भूमिका
पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की पीठ ने Civil Writ Jurisdiction Case No. 11181 of 2021 (Abhay Kumar बनाम भारत सरकार व अन्य) में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। यह याचिका एक जनहित याचिका (PIL) थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने बिहार सरकार द्वारा जारी की गई उस अधिसूचना को चुनौती दी थी जिसमें ईंट-भट्ठों में मिट्टी के खनन को "गैर-खनन गतिविधि" घोषित कर पर्यावरणीय स्वीकृति (Environmental Clearance) से मुक्त कर दिया गया था।
मामले का सार
पृष्ठभूमि:
भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा 28 मार्च 2020 को अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें Appendix-IX में कुछ गतिविधियों को पूर्व-पर्यावरणीय स्वीकृति से छूट दी गई थी। इसमें Sl. No. 13 के तहत राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया गया था कि वे कुछ गतिविधियों को "गैर-खनन गतिविधि" घोषित कर सकें।
बिहार सरकार ने इसी के आधार पर एक अधिसूचना (Annexure-2) जारी कर दिया, जिसमें ईंट-भट्ठों हेतु मिट्टी खनन को गैर-खनन करार देते हुए कहा गया कि यदि खुदाई की गहराई 1.5 मीटर से अधिक न हो, तो पर्यावरणीय स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होगी।
याचिकाकर्ता की दलीलें:
-
शक्ति का अतिक्रमण:
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस प्रकार की अधिसूचना केंद्र सरकार की कार्यकारी शक्ति के दायरे से बाहर है और यह विधायी शक्तियों का अत्यधिक हस्तांतरण है। -
पर्यावरणीय नियमों की अवहेलना:
याचिकाकर्ता के अनुसार Sl. No. 13 के तहत दी गई छूट उन गतिविधियों के समान होनी चाहिए जो Sl. No. 1 से 12 तक दी गई हैं, जो पारंपरिक शिल्पों और आजीविका को बचाने के लिए थीं। -
भूमि की उपजाऊता पर प्रभाव:
अधिसूचना के लागू होने से बिना किसी नियंत्रण के ईंट भट्ठों का विस्तार होगा, जिससे भूमि की उपजाऊ परत (Top Soil) समाप्त हो जाएगी।
सरकारी पक्ष का उत्तर:
-
सरकार की ओर से कहा गया कि ईंट भट्ठों को पर्यावरणीय स्वीकृति से मुक्त करने के बावजूद, उन्हें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से "स्थापना की अनुमति" और "संचालन की अनुमति" लेनी होती है।
-
यह छूट सिर्फ सतही मिट्टी के सीमित उपयोग के लिए दी गई थी, जिससे कोई बड़ा पर्यावरणीय खतरा उत्पन्न नहीं होता।
न्यायालय का विश्लेषण और निर्णय:
1. कानूनी अधिकारों की सीमा:
-
MMDR अधिनियम, 1957 की धारा 4 के अनुसार कोई भी खनन गतिविधि बिना अनुमति, लीज़ या लाइसेंस के नहीं की जा सकती।
-
धारा 15 राज्य सरकार को नियम बनाने का अधिकार देती है, लेकिन यह अधिकार केवल प्रक्रिया और शर्तों के निर्धारण तक सीमित है, कोई गतिविधि को पूरी तरह छूट देने की शक्ति नहीं है।
2. "गैर-खनन गतिविधि" की परिभाषा:
-
जिन गतिविधियों को Sl. No. 1 से 12 में छूट दी गई है, वे सभी या तो पारंपरिक समुदायों (जैसे मिट्टी के बर्तन बनाने वाले), प्राकृतिक आपदाओं से बचाव या सार्वजनिक हित में हैं। इनसे मिलती-जुलती ही कोई गतिविधि Sl. No. 13 में शामिल हो सकती है।
-
ईंट भट्ठा निर्माण इन उद्देश्यों में कहीं भी नहीं आता।
3. शक्ति का और आगे हस्तांतरण (Delegatus non potest delegare):
-
संविधान के अनुसार केंद्र सरकार को जो शक्तियाँ सौंपी गई हैं, उन्हें वह किसी राज्य सरकार को नहीं सौंप सकती। यानि, केंद्र सरकार Sl. No. 13 के तहत कोई ऐसा अधिकार राज्य को नहीं दे सकती, जो उसे स्वयं संविधान से नहीं मिला है।
4. राज्य सरकार की अधिसूचना अवैध घोषित:
-
बिहार सरकार द्वारा Bihar Minerals Rules, 2019 में किया गया संशोधन (Rule 38(3)) जिसमें ऐसी छूट दी गई थी, उसे भी अवैध और रद्द कर दिया गया।
-
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ईंट निर्माण जैसी वाणिज्यिक गतिविधियों को पारंपरिक गतिविधियों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
न्यायालय का निष्कर्ष:
-
पर्यावरणीय स्वीकृति एक आवश्यक प्रक्रिया है जो औद्योगिक गतिविधियों के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को नियंत्रित करती है। इसे छूट देना केवल उन्हीं गतिविधियों तक सीमित हो सकता है जिनका उद्देश्य परंपरा, आजीविका या आपदा प्रबंधन से जुड़ा हो।
-
बिहार सरकार की अधिसूचना ने केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त शक्तियों का अतिक्रमण किया और उसे रद्द करना आवश्यक था।
अंतिम आदेश:
-
याचिका स्वीकार की गई।
-
बिहार सरकार की अधिसूचना (Annexure-2) और MMDR नियमों में किया गया संशोधन रद्द किया गया।
-
MoEF&CC के Appendix-IX के Sl. No. 13 को भी रद्द किया गया, जिसमें राज्यों को यह शक्ति दी गई थी।
न्यायिक महत्त्व:
यह फैसला न केवल पर्यावरणीय नियमन की संवैधानिक संरचना को मजबूत करता है, बल्कि यह स्पष्ट करता है कि आर्थिक लाभ के नाम पर पर्यावरणीय प्रक्रियाओं की अनदेखी नहीं की जा सकती। साथ ही, यह निर्णय एक मिसाल बनाता है कि कैसे सार्वजनिक हित और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
पूरा फैसला
पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMTExODEjMjAyMSMxI04=-8qu--ak1--Uc9LaIA=