परिचय
यह मामला प्रमोद राम एवं रीता देवी बनाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड एवं अन्य से संबंधित है, जिसमें एक सड़क दुर्घटना में अपने 18 वर्षीय पुत्र की मृत्यु के बाद माता-पिता द्वारा उचित मुआवजे की मांग की गई थी। पटना उच्च न्यायालय ने इस मामले में पहले दिए गए मुआवजे को बढ़ाते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि दुर्घटना पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने में न्यायपालिका कैसे संवेदनशीलता और विधिक सिद्धांतों का पालन करती है।
1. मामले की पृष्ठभूमि
दिनांक 28 जुलाई 2015 को सुबह लगभग 10:30 बजे, भोगलपुर जिले के पिरपैती थाना क्षेत्र स्थित पाखरिया गांव के पास एक ट्रक (BR-10GA-4025) की लापरवाही से हुई टक्कर में दिलखुश कुमार की मृत्यु हो गई। वह केवल 18 वर्ष का था और अपनी जीविका के लिए पैंट-शर्ट बेचने का कार्य करता था। उसके माता-पिता – प्रमोद राम और रीता देवी – पूरी तरह से अपने पुत्र पर निर्भर थे।
2. मूल दावा और निर्णय
दिलखुश कुमार की मृत्यु के बाद, उसके माता-पिता ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 166 के तहत दावा दायर किया। ट्रायल कोर्ट (MACT, भागलपुर) ने निम्नलिखित आधार पर ₹5,03,700 का मुआवजा निर्धारित किया:
मद | गणना | राशि |
---|---|---|
मासिक आय | ₹5,200 | ₹5,200 |
व्यक्तिगत खर्च की कटौती | 50% | ₹2,600 |
वार्षिक आय | ₹2,600 × 12 | ₹31,200 |
गुणक (Multiplier) | 16 | ₹4,99,200 |
संपत्ति हानि | - | ₹2,500 |
अंतिम संस्कार खर्च | - | ₹2,000 |
कुल मुआवजा | ₹5,03,700 |
इस राशि पर 6% वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान का आदेश दिया गया।
3. अपील में उठाए गए मुख्य मुद्दे
माता-पिता इस निर्णय से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में अपील दायर की, जिसमें उन्होंने निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं को उठाया:
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मृतक की उम्र 18 वर्ष थी, अतः गुणक (multiplier) 18 होना चाहिए था, न कि 16।
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सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों (जैसे प्रणय सेठी, सरला वर्मा, सतींदर कौर आदि) के अनुसार भविष्य की आय (future prospects) जोड़ी जानी चाहिए थी।
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अंत्येष्टि खर्च, संपत्ति हानि एवं फ़िलियल कंसोर्टियम (filial consortium) का उचित मुआवजा नहीं दिया गया।
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ब्याज दर 9% की मांग थी, जबकि केवल 6% प्रदान की गई।
4. उत्तरदाता बीमा कंपनी की दलील
बीमा कंपनी ने ट्रायल कोर्ट के निर्णय को सही ठहराया और कहा कि:
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ट्रायल कोर्ट ने सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर निर्णय दिया है।
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बीमा कंपनी द्वारा पहले से ही मुआवजा राशि का भुगतान किया जा चुका है।
5. उच्च न्यायालय का विश्लेषण एवं निर्णय
न्यायमूर्ति सुनील दत्ता मिश्रा ने पूरे मामले की गहन समीक्षा के बाद ट्रायल कोर्ट के निर्णय में निम्नलिखित संशोधन किए:
(क) आय और भविष्य की संभावना:
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मासिक आय: ₹5,200
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भविष्य की आय: ₹2,080 (40% वृद्धि)
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कुल मासिक आय: ₹7,280
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व्यक्तिगत खर्च की कटौती (50%): ₹3,640
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वार्षिक बचत: ₹3,640 × 12 = ₹43,680
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गुणक (Multiplier): 18
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आय का नुकसान: ₹43,680 × 18 = ₹7,86,240
(ख) पारंपरिक मदों के अंतर्गत मुआवजा:
मद | गणना | राशि |
---|---|---|
अंतिम संस्कार खर्च | ₹15,000 + 10% दो बार वृद्धि | ₹18,150 |
संपत्ति हानि | ₹15,000 + 10% दो बार वृद्धि | ₹18,150 |
फ़िलियल कंसोर्टियम | ₹40,000 + 10% दो बार वृद्धि (दो अभिभावकों के लिए) | ₹96,800 |
(ग) कुल मुआवजा:
मद | राशि |
---|---|
आय हानि | ₹7,86,240 |
पारंपरिक मद | ₹1,33,100 |
कुल मुआवजा | ₹9,19,340 |
6. न्यायालय का अंतिम आदेश
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ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए पुराने आदेश को संशोधित करते हुए कुल मुआवजा ₹9,19,340 निर्धारित किया गया।
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बीमा कंपनी को यह राशि दो माह के भीतर 6% वार्षिक साधारण ब्याज के साथ भुगतान करने का निर्देश दिया गया।
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पहले से दिया गया कोई भी भुगतान इस राशि से घटाया जाएगा।
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इस संशोधित आदेश के साथ अपील का निस्तारण कर दिया गया।
7. महत्वपूर्ण विधिक सिद्धांत
इस निर्णय में पटना उच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के कई प्रमुख निर्णयों को उद्धृत किया, जिनमें मुख्य रूप से:
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Pranay Sethi Case (2017): पारंपरिक मदों (funeral expenses, consortium, loss of estate) में मानक मुआवजा निर्धारित किया गया।
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Sarla Verma Case (2009): गुणक निर्धारण के लिए मृतक की उम्र के अनुसार फार्मूला।
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Magma General Insurance (2018): फ़िलियल कंसोर्टियम का अधिकार।
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Satinder Kaur Case (2021): गैर-वेतनभोगी मृतक के लिए भी भविष्य की आय को मान्यता।
निष्कर्ष
यह निर्णय न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं की दृष्टि से भी बेहद प्रभावशाली है। एक माता-पिता, जिन्होंने अपने युवा पुत्र को सड़क दुर्घटना में खोया, उन्हें न्यायालय ने संवेदनशीलता दिखाते हुए उचित मुआवजा प्रदान किया। यह मामला देश भर के ऐसे हजारों परिवारों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो दुर्घटनाओं के बाद न्याय की आस में संघर्ष कर रहे हैं।
पूरा
फैसला पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MiM1MDIjMjAxOCMxI04=-VoCnZP0wgRo=
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