निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने एक याचिका को खारिज कर दिया जिसमें एक इंजीनियर ने एक निजी कंपनी Redecon (India) Pvt. Ltd. द्वारा नौकरी से निकाले जाने और दो साल के लिए NHIDCL प्रोजेक्ट्स से डिबार किए जाने को चुनौती दी थी। कोर्ट ने साफ कहा कि निजी कंपनी संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत “राज्य” की परिभाषा में नहीं आती, इसलिए इसके खिलाफ रिट याचिका नहीं चलेगी।
याचिकाकर्ता ने निम्नलिखित राहतें मांगी थीं:
- उसे Resident Engineer के पद से हटाने का आदेश रद्द किया जाए।
- NHIDCL द्वारा जारी दो साल की डिबारमेंट की कार्रवाई को असंवैधानिक घोषित किया जाए।
- INFRACON पोर्टल पर उसकी प्रोफाइल को अनफ्रीज़ करने का निर्देश दिया जाए।
- उसे अपनी पसंद का पेशा चुनने और आगे काम करने का अधिकार मिले।
याचिकाकर्ता का दावा था कि उसका कार्य NHIDCL प्रोजेक्ट में चल रहा था और उसे गलत तरीके से हटाया गया तथा बाद में उसका INFRACON प्रोफाइल भी ब्लॉक कर दिया गया, जिससे वह अन्य प्रोजेक्ट्स में काम नहीं कर पा रहा।
हालांकि, न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी ने यह निर्णय सुनाते हुए कहा:
- याचिकाकर्ता की मुख्य शिकायत Redecon नामक निजी कंपनी के खिलाफ है।
- रिट याचिका केवल उन्हीं संस्थाओं पर लागू होती है जो “राज्य” के दायरे में आती हैं।
- यह कंपनी सरकारी नियंत्रण में नहीं है और इसे “राज्य” नहीं कहा जा सकता।
अतः यह मामला अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट की न्यायिक समीक्षा में नहीं आता। हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह छूट दी कि वह अपने अधिकारों के लिए किसी अन्य उपयुक्त फोरम जैसे सिविल कोर्ट या लेबर ट्रिब्यूनल में जा सकता है।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला उन लोगों के लिए अहम है जो सरकार से जुड़े प्रोजेक्ट्स में निजी कंपनियों के माध्यम से काम करते हैं। इसके मुख्य प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- हर सरकारी प्रोजेक्ट से जुड़ा मामला कोर्ट की रिट शक्तियों के अंतर्गत नहीं आता। यदि शिकायत निजी कंपनी से है, तो सामान्य न्यायालयों का रास्ता अपनाना होगा।
- केवल सरकारी संस्थाएं या राज्य के नियंत्रण वाली संस्थाएं ही रिट याचिका के दायरे में आती हैं।
- ऐसे मामलों में किसी भी कानूनी कदम से पहले यह देखना जरूरी है कि संबंधित संस्था “राज्य” की परिभाषा में आती है या नहीं।
यह फैसला बताता है कि संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा का दायरा सीमित है और सभी विवादों को सीधे हाई कोर्ट में नहीं लाया जा सकता।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या Redecon Pvt. Ltd. के खिलाफ रिट याचिका चल सकती है?
- नहीं, यह कंपनी संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत “राज्य” नहीं है।
- क्या याचिकाकर्ता के पास अन्य कानूनी विकल्प हैं?
- हां, वह सिविल कोर्ट या श्रम न्यायाधिकरण में जा सकता है।
- अनुच्छेद 12 के अंतर्गत “राज्य” की परिभाषा क्या है?
- वह संस्था जो सरकार के पूर्ण नियंत्रण में हो, सरकार से वित्तीय सहायता पाती हो, या सार्वजनिक कार्य करती हो।
- क्या NHIDCL का कृत्य चुनौती के योग्य था?
- यद्यपि NHIDCL सार्वजनिक निकाय है, परंतु इस मामले में निर्णय निजी संस्था की सिफारिश पर आधारित था, इसलिए मुख्य दोष Redecon का था।
मामले का शीर्षक
Er. Jagdish Singh v. Union of India & Ors.
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No.9454 of 2021
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- मनेंद्र कुमार सिन्हा — याचिकाकर्ता की ओर से
- डॉ. कृष्णानंदन सिंह (ASG) — प्रतिवादी गण की ओर से
निर्णय का लिंक
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