निर्णय की सरल व्याख्या
पटना उच्च न्यायालय ने 16 मई 2024 को एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए एक ठेकेदार के डिबारमेंट (कार्य से प्रतिबंध) और अनुबंध रद्द करने के आदेश को अवैध ठहराया। यह मामला गया जिले में सिंघरा स्थान पोखर की सौंदर्यीकरण योजना से जुड़ा था, जिसे शहरी विकास एवं आवास विभाग द्वारा एक निजी ठेकेदार को दिया गया था।
याचिकाकर्ता एक युवा ठेकेदार था, जिसे काम पूरा न होने के कारण आगे किसी भी सरकारी कार्य के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था। हालांकि, यह पूर्ण रूप से ‘ब्लैकलिस्ट’ नहीं था, बल्कि एक अस्थायी प्रतिबंध था जब तक कि ठेका कार्य पूरा नहीं हो जाता।
याचिकाकर्ता का कहना था कि अनुबंध के “बिल ऑफ क्वांटिटी” (BOQ) में एक गंभीर तकनीकी त्रुटि हुई — उसमें ‘बेस फूटिंग’ यानी नींव का हिस्सा शामिल ही नहीं था। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिना बेस फूटिंग के “फूटिंग से ऊपर ज़मीन तक” का निर्माण असंभव था। उन्होंने इस त्रुटि को कई बार पत्र लिखकर (Annexure-P/3 और P/4) अधिकारियों के ध्यान में लाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
बिना यथोचित सुनवाई के, विभाग ने ठेका रद्द कर दिया और ठेकेदार की सुरक्षा राशि (EMD) भी जब्त कर ली। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय पहुंचा।
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि डिबारमेंट का आदेश पहले ही वापस लिया जा चुका है और विभाग अब ‘बेस फूटिंग’ को BOQ में शामिल करने को तैयार है। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब विभाग स्वयं त्रुटि मान रहा है, तो न तो ठेका रद्द करने का आदेश टिकता है और न ही सुरक्षा राशि की जब्ती।
कोर्ट ने दोनों पक्षों को मिलकर कार्य पूर्ण करने के लिए नई समयसीमा तय करने को कहा और यह भी निर्देश दिया कि ‘बेस फूटिंग’ को संशोधित BOQ में शामिल किया जाए। इस तरह यह मामला पारस्परिक सहमति से सुलझ गया।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला उन ठेकेदारों के लिए राहत देने वाला है जो तकनीकी कारणों से विवादों में फंस जाते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि किसी तकनीकी त्रुटि या विवाद के चलते ठेकेदार को बिना सुनवाई के दंडित नहीं किया जा सकता। ‘डिबारमेंट’ और ‘ब्लैकलिस्टिंग’ में स्पष्ट अंतर किया गया — और यह बताया कि जब तक ठेका पूरा नहीं होता, तब तक काम पर रोक लगाना अस्थायी हो सकता है, परंतु आर्थिक दंड उचित प्रक्रिया के बिना नहीं हो सकता।
सरकारी विभागों के लिए भी यह निर्णय एक चेतावनी है कि वे BOQ तैयार करने में सावधानी बरतें और जब कोई ठेकेदार तकनीकी आपत्ति दर्ज करे, तो उसका उत्तर अवश्य दें।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या डिबारमेंट अनिश्चितकाल तक जारी रह सकता है?
❌ नहीं। यदि ठेका त्रुटिपूर्ण हो तो अनिश्चितकालीन रोक उचित नहीं। - क्या BOQ में त्रुटि के कारण ठेका रद्द और सुरक्षा राशि जब्त करना उचित था?
❌ नहीं। विभाग ने खुद त्रुटि मानी, इसलिए अनुबंध समाप्ति गलत थी। - क्या ठेकेदार की आपत्तियों पर जवाब देना जरूरी था?
✅ हाँ। तकनीकी आपत्तियों पर जवाब देना न्यायसंगत प्रक्रिया का हिस्सा है।
मामले का शीर्षक
राजदीप कंस्ट्रक्शन बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
केस नंबर
CWJC No. 5367 of 2024
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री के. विनोद चंद्रन
माननीय श्री न्यायमूर्ति हरीश कुमार
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- श्री शंभूनाथ, अधिवक्ता (याचिकाकर्ता की ओर से)
- स्टैंडिंग काउंसिल 28 (बिहार सरकार की ओर से)
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