाकर्ताओं ने प्रतिवाद नहीं किया।
मामले का शीर्षक
Anuj Kumar Meena & Ors. बनाम East Central Railway & Ors.
केस नंबर
CWJC No. 1061 of 2020
उद्धरण (Citation)
2021(1)PLJR 567
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ताओं की ओर से: अशोक कुमार चौधरी, मनोरंजन कुमार, अक्षांश अंकित, प्रकाश कुमार
- प्रतिवादी (रेलवे) की ओर से: कुमार प्रिया रंजन, पल्लव
निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/vieworder/MTUjMTA2MSMyMDIwIzMjTg==-95I–ak1–QBD–am1–gUQ=
यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।