पटना हाईकोर्ट का फैसला: पेंशन रोकने का आदेश रद्द (2021)

पटना हाईकोर्ट का फैसला: पेंशन रोकने का आदेश रद्द (2021)

निर्णय की सरल व्याख्या

यह मामला एक सेवानिवृत्त अधिकारी (याचिकाकर्ता) से जुड़ा था, जो पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग में कार्यरत थे। याचिकाकर्ता 31 जुलाई 2013 को सेवा से सेवानिवृत्त हुए। इसके लगभग चार साल बाद, 2 मार्च 2017 को सरकार ने आदेश जारी कर उनकी पूरी पेंशन और ग्रेच्युटी स्थायी रूप से जब्त (forfeit) कर ली। यह आदेश बिहार पेंशन नियमावली, 1950 के नियम 43(a) के तहत पारित किया गया था।

सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि याचिकाकर्ता को जनवरी 2011 में एक आपराधिक मामले में दोषसिद्ध (convicted) पाया गया था। यानी यह दोषसिद्धि उनकी सेवानिवृत्ति से पहले की थी।

याचिकाकर्ता ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। उनका तर्क था कि—

  • नियम 43(a) केवल पेंशनभोगी के भविष्य के आचरण (future conduct) पर लागू होता है।
  • इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति सेवानिवृत्ति के बाद गंभीर अपराध करता है या अनुचित आचरण करता है, तभी उसकी पेंशन रोकी जा सकती है।
  • चूंकि उनकी दोषसिद्धि सेवानिवृत्ति से पहले हुई थी, इसलिए नियम 43(a) लागू ही नहीं होता।

राज्य सरकार ने अपने बचाव में कुछ पुराने फैसलों और सुप्रीम कोर्ट के डॉ. हीरा लाल बनाम बिहार राज्य (2020) मामले का हवाला दिया।

लेकिन अदालत ने गहराई से विचार करते हुए पाया कि:

  • नियम 43(a) का उद्देश्य है सेवानिवृत्ति के बाद के आचरण पर निगरानी रखना।
  • नियम 43(b) का उद्देश्य है सेवा काल में किए गए कदाचार या लापरवाही के लिए पेंशन पर कार्रवाई करना।
  • इस मामले में दोषसिद्धि 2011 की थी यानी सेवा के दौरान की, इसलिए नियम 43(a) का उपयोग गलत था।

अदालत ने स्पष्ट किया कि नियम 43(a) और 43(b) का क्षेत्र अलग-अलग है। नियम 43(a) सेवानिवृत्ति के बाद के आचरण पर लागू होता है, जबकि नियम 43(b) सेवा काल के अपराध या लापरवाही पर।

नतीजतन, पटना हाईकोर्ट ने 2017 का आदेश रद्द कर दिया। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि अगर अन्य नियम लागू हों तो सरकार उन नियमों के तहत कार्रवाई कर सकती है, लेकिन इसके लिए याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर देना होगा।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव

  • कर्मचारियों के लिए: यह फैसला पेंशन अधिकारों को मजबूत करता है। सरकार गलत नियम के आधार पर पेंशन नहीं रोक सकती।
  • सरकारी विभागों के लिए: विभागों को अब स्पष्ट है कि सेवा काल की गलतियों के लिए नियम 43(b) का प्रयोग होगा, न कि 43(a) का।
  • जनता के लिए: अदालत ने यह संदेश दिया कि पेंशन कोई कृपा मात्र नहीं है, बल्कि यह कर्मचारी का अधिकार है और कानून से ही सीमित किया जा सकता है।
  • भविष्य के मामलों के लिए: अधिकारियों को भविष्य और अतीत के आचरण के बीच फर्क करना होगा और सही नियम लागू करना होगा।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या सेवानिवृत्ति से पहले की दोषसिद्धि पर नियम 43(a) के तहत पेंशन रोकी जा सकती है?
    ❌ नहीं। नियम 43(a) केवल सेवानिवृत्ति के बाद के आचरण पर लागू होता है।
  • नियम 43(a) और 43(b) में अंतर क्या है?
    ✅ नियम 43(a) भविष्य के आचरण (सेवानिवृत्ति के बाद) पर लागू होता है।
    ✅ नियम 43(b) सेवा काल के कदाचार या लापरवाही पर लागू होता है।
  • गलत नियम के इस्तेमाल का क्या प्रभाव है?
    ✅ आदेश अवैध हो जाता है और रद्द किया जाएगा। लेकिन सरकार चाहे तो सही नियम के तहत पुनः कार्यवाही कर सकती है।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • Dr. Hira Lal v. State of Bihar & Ors., 2020 (2) BLJ (SC) 260

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • Nityanand Kumar Singh v. State of Bihar & Ors., 2016 (2) PLJR 315

मामले का शीर्षक

याचिकाकर्ता बनाम बिहार राज्य एवं अन्य (पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग)

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 8630 of 2019

उद्धरण (Citation)

2021(1) PLJR 810

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री मनोज प्रियदर्शी, अधिवक्ता
  • प्रतिवादी राज्य की ओर से: श्री ऋषि राज सिन्हा, SC-19; श्री अखिलेश कुमार, JC to SC-19

निर्णय का लिंक

MTUjODYzMCMyMDE5IzEjTg==-PUABqeYpOZo=

यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।

Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News