पटना हाई कोर्ट ने समय से पहले दायर याचिका खारिज की, याचिकाकर्ता को अपील दाखिल करने का निर्देश

पटना हाई कोर्ट ने समय से पहले दायर याचिका खारिज की, याचिकाकर्ता को अपील दाखिल करने का निर्देश

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में एक ठेकेदार कंपनी द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनाया। यह कंपनी केंद्रीय जीएसटी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग द्वारा लगाए गए टैक्स डिमांड को चुनौती दे रही थी। विभाग ने वित्त वर्ष 2015–16 और 2016–17 के लिए ₹10,60,415/- सर्विस टैक्स (सेस सहित) की मांग की थी। इसके साथ ही ब्याज और कई अलग-अलग धाराओं के तहत पेनल्टी भी लगाई गई थी।

कंपनी ने 12 मार्च 2024 के डिमांड ऑर्डर को रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि:

  • उन्हें कोई शो कॉज़ नोटिस (कारण बताओ नोटिस) या व्यक्तिगत सुनवाई का नोटिस नहीं मिला।
  • नोटिस जारी करने की प्रक्रिया 5 नवंबर 2019 के CBIC सर्कुलर के विपरीत थी, खासकर पैरा 2 और 4 के अनुसार।
  • बिना रजिस्ट्रेशन, दस्तावेज़ न देने और तथ्यों को छुपाने के आरोप में जो पेनल्टी लगाई गई है, वह गलत है।

सरकार की तरफ से एएसजी और सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास कानूनी अपील का पूरा अधिकार था, और उन्हें पहले अपीलीय प्राधिकरण (Appellate Authority) के पास जाना चाहिए था। बिना यह प्रक्रिया पूरी किए, सीधे हाई कोर्ट में आना गलत है।

कोर्ट ने रिकॉर्ड देखकर पाया कि भले ही कंपनी ने कहा कि नोटिस नहीं मिला, लेकिन विभाग के आदेश में यह दर्ज है कि कंपनी के अधिकृत चार्टर्ड अकाउंटेंट ने व्यक्तिगत सुनवाई में हिस्सा लिया था। इसका मतलब है कि उन्हें कार्यवाही की जानकारी थी।

कोर्ट ने कहा कि:

  • CBIC सर्कुलर के पालन का मुद्दा अपील में उठाया जा सकता है।
  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले State of Jammu and Kashmir v. R.K. Zalpuri (AIR 2016 SC 3006) के अनुसार, जब कानून में अपील का प्रावधान है, तो पहले वही अपनाना चाहिए। हाई कोर्ट केवल तभी दखल देता है जब प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों या कानून का गंभीर उल्लंघन हो।
  • इस मामले में ऐसा कोई उल्लंघन नहीं पाया गया।

इसलिए, कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए निर्देश दिए कि:

  1. याचिकाकर्ता अपीलीय प्राधिकरण में अपील दाखिल करे।
  2. अपील मिलने के छह महीने के भीतर उसका निपटारा किया जाए।
  3. अपील में देरी होने पर, कोर्ट में बिताए गए समय को ध्यान में रखकर लिमिटेशन एक्ट की धारा 14 के तहत देरी माफ की जाए।
  4. अपील में अंतरिम राहत के लिए अलग से अर्जी दी जा सकती है।

इस प्रकार, कोर्ट ने साफ किया कि जब अपील का रास्ता खुला है, तो सीधे रिट याचिका दाखिल करना उचित नहीं है।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला एक बार फिर इस सिद्धांत को मजबूत करता है कि जब कानून में अपील का स्पष्ट प्रावधान है, तो पहले उसी का उपयोग करना जरूरी है।

  • कारोबारी या टैक्सपेयर केवल प्रक्रिया में छोटी खामियां बताकर अपील की प्रक्रिया को छोड़कर सीधे हाई कोर्ट नहीं जा सकते, जब तक कोई गंभीर कानूनी या प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन न हो।
  • अगर कार्यवाही में हिस्सा लिया गया है, तो “नोटिस नहीं मिला” जैसा तर्क स्वीकार नहीं होगा।
  • यह फैसला सरकारी विभागों को भी यह याद दिलाता है कि नोटिस और सुनवाई की प्रक्रिया को पूरी तरह से पालन करना चाहिए, ताकि भविष्य में विवाद से बचा जा सके।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या अपील का प्रावधान होते हुए भी रिट याचिका दायर की जा सकती है?
    • निर्णय: नहीं। पहले अपील करनी होगी, R.K. Zalpuri केस के सिद्धांत के अनुसार।
  • क्या नोटिस न मिलने का दावा, जब कार्यवाही में भाग लिया गया हो, स्वीकार्य है?
    • निर्णय: नहीं। अधिकृत प्रतिनिधि के शामिल होने से यह दावा गलत साबित होता है।
  • क्या CBIC सर्कुलर का पालन हाई कोर्ट देख सकता था?
    • निर्णय: नहीं। यह मुद्दा अपीलीय प्राधिकरण के सामने उठाया जाए।

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • State of Jammu and Kashmir v. R.K. Zalpuri, AIR 2016 SC 3006 (पैरा 20)

मामले का शीर्षक
M/s Ishwar and Co. Contract Pvt. Ltd. बनाम Union of India एवं अन्य

केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 10638 of 2024

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथ्री
माननीय श्री न्यायमूर्ति आलोक कुमार सिन्हा

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: सुश्री अर्चना सिन्हा @ अर्चना शाही, वरिष्ठ अधिवक्ता
  • प्रतिवादी (संघ सरकार) की ओर से: डॉ. कृष्ण नंदन सिंह, ASGI; श्री अंशुमान सिंह, Sr. SC, CGST & CX; श्री मयंक मिश्रा, JC to ASG; श्री अमरजीत, JC to ASG

निर्णय का लिंक
36e0bbef-1349-42fb-a8d0-f3389b0a61ae.pdf

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Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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