निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (BSEIDC) द्वारा एक ठेकेदार को 10 वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट करने के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह कार्यवाही नियमों के विरुद्ध और अनुचित थी, खासकर जब इसी प्रकार के मामले में पहले ही राहत दी जा चुकी है।
इस मामले में याचिकाकर्ता, जो एक पंजीकृत ठेकेदार है, पर आरोप था कि उसने एक सरकारी निविदा में झूठा अनुभव प्रमाण पत्र जमा किया। इस आधार पर BSEIDC ने उसे 10 वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया। यह कार्रवाई “निगम के ठेकेदार पंजीकरण नियम, 2012” (41वीं बोर्ड मीटिंग द्वारा संशोधित) के तहत की गई थी।
याचिकाकर्ता ने तीन प्रमुख आदेशों को चुनौती दी:
- 25.01.2023 को जारी कारण बताओ नोटिस
- 11.05.2023 को जारी ब्लैकलिस्टिंग आदेश
- 28.06.2023 को अपील खारिज करने का आदेश
याचिकाकर्ता का तर्क था कि निगम के मुख्य अभियंता को ऐसी कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं था और यह फैसला मनमाना व अनुचित है।
कोर्ट ने देखा कि इससे मिलते-जुलते एक मामले में (CWJC No. 9769 of 2023) पहले ही 28.08.2023 को ब्लैकलिस्टिंग रद्द की जा चुकी थी, और उस आदेश को याचिका में उत्तरदाता पक्ष ने भी नहीं झुठलाया।
इसलिए कोर्ट ने कहा कि जब पूर्ववर्ती मामले में राहत दी जा चुकी है, तो इस याचिकाकर्ता को भी वही लाभ मिलना चाहिए। परिणामस्वरूप, कारण बताओ नोटिस, ब्लैकलिस्टिंग आदेश, और अपील अस्वीकृति — तीनों आदेशों को रद्द कर दिया गया।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह निर्णय सरकारी ठेकेदारी प्रणाली में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस कदम है। यह संदेश देता है कि किसी भी व्यक्ति या एजेंसी को मनमाने ढंग से दंडित नहीं किया जा सकता जब तक उचित प्रक्रिया और वैध अधिकार सुनिश्चित न हों।
ठेकेदारों के लिए यह निर्णय राहतकारी है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि ब्लैकलिस्टिंग जैसी गंभीर कार्रवाई बिना कानूनी अधिकार और प्रक्रिया के नहीं की जा सकती। सरकार और प्रशासनिक संस्थानों के लिए यह निर्णय चेतावनी भी है कि वे अपने नियमों और अधिकार-सीमा के भीतर रहकर ही कार्रवाई करें।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या मुख्य अभियंता को ब्लैकलिस्टिंग की प्रक्रिया शुरू करने का कानूनी अधिकार था?
✔ नहीं, कोर्ट ने कहा यह कार्रवाई कानूनी अधिकार के बाहर थी। - क्या ब्लैकलिस्टिंग आदेश नियमों और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार था?
✔ नहीं, यह प्रक्रिया दोषपूर्ण और अनुचित थी। - क्या पूर्व में हुए समान मामले का निर्णय इस केस पर लागू होता है?
✔ हां, कोर्ट ने पुराने निर्णय को इस केस में भी लागू किया। - क्या याचिकाकर्ता को राहत मिली?
✔ हां, तीनों आदेश रद्द कर दिए गए और याचिका मंजूर हुई।
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- CWJC No. 9769 of 2023 (दिनांक 28.08.2023) — समान मामला जिसमें ब्लैकलिस्टिंग आदेश रद्द हुआ।
मामले का शीर्षक
Madan Kumar v. Bihar State Educational Infrastructure Development Corporation Ltd. & Ors.
केस नंबर
CWJC No. 14271 of 2023
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी
माननीय श्री न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री प्रभात रंजन — याचिकाकर्ता की ओर से
श्री गिरिजीश कुमार — प्रतिवादीगण की ओर से
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