परिचय
यह लेख पटना उच्च न्यायालय के एक महत्वपूर्ण फैसले का सारांश प्रस्तुत करता है, जो अनुकंपा नियुक्ति के आधार पर नियुक्त एक कर्मचारी की सेवा समाप्ति से संबंधित है। न्यायालय ने इस मामले में निचली अदालत के आदेश और नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़े विभिन्न कानूनी पहलुओं की जांच की।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता चंदन मल्लिक को उनके पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नगर परिषद, पूर्णिया (अब नगर निगम, पूर्णिया) में सफाई कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया था।
हालांकि, कुछ महीनों बाद, 31 दिसंबर, 2007 को नगर परिषद, पूर्णिया के तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी ने याचिकाकर्ता की सेवाएं समाप्त कर दीं।
याचिकाकर्ता के तर्क
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि 31 दिसंबर, 2007 का सेवा समाप्ति आदेश नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है, क्योंकि यह याचिकाकर्ता को अपना पक्ष रखने का कोई अवसर दिए बिना पारित किया गया था।
प्रतिवादियों के तर्क
प्रतिवादियों, यानी नगर निगम, पूर्णिया के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने अधिकारियों से यह तथ्य छुपाया था कि उसकी माँ नगर निगम, पूर्णिया में कार्यरत थी, जबकि उसने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था।
प्रतिवादियों के अधिवक्ता ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने 15 साल की देरी के बाद यह रिट याचिका दायर की थी, जो अस्वीकार्य है।
उच्च न्यायालय का निर्णय
पटना उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलों और मामले के रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्रियों पर विचार करने के बाद, याचिका खारिज कर दी।
अदालत ने यह भी पाया कि याचिकाकर्ता के मामले में कोई दम नहीं है, क्योंकि उसने इस तथ्य को छुपाया था कि उसकी माँ नगर निगम, पूर्णिया में कार्यरत थी, जब उसके पिता की मृत्यु हुई थी, जिसके कारण उसे 18 जून, 2007 को अवैध रूप से अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी।
इसलिए, न्यायालय ने 31 दिसंबर, 2007 को नगर परिषद, पूर्णिया के तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी द्वारा पारित आदेश में कोई अवैधता नहीं पाई और याचिका खारिज कर दी।
निष्कर्ष
पटना उच्च न्यायालय का यह फैसला अनुकंपा नियुक्ति से संबंधित मामलों में कानूनी प्रक्रियाओं और नियमों के पालन के महत्व को दर्शाता है। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि अनुकंपा नियुक्ति का दावा करने वाले व्यक्तियों को सभी प्रासंगिक तथ्यों का खुलासा करना चाहिए और यदि वे लंबे समय तक अपने अधिकारों का दावा नहीं करते हैं तो अदालत से राहत की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
पूरा फैसला
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https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMTc2NTYjMjAyMiMxI04=-ShdAuzlzBo4=