पटना हाईकोर्ट का फैसला: बिहार में स्थानीय प्रिंटिंग सुविधा की शर्त को वैध ठहराया गया | 2024

पटना हाईकोर्ट का फैसला: बिहार में स्थानीय प्रिंटिंग सुविधा की शर्त को वैध ठहराया गया | 2024

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने एक निजी प्रिंटिंग कंपनी की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने बिहार राज्य पाठ्यपुस्तक प्रकाशन निगम लिमिटेड (निगम) द्वारा जारी निविदा (Tender) को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि निविदा की शर्तों ने “गैर-स्थानीय” कंपनियों को बाहर कर दिया है और यह राज्य सरकार की “बिहार परचेज़ प्रेफरेंस पॉलिसी, 2024” के खिलाफ है।

माननीय मुख्य न्यायाधीश और माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने कहा कि निविदा की शर्तें पूरी तरह वैध हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि परचेज़ प्रेफरेंस पॉलिसी का उद्देश्य केवल स्थानीय कंपनियों को प्राथमिकता देना है, न कि हर गैर-स्थानीय कंपनी को स्वचालित भागीदारी का अधिकार देना।

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब निगम ने पाठ्यपुस्तक की छपाई और आपूर्ति के लिए निविदा निकाली। उसमें दो मुख्य शर्तें थीं—(i) बोलीदाता के पास बिहार में ही चल रही प्रिंटिंग प्रेस होनी चाहिए और (ii) उसके पास बिहार में कम से कम 10,000 वर्ग फीट का गोदाम होना चाहिए। याचिकाकर्ता, जो बिहार के बाहर की कंपनी थी लेकिन बिहार में जीएसटी पंजीकरण करा चुकी थी, ने कहा कि यह शर्तें उन्हें बाहर कर रही हैं। उनका तर्क था कि नीति “स्थानीय” और “गैर-स्थानीय” उद्यमों को परिभाषित करती है और ऐसे बाहर करने की अनुमति नहीं देती।

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता (Advocate General) ने जवाब दिया कि—

  1. याचिकाकर्ता ने कभी निविदा में बोली लगाई ही नहीं।
  2. नीति केवल स्थानीय कंपनियों को “प्राथमिकता” देती है, गैर-स्थानीय को स्वचालित प्रवेश का अधिकार नहीं।
  3. बिहार में प्रेस और गोदाम रखने की शर्तें तर्कसंगत हैं क्योंकि किताबें समय पर, गुणवत्तापूर्ण और पूरे राज्य में पहुँचनी चाहिए।
  4. याचिकाकर्ता मूल पात्रता मानदंडों को ही पूरा नहीं करता।

अदालत ने राज्य की दलीलों से सहमति जताई और कहा कि यह नीति केवल प्राथमिकता देती है, न कि हर किसी को प्रवेश का अधिकार। साथ ही, याचिकाकर्ता ने बोली ही नहीं लगाई, इसलिए उसका मामला शुरू से ही कमजोर था।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला तीन महत्वपूर्ण बातें स्पष्ट करता है—

  1. नीति केवल प्राथमिकता देती है, अधिकार नहीं: गैर-स्थानीय कंपनियों को स्वचालित भागीदारी का अधिकार नहीं मिलता। सरकार परिस्थितियों के अनुसार निविदा में तर्कसंगत शर्तें लगा सकती है।
  2. बोली लगाए बिना चुनौती नहीं: यदि कोई कंपनी बोली ही नहीं लगाती, तो बाद में शर्तों को अदालत में चुनौती देना कठिन हो जाता है।
  3. सरकार को छूट: सरकार यह तय कर सकती है कि उसे समय पर और गुणवत्ता के साथ सेवा चाहिए तो किस प्रकार की शर्तें आवश्यक हैं, जैसे स्थानीय प्रेस, गोदाम और निरीक्षण की सुविधा।

इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि यदि किताबें समय पर छपनी और पहुँचनी हैं, तो सरकार को बिहार में ही प्रेस और गोदाम की आवश्यकता तर्कसंगत लग सकती है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या निविदा ने गैर-स्थानीय कंपनियों को अवैध रूप से बाहर किया?
    • अदालत ने कहा: नहीं। नीति केवल प्राथमिकता देती है, भागीदारी का अधिकार नहीं।
  • क्या निगम ने नीति का उल्लंघन किया?
    • अदालत ने कहा: नहीं। बिहार में प्रेस और गोदाम रखने की शर्तें वैध और तर्कसंगत हैं।
  • क्या बिना बोली लगाए कोई कंपनी निविदा शर्तों को चुनौती दे सकती है?
    • अदालत ने कहा: सामान्यतः नहीं।
  • क्या सुप्रीम कोर्ट का कृष्णा राय बनाम बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (2022) 8 SCC 730 लागू होता है?
    • अदालत ने कहा: यह मामला भर्ती से जुड़ा था, निविदा की पात्रता शर्तों पर लागू नहीं होता।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • कृष्णा राय बनाम बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, (2022) 8 SCC 730 — याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत।

मामले का शीर्षक

याचिकाकर्ता बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 16569 of 2024

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय मुख्य न्यायाधीश
माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री अशिष गिरी, अधिवक्ता
  • राज्य की ओर से: श्री पी.के. शाही, महाधिवक्ता

निर्णय का लिंक

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Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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