निर्णय की सरल व्याख्या
पटना उच्च न्यायालय ने एक निर्माण कंपनी की याचिका पर आंशिक रूप से सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट किया कि स्मार्ट सिटी परियोजना से संबंधित अनुबंध समाप्ति के बाद बिना उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाए की गई ब्लैकलिस्टिंग अवैध है। न्यायालय ने इस कार्रवाई को रद्द कर दिया।
याचिकाकर्ता एक निर्माण कंपनी है, जिसे भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा टाउन हॉल के निर्माण और रखरखाव का कार्य सौंपा गया था। लेकिन 27.03.2021 को कंपनी का अनुबंध “कार्य असंतोषजनक” बताकर रद्द कर दिया गया। इसके कुछ ही दिन बाद, 03.04.2021 को कंपनी को सभी आगामी टेंडरों से अयोग्य (ब्लैकलिस्ट) घोषित कर दिया गया।
याचिकाकर्ता ने अनुबंध समाप्ति और ब्लैकलिस्टिंग – दोनों को चुनौती दी। पटना उच्च न्यायालय ने अनुबंध समाप्ति को सही ठहराया, लेकिन ब्लैकलिस्टिंग को अवैध बताते हुए रद्द कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि किसी भी कंपनी को ब्लैकलिस्ट करना एक गंभीर दंडात्मक कार्रवाई होती है, और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय प्रक्रियाओं का पालन अनिवार्य है। न्यायालय ने दो प्रमुख निर्णयों का हवाला दिया:
- UMC Technologies Pvt. Ltd. बनाम Food Corporation of India, (2021) 2 SCC 551
- Isolators Through Its Proprietor बनाम MP Madhya Kshetra Vidyut Vitran Co., 2023 LiveLaw (SC) 330
इन निर्णयों के अनुसार ब्लैकलिस्टिंग से पहले निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाना जरूरी है:
- स्पष्ट कारणों सहित नोटिस देना
- संबंधित पक्ष को जवाब का अवसर देना
- मिले जवाब पर विचार करते हुए तर्कयुक्त आदेश पारित करना
कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता को कोई शो-कॉज नोटिस नहीं दिया गया था, और न ही उसे अपनी बात रखने का मौका मिला। केवल एक पत्र के माध्यम से उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
हालांकि कोर्ट ने अनुबंध समाप्ति पर हस्तक्षेप नहीं किया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि ब्लैकलिस्टिंग की प्रक्रिया में भारी चूक हुई है। कोर्ट ने ब्लैकलिस्टिंग आदेश को रद्द कर दिया और प्राधिकरण को यह स्वतंत्रता दी कि वे यदि चाहें तो पूरी कानूनी प्रक्रिया अपनाकर दोबारा कार्रवाई शुरू कर सकते हैं। ऐसी किसी भी पुनः कार्रवाई को आदेश की प्रति प्राप्त होने के चार महीने के भीतर पूरा करना होगा।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह निर्णय सरकार और संविदाकारों (contractors) दोनों के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन देता है। संविदाकारों के लिए यह एक सुरक्षा है कि उन्हें बिना सुनवाई के टेंडरों से बाहर नहीं किया जा सकता। यह विशेष रूप से स्मार्ट सिटी या अन्य सार्वजनिक परियोजनाओं में काम कर रही कंपनियों के लिए उपयोगी है।
सरकारी विभागों के लिए यह चेतावनी है कि अनुबंध समाप्ति के अलावा, ब्लैकलिस्टिंग जैसी दंडात्मक कार्रवाई के लिए अलग से उचित प्रक्रिया अपनाना जरूरी है। केवल एक आदेश पारित कर देना पर्याप्त नहीं है। इससे सार्वजनिक प्रशासन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा मिलेगा।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या स्मार्ट सिटी परियोजना का अनुबंध समाप्त करना वैध था?
- निर्णय: हाँ
- कारण: उचित नोटिस और कारणों के आधार पर अनुबंध समाप्त किया गया था।
- क्या बिना नोटिस और सुनवाई के की गई ब्लैकलिस्टिंग वैध थी?
- निर्णय: नहीं
- कारण: यह प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है, क्योंकि न तो शो-कॉज नोटिस दिया गया और न ही जवाब का मौका।
- क्या प्राधिकरण दोबारा ब्लैकलिस्टिंग की कार्रवाई शुरू कर सकते हैं?
- निर्णय: हाँ
- कारण: केवल तब जब पूरी कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाए।
- ब्लैकलिस्टिंग पर पुनर्विचार की समयसीमा क्या है?
- निर्णय: आदेश की प्रति प्राप्त होने के चार महीने के भीतर।
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- UMC Technologies Pvt. Ltd. बनाम Food Corporation of India, (2021) 2 SCC 551
- Isolators Through Its Proprietor बनाम MP Madhya Kshetra Vidyut Vitran Co., 2023 LiveLaw (SC) 330
मामले का शीर्षक
Om Shankar Construction Pvt. Ltd. बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
केस नंबर
CWJC No. 10824 of 2021
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी
माननीय श्री न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- श्री विकास कुमार – याचिकाकर्ता की ओर से
- श्री शिव कुमार, AC to GA-3 – प्रतिवादीगण की ओर से
निर्णय का लिंक
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