पटना हाईकोर्ट ने वेयरहाउस निर्माण पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मामले में नया पुनर्विचार करने का आदेश दिया

पटना हाईकोर्ट ने वेयरहाउस निर्माण पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मामले में नया पुनर्विचार करने का आदेश दिया

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने एक वेयरहाउस संचालक के खिलाफ राज्य कर विभाग द्वारा पारित तीन आदेशों को रद्द कर दिया है। इन आदेशों में कर विभाग ने वेयरहाउस निर्माण और उससे जुड़े उपकरणों पर ली गई इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) को अस्वीकार कर, लाखों रुपये की वसूली का आदेश दिया था। न्यायालय ने कर प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि वह मामले पर दोबारा सुनवाई करे और यह तय करे कि क्या संबंधित वेयरहाउस को बिहार वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 (BGST Act) के तहत “प्लांट या मशीनरी” की श्रेणी में रखा जा सकता है।

पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता ने एक वेयरहाउस का निर्माण किया, जिसमें एक हिस्सा ईंट-पत्थर की पक्की संरचना है और शेष भाग प्री-फैब्रिकेटेड स्ट्रक्चर, ट्रस और आयरन शीट से बना है। इसके अलावा, क्रेन, लिफ्टर, एयर कंडीशनर, जेनरेटर और अन्य विद्युत उपकरण भी लगाए गए। यह वेयरहाउस विभिन्न कंपनियों को किराये पर दिया गया, जो उपभोक्ता वस्तुओं और ई-मार्केटिंग का कार्य करती हैं।

याचिकाकर्ता का कहना था कि वेयरहाउस से मिलने वाली किराया आय पर जीएसटी लागू होता है, इसलिए निर्माण और उपकरण खरीद पर दिया गया कर, ITC के रूप में समायोजित किया जा सकता है।

लेकिन कर विभाग का तर्क था कि वेयरहाउस एक “अचल संपत्ति” है, और BGST Act की धारा 17(5)(d) के अनुसार, अचल संपत्ति के निर्माण पर ITC नहीं लिया जा सकता (सिवाय प्लांट या मशीनरी के मामलों में)। इसी आधार पर, सहायक आयुक्त, राज्य कर ने तीन अलग-अलग आदेश जारी किए —

  • वित्तीय वर्ष 2021–22 के लिए ₹59,810
  • अप्रैल–जुलाई 2023 के लिए ₹23,45,996
  • वित्तीय वर्ष 2022–23 के लिए ₹4,81,65,483

याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह मुद्दा एम/एस सफारी रिट्रीट्स प्रा. लि. बनाम मुख्य आयुक्त, केंद्रीय जीएसटी मामले जैसा है, जिसे पहले उड़ीसा हाईकोर्ट ने और बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने सुना। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि वेयरहाउस को “प्लांट” माना जाए या नहीं, यह एक तथ्यात्मक सवाल है, जो व्यवसाय की प्रकृति और भवन की भूमिका पर निर्भर करता है। यदि भवन करयोग्य सेवा प्रदान करने के लिए आवश्यक है, तो ITC मिल सकता है।

याचिकाकर्ता का कहना था कि सहायक आयुक्त को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने जल्दबाजी में आदेश जारी कर दिया।

राज्य का पक्ष
राज्य सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता को कई बार सबूत पेश करने का मौका दिया गया, लेकिन उसने संतोषजनक दस्तावेज़ नहीं दिए। साथ ही, याचिकाकर्ता के प्रतिनिधि ने पहले ही रिकॉर्ड पर यह स्वीकार किया था कि नागरिक निर्माण सामग्री पर ली गई ITC को स्थायी रूप से और प्री-फैब्रिकेटेड सामग्री पर ली गई ITC को अस्थायी रूप से वापस किया जाएगा, पर ऐसा नहीं किया गया।

न्यायालय की राय
हाईकोर्ट ने पाया कि सहायक आयुक्त ने इस मुख्य प्रश्न पर विचार ही नहीं किया कि क्या वेयरहाउस “प्लांट या मशीनरी” की परिभाषा में आता है। निर्णय केवल याचिकाकर्ता के प्रतिनिधि द्वारा पहले की गई सहमति पर आधारित था। न्यायालय ने कहा कि सफारी रिट्रीट्स मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बताए गए “फंक्शनैलिटी टेस्ट” को लागू करना आवश्यक है — यानी यह देखना कि भवन का व्यवसाय में क्या कार्यात्मक महत्व है।

परिणाम
हाईकोर्ट ने सभी तीन आदेशों को रद्द कर दिया और याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह 7 अप्रैल 2025 तक सहायक आयुक्त के सामने दस्तावेज़ों के साथ पेश हो। कर प्राधिकरण को तीन महीने के भीतर उचित सुनवाई कर तर्कसंगत आदेश पारित करना होगा।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि अचल संपत्ति के निर्माण पर ITC को पूरी तरह नकारने से पहले “फंक्शनैलिटी टेस्ट” लागू करना जरूरी है। यदि कोई भवन करयोग्य सेवाएं प्रदान करने में आवश्यक है, तो वह “प्लांट” की श्रेणी में आ सकता है और ITC मिल सकता है।

व्यापारियों के लिए यह निर्णय राहतकारी है, खासकर उनके लिए जो वेयरहाउस, मॉल या व्यावसायिक इमारतें किराये पर देते हैं। वे अब यह साबित करके ITC का दावा कर सकते हैं कि निर्माण उनके करयोग्य व्यवसाय के लिए अनिवार्य है। कर विभाग के लिए यह एक संकेत है कि आदेश केवल कानूनी प्रावधानों पर नहीं, बल्कि तथ्यात्मक स्थिति और व्यावसायिक कार्यप्रणाली पर आधारित होना चाहिए।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या सहायक आयुक्त ने ITC अस्वीकार करते समय “फंक्शनैलिटी टेस्ट” लागू नहीं किया?
    • निर्णय: हाँ, यह गलती हुई। उन्हें यह देखना चाहिए था कि क्या वेयरहाउस “प्लांट या मशीनरी” है।
  • क्या प्रतिनिधि द्वारा दी गई सहमति, तथ्यात्मक और कानूनी जाँच को बदल सकती है?
    • निर्णय: नहीं। सहायक आयुक्त को मामले के मेरिट पर फैसला करना चाहिए था।
  • क्या आदेशों को रद्द करना उचित था?
    • निर्णय: हाँ। सभी आदेश रद्द कर, पुनः विचार का निर्देश दिया गया।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • एम/एस सफारी रिट्रीट्स प्रा. लि. एवं अन्य बनाम मुख्य आयुक्त, केंद्रीय जीएसटी एवं अन्य, W.P.(C) No. 20463 of 2018, उड़ीसा उच्च न्यायालय।

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • मुख्य आयुक्त, केंद्रीय जीएसटी एवं अन्य बनाम एम/एस सफारी रिट्रीट्स प्रा. लि. एवं अन्य, [2024] 131 GSTR 184 (SC)।

मामले का शीर्षक

एम/एस बी.के. वेयरहाउसिंग एलएलपी बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर

  • Civil Writ Jurisdiction Case No. 8482 of 2024
  • Civil Writ Jurisdiction Case No. 9107 of 2024
  • Civil Writ Jurisdiction Case No. 9122 of 2024

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद
माननीय श्री न्यायमूर्ति सौरेंद्र पांडेय

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री साकेत तिवारी, श्री शिवम गुप्ता, श्री अनीमेश गुप्ता, श्री तरुण
  • प्रतिवादी की ओर से: श्री विवेक प्रसाद (जीपी-7), सुश्री रूना (एसी टू जीपी-7), श्री संजय कुमार (एसी टू जीपी-7), स्टैंडिंग काउंसिल (11)

निर्णय का लिंक

b577c383-672d-402c-95db-9b8babe09fc8.pdf

यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।

Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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