निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने बिहार उत्पाद अधिनियम के तहत ज़ब्त की गई एक कार को अंतरिम रूप से रिहा करने का आदेश दिया है। यह आदेश उस स्थिति में आया जब याचिकाकर्ता ने यह दावा किया कि जब्त की गई कार को महीनों तक बिना निर्णय के रखना अनुचित है।
यह मामला सिविल रिट न्यायक्षेत्र मामला संख्या 986/2018 के रूप में दर्ज था। याचिकाकर्ता उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले का निवासी है, और उसकी निजी कार (Zen LXI, रजिस्ट्रेशन संख्या UP-32 AM-0544) को गोपालगंज के उत्पाद विभाग ने उत्पाद (जब्ती) मामला संख्या 12/2017 के तहत ज़ब्त कर लिया था।
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से अनुरोध किया कि जब्त की गई कार को उस समय तक रिहा किया जाए जब तक कि जब्ती की प्रक्रिया और आपराधिक मामला निष्पादन की स्थिति में न आ जाए। उन्होंने यह दलील दी कि लंबे समय तक कार की ज़ब्ती से उसे अत्यधिक आर्थिक और व्यक्तिगत नुकसान हो रहा है।
कोर्ट ने यह माना कि ऐसे ही मामलों में पहले भी अंतरिम रूप से वाहन को रिहा करने के आदेश दिए गए हैं। इसलिए वर्तमान मामले में भी वही सिद्धांत अपनाया गया। कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि कार को कुछ शर्तों पर याचिकाकर्ता को सौंपा जाए।
कोर्ट द्वारा लगाए गए शर्तें:
- याचिकाकर्ता को दो ज़मानत बॉन्ड भरने होंगे, जो जिला पदाधिकारी-सह-गोपलगंज कलेक्टर को संतुष्ट करें।
- याचिकाकर्ता को यह लिखित वचन देना होगा कि वह वाहन को आवश्यकता अनुसार प्रशासन के सामने प्रस्तुत करेगा।
- वह कार को तब तक न तो बेचेगा और न ही किसी तीसरे पक्ष के साथ उसका कोई व्यवहार करेगा, जब तक जब्ती और आपराधिक मामला पूरी तरह समाप्त न हो जाए।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि ज़मानत बॉन्ड भरने के एक सप्ताह के भीतर कार याचिकाकर्ता को सौंप दी जाए।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह निर्णय बिहार में शराबबंदी कानून के चलते ज़ब्त की जाने वाली निजी संपत्ति, विशेषकर वाहनों, के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब्ती का मतलब यह नहीं कि वाहन को वर्षों तक बिना निर्णय के रखा जाए।
यह निर्णय आम नागरिकों को यह भरोसा देता है कि वे अदालत से अंतरिम राहत ले सकते हैं यदि किसी प्रशासनिक कार्रवाई से उनकी निजी संपत्ति प्रभावित हो रही हो। वहीं, सरकार को यह संदेश भी मिलता है कि किसी भी जब्ती कार्रवाई में पारदर्शिता और समयबद्ध निर्णय आवश्यक है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या शराबबंदी कानून के तहत ज़ब्त वाहन को जब्ती प्रक्रिया पूरी होने से पहले छोड़ा जा सकता है?
- हाँ। कोर्ट ने पहले दिए गए ऐसे ही निर्णयों का हवाला देते हुए इसे अनुमति दी।
- याचिकाकर्ता को किन शर्तों पर वाहन सौंपा गया?
- दो ज़मानत बॉन्ड, प्रशासन के समक्ष वाहन प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी, और वाहन को न बेचना या स्थानांतरित न करना।
- अंतिम निर्णय:
- याचिका स्वीकार की गई। वाहन को एक सप्ताह के भीतर रिहा करने का आदेश दिया गया।
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
पहले के समान मामलों का सामान्य संदर्भ, कोई विशिष्ट निर्णय नहीं बताया गया।
मामले का शीर्षक
[नाम गोपनीय] बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 986 of 2018
उद्धरण (Citation)
2020 (3) PLJR 558
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश
माननीय न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री मोहम्मद नजमुल होद्दा – याचिकाकर्ता की ओर से
श्री अनिल कुमार सिन्हा (GA 1) – प्रतिवादी की ओर से
निर्णय का लिंक
patnahighcourt.gov.in/vieworder/MTUjOTg2IzIwMTgjMiNP-B0H6v3mOMqw=
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