पटना नगर निगम द्वारा अवैध म्यूटेशन शुल्क की मांग को उच्च न्यायालय ने किया खारिज

 




निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में पटना नगर निगम (PMC) द्वारा एक दंपति से ₹61 लाख से अधिक की नामांतरण शुल्क की मांग को रद्द कर दिया है। यह मांग एक आवासीय प्लॉट के स्वामित्व हस्तांतरण के लिए की गई थी, जो कि पटना के राजेंद्र नगर क्षेत्र में स्थित है।

मामला वर्ष 1967 में आवंटित प्लॉट नंबर 157, ब्लॉक-B, टाइप-C से संबंधित है, जो मूल रूप से पुण्य कला सिन्हा को पटना क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (PRDA) द्वारा आवंटित किया गया था। इसके बाद यह प्लॉट डॉ. रणवीर कुमार के नाम आया और फिर 2011 में उक्त दंपति द्वारा खरीदा गया।

इसके बावजूद, वर्ष 2023 में PMC ने एक पत्र (संख्या 14515, दिनांक 28.11.2023) जारी करते हुए ₹61,25,689 की मांग की, जिसमें कहा गया कि यह नामांतरण (mutation) के लिए शुल्क है। यह राशि लाभांश (dividend) के रूप में वसूली जा रही थी, जिसका कोई स्पष्ट कानूनी आधार पत्र में नहीं दिया गया।

याचिकाकर्ताओं ने इस मांग को चुनौती दी और संजय सिंह बनाम बिहार राज्य (CWJC No. 13886 of 2011) मामले का हवाला दिया, जिसमें अदालत ने ऐसे ही नामांतरण शुल्क की मांग को अवैध ठहराया था, खासकर जब भूमि का हस्तांतरण मूल लीज के 10 वर्षों के बाद हुआ हो।

PMC ने उस पुराने मामले में पहले डिवीजन बेंच और फिर सुप्रीम कोर्ट तक अपील की थी, पर हर स्तर पर उसे हार का सामना करना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से PMC की विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया था।

हाईकोर्ट ने वर्तमान मामले में पाया कि PMC की ओर से इस बार भी कोई नया तर्क या तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया है जो पूर्व मामले से इसे अलग साबित करता हो। न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसी मांगें कानून की अवहेलना हैं और सीधे तौर पर ईमानदार नागरिकों का उत्पीड़न करती हैं।


निर्णय का महत्व

यह फैसला उन सभी नागरिकों के लिए राहत लेकर आया है जो वर्षों पहले आवंटित भूमि को खरीदते हैं और फिर नगर निगम द्वारा मनमाने नामांतरण शुल्क की मांग का सामना करते हैं। न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि अगर हस्तांतरण मूल लीज के 10 वर्षों के बाद हो रहा है, तो PMC या कोई अन्य प्राधिकरण लाभांश या म्युटेशन शुल्क की मांग नहीं कर सकता।

इसके साथ ही यह फैसला प्रशासनिक संस्थाओं को यह भी संदेश देता है कि उन्हें न्यायालय के पूर्ववर्ती आदेशों का सम्मान करना चाहिए और हर मामले में नागरिकों को कोर्ट जाने को मजबूर नहीं करना चाहिए। इससे न्यायिक व्यवस्था पर बोझ भी कम होगा और नागरिकों को बार-बार अनावश्यक उत्पीड़न से मुक्ति मिलेगी।

नगर निगम जैसे संस्थानों के लिए यह चेतावनी भी है कि वे भविष्य में इस प्रकार की मनमानी मांगों से बचें और जनता के साथ पारदर्शी व्यवहार करें।


कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • मुद्दा: क्या पटना नगर निगम 10 वर्षों के बाद भूमि हस्तांतरण पर लाभांश शुल्क की मांग कर सकता है?

  • निर्णय: ऐसी मांग अवैध और मनमानी है; रद्द की जाती है।


पक्षकारों द्वारा उल्लिखित निर्णय

  • संजय सिंह बनाम बिहार राज्य, CWJC No. 13886 of 2011


न्यायालय द्वारा अपनाया गया निर्णय

  • संजय सिंह बनाम बिहार राज्य (पटना हाईकोर्ट)

  • LPA No. 512 of 2016 (खंडपीठ द्वारा खारिज)

  • SLP (C) No. 12463 of 2018 (सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज)


मामले का शीर्षक

CWJC No. 2121 of 2024

मामला संख्या

CWJC No. 2121 of 2024

उद्धरण- 2024(4) PLJR (600) 

पीठ एवं न्यायाधीश

माननीय न्यायमूर्ति श्री राजीव रॉय

वकील

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री सिद्धार्थ प्रसाद

  • प्रतिवादी (PMC) की ओर से: श्री प्रसून सिन्हा

निर्णय की लिंक-


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