निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी या संविदा कर्मी केवल अनुबंध के आधार पर काम कर रहा है, तब भी उसकी सेवा समाप्त करने के लिए अनुबंध की बुनियादी शर्तों का पालन करना जरूरी है।
इस मामले में शिक्षा विभाग में संविदा पर नियुक्त एक व्यक्ति की सेवा केवल इस आधार पर समाप्त कर दी गई कि उसे शराब पीने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है, इसलिए यह आरोप गंभीर माना गया।
लेकिन हाईकोर्ट ने पाया कि—
- नियुक्ति पत्र में यह साफ लिखा था कि सेवा समाप्त करने से पहले एक माह का नोटिस देना होगा, या फिर एक माह का वेतन देना होगा।
- विभाग ने न तो नोटिस दिया और न ही वेतन दिया।
- फॉरेंसिक रिपोर्ट से यह भी साबित हुआ कि व्यक्ति के नमूने में एथिल एल्कोहल (शराब का नशा देने वाला तत्व) नहीं पाया गया।
इन सब कारणों से कोर्ट ने आदेश दिया कि सेवा समाप्ति का आदेश अवैध है और उसे रद्द किया जाता है। हालांकि, विभाग चाहे तो अनुबंध के अनुसार नोटिस या वेतन देकर पुनः नया आदेश पारित कर सकता है।
यह फैसला यह संदेश देता है कि केवल गिरफ्तारी के आधार पर किसी की नौकरी नहीं छीनी जा सकती, जब तक कि अनुबंध और कानूनी प्रक्रिया का पालन न हो।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
- आम जनता और संविदा कर्मियों के लिए: यह फैसला बताता है कि अगर किसी अनुबंध में सेवा समाप्ति की शर्तें लिखी गई हैं, तो सरकार या विभाग उन शर्तों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। बिना नोटिस या वेतन के नौकरी खत्म करना अवैध होगा।
- सरकारी विभागों के लिए: यह एक चेतावनी है कि केवल गिरफ्तारी को आधार बनाकर किसी को नौकरी से हटाना उचित नहीं है। वैज्ञानिक रिपोर्ट और अन्य प्रमाणों पर ध्यान देना जरूरी है। साथ ही, अनुबंध की शर्तों का पालन किए बिना आदेश पारित करने पर कोर्ट हस्तक्षेप करेगा।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या केवल गिरफ्तारी के आधार पर संविदा कर्मी की सेवा समाप्त की जा सकती है?
❌ नहीं। कोर्ट ने कहा कि अनुबंध में लिखी शर्तों का पालन करना अनिवार्य है। - क्या फॉरेंसिक रिपोर्ट में शराब न मिलने का असर पड़ता है?
✅ हाँ। यह रिपोर्ट बताती है कि आरोप साबित नहीं हुआ। ऐसे में बिना नोटिस सेवा समाप्त करना और भी अनुचित है। - कोर्ट ने क्या राहत दी?
✔️ सेवा समाप्ति का आदेश रद्द कर दिया गया। विभाग चाहे तो अनुबंध के अनुसार नोटिस या वेतन देकर नया आदेश जारी कर सकता है।
मामले का शीर्षक
Abhishek Kumar बनाम State of Bihar एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 7990 of 2020
उद्धरण (Citation)
2021(1) PLJR 636
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति अशुतोष कुमार
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- श्री राकेश प्रभात, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
- श्री मदनजीत कुमार, अधिवक्ता — राज्य/प्रतिवादी की ओर से
निर्णय का लिंक
MTUjNzk5MCMyMDIwIzEjTg==-8nD7r4AO4ko=
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