निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में एक ठेकेदार को टेंडर प्रक्रिया में गलती करने पर तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट किए जाने के फैसले को बरकरार रखा। यह मामला एक निजी फर्म द्वारा उत्तर बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (NBPDCL) को एल्यूमिनियम तार सप्लाई करने के लिए दिए गए टेंडर से जुड़ा था।
फर्म ने जिस टेंडर में हिस्सा लिया था, उसमें साफ लिखा था कि दरें मीट्रिक टन (MT) में बताई जानी चाहिए। लेकिन फर्म ने गलती से किलोग्राम (Kg) में दरें भर दीं। इस कारण NBPDCL ने फर्म की बोली को अमान्य कर दिया और 3 साल के लिए भविष्य के टेंडर में भाग लेने से रोक दिया।
फर्म का कहना था कि यह केवल एक टाइपिंग की गलती थी और इसमें कोई धोखाधड़ी या गलत मंशा नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर दरों को मीट्रिक टन में बदला जाए, तो भी वे सबसे सस्ती बोली नहीं होते, इसलिए उन पर गलत फायदा उठाने का आरोप नहीं लग सकता।
पहले इस मामले में 2021 में एक बार कोर्ट ने NBPDCL को आदेश दिया था कि वे फर्म के पक्ष को फिर से ध्यान से सुनें और नया निर्णय लें। NBPDCL ने दोबारा शो-कॉज़ नोटिस देकर फिर से ब्लैकलिस्ट करने का आदेश पारित कर दिया।
अब फर्म ने फिर कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन कोर्ट ने कहा कि:
- टेंडर में दरों की यूनिट (MT) बहुत महत्वपूर्ण शर्त थी।
- फर्म ने जो गलती की, वह सामान्य टाइपिंग की गलती नहीं मानी जा सकती, बल्कि यह मूलभूत गलती थी।
- बोली जमा करने के बाद उसकी यूनिट बदलना एक प्रकार से बोली में संशोधन माना जाएगा, जो टेंडर नियमों के अनुसार प्रतिबंधित है।
- नियम में साफ लिखा है कि अगर कोई बोलीदाता बोली जमा करने के बाद उसमें बदलाव करता है, तो उसे 3 से 5 साल तक के लिए निलंबित किया जा सकता है।
इसलिए कोर्ट ने यह माना कि NBPDCL का फैसला नियमों के अनुसार है और इसमें दखल देने की ज़रूरत नहीं है।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला सरकारी खरीद प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और सख्ती के महत्व को दर्शाता है। टेंडर भरते समय मामूली सी गलती भी गंभीर परिणाम ला सकती है। सरकार के लिए यह फैसला एक मजबूत आधार है जिससे वह यह सुनिश्चित कर सके कि सभी बोलीदाता नियमों का पूरी तरह पालन करें। वहीं, व्यापारियों और ठेकेदारों के लिए यह चेतावनी है कि टेंडर में दी गई हर शर्त को बहुत ध्यान से पढ़ना और उसी के अनुसार कार्य करना आवश्यक है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या Kg में दर बताना टेंडर नियमों का उल्लंघन है?
✔️ हां, क्योंकि टेंडर की शर्तों में मीट्रिक टन में दर भरना अनिवार्य था। - क्या यह सिर्फ एक टाइपिंग मिस्टेक थी जिसे सुधारा जा सकता था?
❌ नहीं, कोर्ट ने माना कि यह एक मूलभूत गलती थी, जिसे सुधारा नहीं जा सकता। - क्या फर्म द्वारा बाद में दी गई स्पष्टीकरण चिट्ठी को संशोधन माना जाएगा?
✔️ हां, कोर्ट ने कहा कि बोली जमा करने के बाद कोई भी बदलाव, संशोधन माना जाएगा। - क्या तीन साल की ब्लैकलिस्टिंग बहुत कड़ी सजा है?
❌ नहीं, क्योंकि नियम में तीन साल न्यूनतम सजा निर्धारित है और कोर्ट इसे कम नहीं कर सकता।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय [यदि कोई हो]
- CWJC No. 2991 of 2019 – Aarpee Infra Projects Pvt. Ltd. बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
- Supreme Infrastructure India Ltd. बनाम रेल विकास निगम लिमिटेड एवं अन्य
मामले का शीर्षक
M/s Balaji Enterprises बनाम North Bihar Power Distribution Company Ltd. एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 810 of 2023
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी
माननीय न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
याचिकाकर्ता की ओर से:
- श्री एस. डी. संजय, वरिष्ठ अधिवक्ता
- श्रीमती पारुल प्रसाद, अधिवक्ता
- सुश्री सुष्मिता मिश्रा, अधिवक्ता
प्रतिवादी की ओर से:
- श्री विनय कीर्ति सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता
- श्री विजय कुमार वर्मा, अधिवक्ता
- श्री अखिलेश्वर सिंह, अधिवक्ता
निर्णय का लिंक
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